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उत्तराखंड में बढ़ रहे AIDS के मरीज़, सिर्फ अल्मोड़ा में ही 110 HIV ग्रस्त, आखिर क्या है वजह?

World AIDS Day की शुरुआत 1 दिसम्बर 1988 को हुई थी और तबसे हर साल 1 दिसम्बर को दुनिया में एड्स दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस मौके पर एड्स संबंधी डेटा का विश्लेषण करने के साथ ही एड्स और उससे बचाव व इलाज के बारे में जागरूकता संबंधी कार्यक्रम (AIDS Awareness Program) भी किए जाते हैं. उत्तराखंड में भी ऐसे कार्यक्रम हुए, लेकिन राज्य के आंकड़े चिंताजनक भी दिखे. आखिर राज्य में एड्स क्यों गंभीर है? अल्मोड़ा से किशन जोशी के इनपुट्स के साथ देखिए पूरी रिपोर्ट.

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उत्तराखंड के पहाड़ों में एड्स के मरीज़ तेज़ी से बढ़ते हुए देखे जा रहे हैं. अल्मोड़ा ज़िले में 2021 में ही 8 नये मरीज़ मिल चुके हैं, जबकि पिछले पांच सालों में 110 से अधिक मरीज़ ज़िले में पाए जा चुके हैं. स्वास्थ्य विभाग समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाता है, इसके बावजूद राज्य के आंकड़े चिंताजनक हैं. पिछले 15 सालों के डेटा पर गौर किया जाए तो राज्य में एड्स के मरीज़ों की संख्या दोगुनी हो चुकी है. इस समय राज्य में 8356 एड्स मरीज़ बताए जा रहे हैं, जबकि पहाड़ों में इन मरीज़ों की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है, तो तराई में भी स्थितियां कम परेशान करने वाली नहीं हैं.

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अल्मोड़ा के सीएमओ सीएमओ डॉ. आरसी पंत का कहना है कि ज़िले में एड्स के मरीज़ बढ़ रहे हैं. जांच के लिए अल्मोड़ा, रानीखेत में केन्द्र बने हैं, जहां परामर्श लिया जा सकता है. पिछले कुछ सालों में वृद्धि दर में कमी तो आई है, लेकिन मरीज़ों की संख्या बढ़ी भी है. इधर, हल्द्वानी के आंकड़े देखें तो हाई रिस्क ग्रुप में शामिल लोगों की संख्या एक साल में दो तिहाई बढ़कर 500 तक हो गई है, जिनमें से 18 एचआईवी पॉज़िटिव हैं. इन आंकड़ों और कारणों को समझना ज़रूरी है.

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अल्मोड़ा के डॉ. अनिल का कहना है कि अस्पताल में हर मरीज़ को नई सीरिंज का उपयोग करना चाहिए क्योंकि सीरिंज या ब्लेड/रेज़र जैसे यंत्रों से वायरस एक से दूसरे शरीर में जा सकता है. और उत्तराखंड में एड्स फैलने का एक प्रमुख कारण यही सीरिंज है. टीओआई की रिपोर्ट में कहा गया था कि 2018 में जब आईडीयू के बीच एचआईवी के केस रिकॉर्ड 27.2 फीसदी बढ़े थे. और अब हल्द्वानी में चल रहा ताज़ा सर्वे भी यही संकेत दे रहा है.

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उत्तराखंड स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी (यूसेक) के साथ सामंजस्य कर धरोहर विकास संस्था पिछले करीब डेढ़ महीने से हल्द्वानी में एक अहम सर्वे कर रही है. एक खबर की मानें तो इंजेक्शन ड्रग यूज़र्स यानी आईडीयू को लेकर किए जा रहे सर्वे में ज़िले में ऐसे 500 लोगों की जानकारी मिली, जो इंजेक्शन से नशा लेते हैं. संस्था के प्रोजेक्ट मैनेजर मुकुल पांडे ने बताया कि इनमें 18 लोग एचआईवी संक्रमित मिले. इन मरीज़ों के साथ एक और मुश्किल जुड़ी हुई है.

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उत्तराखंड में आठ हज़ार से ज़्यादा लोग एचआईवी ग्रस्त बताए जाते हैं, लेकिन समस्या यह भी है कि इनमें से कई इलाज नहीं करवा रहे. यूसेक की अपर परियोजना निदेशक डॉ. सरोज नैथानी की मानें तो पंजीकरण कराने के बाद मरीज़ इलाज के लिए नहीं आते, जबकि एआरटी केंद्रों में मुफ्त इलाज दिया जाता है. इधर, विभाग एड्स को लेकर युवाओं को समझाने की कवायदें कर ही रहा है.

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विश्व एड्स दिवस के मौके पर स्वास्थ्य विभाग ने अल्मोड़ा के नर्सिंग कॉलेज की छात्राओं के साथ मिलकर जागरूकता रैली निकाली. इसके बाद प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया एड्स के बारे में गांवों और घर तक जागरूकता पहुंचाने के टिप्स दिए गए. रेडक्रॉस संस्था ने ज़िला अस्पताल में रक्तदान शिविर भी लगाया. इस तरह के आयोजन अन्य नगरों में भी हुए.

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    उत्तराखंड में बढ़ रहे AIDS के मरीज़, सिर्फ अल्मोड़ा में ही 110 HIV ग्रस्त, आखिर क्या है वजह?

    उत्तराखंड के पहाड़ों में एड्स के मरीज़ तेज़ी से बढ़ते हुए देखे जा रहे हैं. अल्मोड़ा ज़िले में 2021 में ही 8 नये मरीज़ मिल चुके हैं, जबकि पिछले पांच सालों में 110 से अधिक मरीज़ ज़िले में पाए जा चुके हैं. स्वास्थ्य विभाग समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाता है, इसके बावजूद राज्य के आंकड़े चिंताजनक हैं. पिछले 15 सालों के डेटा पर गौर किया जाए तो राज्य में एड्स के मरीज़ों की संख्या दोगुनी हो चुकी है. इस समय राज्य में 8356 एड्स मरीज़ बताए जा रहे हैं, जबकि पहाड़ों में इन मरीज़ों की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है, तो तराई में भी स्थितियां कम परेशान करने वाली नहीं हैं.

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