चंपावत में पूर्णा पर्वत पर बसा पूर्णागिरी धाम 51 शक्ति पीठों में से एक है. यहां हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन को आते हैं. अब इस धाम में भी वैष्णों देवी धाम की तर्ज पर ट्रस्ट बनाने की मांग तेज़ हो गई है. इसे लेकर एक स्थानीय निवासी कोर्ट में भी चले गए हैं लेकिन मंदिर के पुश्तैनी पुजारी ट्रस्ट के विरोध में आ खड़े हुए हैं. उनका कहना है कि पहले भी ऐसी मांग उठी थी और उन्होंने पहले भी इसका विरोध किया था. उनका मानना है कि मौजूदा व्यवस्था ट्रस्ट की व्यवस्था से बेहतर रहेगी.
चंपावत के टनकपुर में स्थित पूर्णागिरि धाम के संचालन के लिए ट्रस्ट बनाने की मांग नई नहीं है. करीब 25 साल से यह मांग की जा रही है.
पूर्णागिरी धाम में दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. एक अनुमान के अनुसार हर साल 50 लाख से ज़्यादा श्रद्धालु मां पूर्णागिरी के दर्शन के लिए आते हैं.
टनकपुर के नरेश सकरी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर मंदिर का संचालन के लिए वैष्णों देवी ट्रस्ट की तर्ज पर ट्रस्ट बनाने की मांग की है.
पूर्णागिरी धाम में साल में तीन महीने का एक मेला लगता है जिसमें अनुमानतः 25 लाख श्रद्धालु आते हैं. माना जाता है कि हर साल मंदिर में करोड़ों रुपये का चढ़ावा चढ़ता है.
टनकपुर के नरेश सकरी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर मंदिर का संचालन के लिए वैष्णों देवी ट्रस्ट की तर्ज पर ट्रस्ट बनाने की मांग की है.
लेकिन ट्रस्ट के पुजारी पूर्णागिरि समिति के अध्यक्ष भुवन पांडे कहते हैं कि सदियों से पुजारियों का परिवार अपनी ईष्ट देवी की पूजा करता आ रहा है. पांडे कहते हैं कि 2012 में ऐसी मांग उठी थी और सरकार ने पुजारियों को ऐसे मंदिरों का दौरा करवाने का वादा किया था जिनका संचालन ट्रस्ट कर रही है लेकिन ऐसा नहीं किया गया. पांडे दावा करते हैं कि उनकी व्यवस्था ट्रस्ट से बेहतर है और पुजारी ट्रस्ट का विरोध कर रहे हैं.
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