उत्तर प्रदेश के शहर मेऱठ में संस्कृत को सम्मान देने का ऐसा तरीका निकाला गया है कि आप भी वाह कह उठेंगे. यहां लोग एक दूसरे से संस्कृत में वार्तालाप तो करते ही हैं यहां तक कि चाय और पानी भी मांगते हैं तो संस्कृत में. इंटरव्यू भी दिया जाता है तो संस्कृत में.
यहां तक कि गायन और वाद विवाद प्रतियोगिता भी यहां संस्कृत में होती है. मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में आयोजित इस समारोह में जो भी पहुंचता है वो वाह कह उठता है. इसे देश का इकलौता ऐसा समारोह बताया जा रहा है. जहां हर ओर बस संस्कृत संस्कृत और संस्कृत ही नज़र आ रही है.
मेरठ में चल रहे इस व्यास समारोह की चर्चा दूर दूर तक है. संस्कृत में चल रहे व्यास समारोह कि सफलता का अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि सात समंदर पार देश विदेश के संस्कृत प्रेमी अगर भौतिक रुप से यहां उपस्थित नहीं हो पा रहे हैं तो वो ऑनलाइन माध्यम से कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे हैं.
यहां हमने जितने लोगों से बात की तो सभी से हमने भले ही हिन्दी में बात की हो. लेकिन जवाब हमें संस्कृत में मिला. चाहे वो प्रोफेसर हों या फिर विद्यार्थी. सब संस्कृत में ही बोलने का संकल्प ले चुके हैं. इन लोगों का कहना है कि जब तक व्यास समारोह चलेगा वो संस्कृत में ही बात करेंगे.
संस्कृत में बातचीत के बीच हमने एक प्रोफेसर से जब हिन्दी में व्यास समारोह में बताने के लिए कहा तो उन्होंने हमारी बात मानते हुए व्यास समारोह के इतिहास के बारे में बताया. उन्होंने बताया कि बीते अट्ठाईस वर्षों से हर वर्ष ऐसे ही व्यास समारोह मनाया जा रहा है. और अब तो इसकी गूंज विदेशों तक सुनी जा रही है. प्रोफेसर ने बताया कि ये देश का इकलौता विश्वविद्यालय है जहां आज भी अऩूठा व्यास समारोह मनाया जाता है.
संस्कृत के चाहने वाले ये लोग इस भाषा के उत्थान के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद देते नज़र आते हैं. हालांकि धन्यवाद के साथ साथ वो ये गुहार भी लगाते हैं कि अगर इस क्षेत्र में रिक्त पदों पर भर्तियां हों. तो संस्कृत को लोग सिर्फ भाषा ही नहीं बल्कि करिअर के तौर पर भी अपनाएंगे. वाकई में संस्कृत के उत्थान के लिए इस विश्वविद्यालय का ये प्रयास बेहद सराहनीय है. और तो और यहां छात्र योग के ज़रिए लोहे की सरिया भी मोड़ देते हैं. ये करतब देखकर भी कोई हैरान रह जाए.