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Chamoli News: रंग-बिरंगे फूलों के दीवाने हैं तो 'वैली ऑफ फ्लावर्स' घूमने का बनाएं प्लान, खूबसूरती मोह लेगी मन

Valley of Flowers in Uttarakhand: उत्तराखंड के चमोली जिले में पर्वतों से घिरी घाटी में फूलों की 500 से अधिक प्रजातियां देखने को मिलेंगी. जबकि फूलों की घाटी का दीदार करने के लिए जुलाई,अगस्त और सितंबर का महीना बेस्ट रहता है. (रिपोर्ट: सोनिया मिश्रा)

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उत्तराखंड के चमोली जिले में वैसे तो मंदिर, पर्यटक स्थल,ट्रेकिंग प्लेस, ताल, झरने जैसी तमाम जगह हैं, जहां आप घूम सकते हैं. हालांकि इस रिपोर्ट में आपको हम सबसे इतर एक ऐसी घाटी के बारे में बताएंगे, जो अपने फूलों की खुशबू से हमेशा सबका ध्यान आकर्षित करती है.

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आपको पर्वतों से घिरी हुई घाटी में फूलों की 500 से अधिक प्रजातियां देखने को मिलेंगी, जो अपनी खूबसूरती के लिए भारत ही नहीं अपितु पूरे विश्व में पहचान रखती है. वर्ष 2005 में विश्व धरोहर समिति द्वारा फूलों की घाटी को विश्व धरोहर सूची में भी शामिल किया था.

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पूरी घाटी दुर्लभ और विदेशी हिमालयी फूलों से भरी हुई है. यहां फूलों की 500 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें एनीमोन, जेरेनियम, प्राइमुलस, ब्लू पोस्पी, ब्लूबेल, डेकी, हुक्क, हौली, पेजी आदि शामिल हैं. हालांकि यहां का ब्रह्म कमल सबसे खूबसूरत है, जिसे उत्तराखंड का राज्य फूल भी कहा जाता है. यहां पर पाए जाने वाले तरह तरह के सुंदर फूल पर्यटकों को अपनी तरफ खींचते हैं. फूलों की घाटी तक पहुंचने वाले रास्ते में कई खूबसूरत पुल, ग्लेशियर और झरने भी देखने को मिलेंगे. इसके साथ घाटी में कई दुर्लभ प्रजाति के फूल भी देखने को मिलेंगे.

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किंवदंती है कि रामायण काल में हनुमान संजीवनी बूटी की खोज में इसी घाटी में पधारे थे. जबकि इस घाटी का पता सबसे पहले ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रैंक एस स्मिथ और उनके साथी आर एल होल्डसवर्थ ने लगाया था, जो संयोग से 1931 में अपने कामेट पर्वत के अभियान से लौट रहे थे. इसकी सुंदरता देखकर वे बहुत प्रभावित हुए और 1937 में पुनः यहां वापस आए और 1938 में 'वैली ऑफ फ्लावर्स' नाम से किताब प्रकाशित की.

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फूलों की घाटी का अगर आपको भी दीदार करना है तो जुलाई,अगस्त और सितंबर का महीना बेस्ट रहेगा. इसके साथ ही साथ घाटी में सितंबर माह में ब्रह्मकमल भी खिलते हैं.

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चमोली के गोविंदघाट पहुंचने के लिए देहरादून और ऋषिकेश से परिवहन निगम की बस व टैक्सी आसानी से उपलब्ध हैं. गोविंदघाट से फूलों की घाटी तक पहुंचने के लिए आपको 19 किमी का सफर तय करना होगा. गोविंदघाट से पैदल भ्यूंडार एवं घांघरिया होते हुए पहुंचा जाता है.

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