बागेश्वर. साल 2013 और 2019 में हुए भूस्खलन का एक नतीजा यह हुआ है कि बागेश्वर ज़िले के कुंवारी गांव के पास 500 मीटर लंबी और 50 मीटर चौड़ी एक झील बन गई है. पिंडारी ग्लेशियर में देश में नदियों को जोड़ने के एक अनूठे प्रोजेक्ट के लिए ग्राउंड रिपोर्ट तैयार कर रहे वैज्ञानिक और विशेषज्ञ इस झील की बनावट से हैरान हो गए हैं. हालांकि एक्सपर्ट कह रहे हैं कि इससे तुरंत कोई खतरा नहीं दिख रहा है, लेकिन आने वाले समय में किसी आपदा की आशंका से इनकार भी नहीं किया जा सकता.
कुमाऊं-गढ़वाल बॉर्डर पर बसे बागेश्वर ज़िले के कपकोट स्थित शंभू बुग्याल से निकलकर कुंवारी गांव से शंभू नदी चमोली की तरफ जाती है. 2013 में आई आपदा और लगातार भूस्खलनों की वजह से नदी में अस्थाई झील बन गई है. अंग्रेजी के वी (v) आकार की इस झील की लंबाई 500 मीटर से ज़्यादा बताई जा रही है. पहली बार 2013 में यहां भूस्खलन हुआ था, तब सारा मलबा गांव की तलहटी पर बहने वाली शंभू नदी में जमा हो गया था, जिससे यहां झील बन जाना बताया गया है.
बारिश में नदी का जलस्तर बढ़ने से मलबा बहने से खतरा टल गया था. लेकिन चार साल से फिर एक बार ऐसे ही हालात हैं. नदी में धीरे धीरे पहाड़ से मलबा गिरने और जमा होने के बाद झील फिर आकार लेने लगी है. कुंवारी की ग्राम प्रधान धर्मा देवी के अनुसार फिलहाल इस झील से कोई नुकसान नहीं है. लेकिन याद रखना चाहिए कि आपदा के लिहाज़ से उत्तराखंड के पहाड़ बेहद संवेदनशील हैं. केदारनाथ की तबाही का मंज़र भुलाया नहीं जा सकता तो चमोली की आपदा के निशान भी अब तक हरे हैं. एक बार फिर संकट चमोली पर ही दिख रहा है.
शंभू नदी बागेश्वर से निकलकर चमोली ज़िले में पिंडर नदी से मिलती है. जहां झील बनी है, वहां से सिर्फ एक किलोमीटर आगे चमोली ज़िला शुरू हो जाता है. अगर यह झील टूटी तो चमोली के अरमल, थराली, नारायणबगड़ इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे. बागेश्वर प्रशासन मशीन ले जाकर मलबा साफ कर झील खोलने की बात कर रहा है पर स्थानीय लोगों के अनुसार खड़ी पहाड़ी में झील तक मशीनें ले जाना तकरीबन असंभव है. जो भी काम होगा, मैन्युअली होगा.
आपदा प्रबंधन अधिकारी शिखा सुयाल का कहना है कि ड्रोन कैमरों से झील की तस्वीरें ली है गई हैं. मुआयने के हिसाब से फिलहाल किसी तरह का खतरा नहीं है. बागेश्वर एसडीएम चंद्रसिंह इमलाल के मुताबिक लोनिवि, पीएमजीएसवाई, सिंचाई, राजस्व, आपदा प्रबंधन विभाग ने निरीक्षण के बाद झील की रिपोर्ट भेजी. सिंचाई विभाग को प्रस्ताव तैयार कर झील से मलबा हटाने के निर्देश दिए गए हैं. वहीं, चमोली प्रशासन भी सतर्क हो गया है.
चमोली ज़िले के थराली के उप ज़िला अधिकारी रविंद्र जुवांठा ने बताया कि बागेश्वर के प्रशासनिक अधिकारियों से इस गंभीर मसले पर संपर्क बनाया गया है. मौके पर जेसीबी व अन्य मशीनें लगाकर मलबे को साफ किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि झील से रिसाव के बाद ज्यादा खतरा नहीं है, फिर भी एहतियात बरता जा रहा है. इधर, एक खबर में एक एक्सपर्ट के हवाले से चेतावनी दी गई कि भविष्य में भारी बाढ़ से पिंडर और अलकनंदा के किनारे की बसाहटों में तबाही की आशंका है.
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