बता दें कि यूं तो मां की रजत प्रतिमा के सालभर दर्शन मिलते हैं लेकिन धनतेरस से अन्नकूट तक चार दिन मां के स्वर्यमयी प्रतिमा के दर्शन मिलते हैं. यहां गर्भगृह में मां अन्नपूर्णा के साथ श्रीभूमि जी और श्रीलक्ष्मी जी भी विराजमान हैं. सामने खुद देवों के देव महादेव भिक्षा मांगते नजर आते हैं. काशी की पौराणिक मान्यता भी यही है.
मंदिर के महंत रामेश्वर पुरी महाराज ने बताया कि मां अन्नपूर्णा अन्न की अधिष्ठात्री देवी हैं. खुद विश्वेश्वर महादेव श्री काशी विश्वनाथ ने काशी का पेट भरने के लिए मां से भिक्षा मांगी थी. काशी विद्त परिषद के महामंत्री प्रोफेसर राम नारायण दिवेदी ने बताया कि इसलिए काशी में कोई भूखा नहीं सोता. यहां खजाने के रूप में मिलने वाले लावा को अगर रसोई में रखने से कभी भी अन्न की कमी नहीं होती और सिक्कों को तिजोरी में रखने से हमेशा सुख सपन्नता बनी रहती है.
यहां हर साल लाखों की संख्या में भक्त आते हैं. 4 दिन में लाखों भक्त मां के दर्शन करते हैं. जिनमे महिलाओं की संख्या खासी अधिक होती है. इस बार कोरोना काल में सोशल डिस्टेसिंग के साथ मास्क को अनिवार्य किया गया था. यहां दर्शन के बाद कई महिलाओं ने बताया कि इस प्रसाद को अपने घर में रखने मात्र से ही सुख संपदा सालभर घर मे बनी रहती है.
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