राज्य सरकार के सबके लिए स्वास्थ्य के दावों को चंपावत ज़िले में बने ट्रॉमा सेंटर आइना दिखा रहे हैं. लोहाघाट और टनकपुर में करीब दो करोड़ की लागत से बने ट्रॉमा सेंटर सफेद हाथी साबित हो रहे हैं. 4 साल से बनकर तैयार ये ट्रामा सेंटर गम्भीर हालात में मरीज़ों के लिए खुलने की जगह खुद आईसीयू में दिख रहे हैं. इसके बाद स्थानीय लोग स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता पर सवाल उठा रहे हैं और उधर स्थानीय प्रशासन मजबूरी जता रहा है.
लोहाघाट में बने ट्रॉमा सेंटर में पहुंचने पर इलाज नहीं डॉक्टर-नर्स के कमरों पर ताले नज़र आते हैं.
सीएमओ आरपी खंडूड़ी का कहना है किसाहब अब डॉक्टरों की कमी होने के वजह से ट्रामा सेंटर शुरू नहीं हो पा रहे हैं.
स्थानीय लोगों का कहना है कि ट्रॉमा सेंटर तो शुरू हुआ नहीं स्थानीय डिस्पेंसरी में भी डॉक्टर समेत स्टाफ़ की कमी हो गई है जिससे इलाज के लिए भटकना पड़ता है.
ट्रॉमा सेंटर में न डॉक्टर हैं, न मरीज़ और न ही दूसरा स्टाफ़. इसलिए यह शराबियों के लिए पार्टी करने का महफूज़ अड्डा बना हुआ है.