प्रतापगढ़. उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ (Pratapgarh) में उत्कृष्ट पांडेय अफसर की नौकरी छोड़कर गांव में चंदन की महक बिखेर रहे हैं. एक तरफ जहां युवा कठिन मेहनत कर नौकरी की तलाश करते हैं, गांव की खेती छोड़कर नौकरी पाने का सपना देखते हैं. वहीं इसके उलट ससस्त्र सीमा बल (SSB) में असिस्टेंट कमांडेंट के पद से इस्तीफा देकर उत्कृष्ट पांडेय गांव में चंदन-हल्दी की खेती कर रहे हैं. उत्कृष्ट इलाके में चर्चा का केंद्र बने हुए हैं.
मंगरौरा ब्लॉक के भदौना गांव के रहने वाले उत्कृष्ट पाण्डेय अपने पिता के साथ मिलकर 60 हजार चंदन की नर्सरी तैयार कर डाली है. साथ ही 300 चंदन के पौधे अब पेड़ का रूप ले चुके हैं. अब चंदन के पेड़ लगभग 7, 8 फ़ीट के हो गए हैं. रिटायर्ड असिस्टेंट कमांडेंट द्वारा काली हल्दी की भी कई बीघे में खेती की जा रही है. काली हल्दी का मेडिसिन में अच्छा उपयोग होने के कारण अच्छा मूल्य मिलता है. पूर्व अफसर द्वारा नौकरी छोड़कर बेशकीमती चंदन और हल्दी की खेती बड़े पैमाने पर करने पर हर कोई उनकी सराहना करता हुआ नजर आ रहा है.
उत्कृष्ट के यहां 5 बीघे में चंदन और हल्दी की खेती की जा रही है. कोरोना काल मे कई मजदूरों को गांव में रोजगार मिल रहा है. चंदन और हल्दी की बगिया में दर्जन भर मजदूर मजदूरी करते हैं. चंदन और हल्दी के खेत में गुड़ाई कर पानी से सिंचाई, कीड़े पौधे में ना लगे इसके लिए दवा का छिड़काव भी समय-समय पर किया जाता है.
उत्कृष्ट पाण्डेय किसानों की आय दोगुनी करने की एक पहल मान कर समाज को पूरा कर दिखाने के लिए काम कर रहे हैं. वह युवाओं को भी ये मैसेज देना चाहते है कि अगर गांव का युवा अपने गांव में रहकर खेती और किसानी करे तो अच्छा मुनाफा घर बैठे कमा सकता है. गांव के लोगो को रोजगार भी दे सकता है क्योंकि कई लोग सरकारी नौकरी से वंचित रह जाते हैं तो वह 12 घंटे की प्राईवेट जॉब करते हैं. अगर यही मेहनत युवा अपने गांव में तरह-तरह की अच्छी खेती करें तो किसानों की आय कई गुना वृद्धि हो सकती है.
उत्कृष्ट पाण्डेय के पिता संत राम पाण्डेय किसान हैंलेकिन वह जीवन भर गेहूं और चावल की खेती करते रहे. संत राम के तीन बेटे हैं. सबसे बड़ा बेटा सेना में मेजर था, अब रिटायर्ड है, जबकि दूसरे नंबर पर उत्कृष्ट पाण्डेय हैं और तीसरे बेटे प्रवीण पाण्डेय हैं जो कंप्यूटर इंजीनीयर हैं. उत्कृष्ट पांडेय इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पीजी इकोनॉमिक्स हैं.
उत्कृष्ट पाण्डेय का 2011 में SSB के असिस्टेंट कमांडेंट पद पर चयन हुआ था. लगभग छ वर्षो तक नौकरी भी किया. इस दौरान बिहार, झारखंड के बॉर्डर पर उनको तैनाती भी मिली लेकिन कुछ गांव में करने की जिद ने नौकरी से त्याग पत्र दिलवा दिया. अगस्त 2016 में नौकरी छोड़कर गांव आकर चंदन और हल्दी की खेती में जुट गए.
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