देहरादून. उत्तराखंड में हर साल गर्मी के मौसम में जंगलों में आग लगने से लाखों ही नहीं करोड़ों का नुकसान तो होता ही है, पर्यावरण के संतुलन (Ecosystem) पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है. इस बार भी मार्च खत्म होते तक और अप्रैल शुरू होते ही जंगलों की आग विकराल रूप लेती दिख रही है. उत्तरकाशी और बागेश्वर में जंगलों की आग इतनी भीषण हो गई है कि बस्तियों तक फैल रही है. बागेश्वर में तो गर्मी के बमुश्किल एक महीने में आग की 27 घटनाएं हो चुकी हैं. वन विभाग पहले की तरह ही लाचार दिख रहा है, तो इधर अल्मोड़ा और चमोली ज़िलों से भी जंगल की आग को लेकर महत्वपूर्ण अपडेट्स हैं.
पहले उत्तरकाशी की बात करें. न्यूज़18 संवाददाता बलबीर परमार की रिपोर्ट के मुताबिक यहां जंगलों की आग गांव और बस्तियों के पास पहुंच चुकी है. एक सप्ताह से लगी आग से ज़िले के कई इलाकों में धुआं ही धुआं फैला हुआ है. ज़िला मुख्यालय उत्तरकाशी के पास कुटेटी, तिलोथ का जंगल शुक्रवार देर शाम से रात भर धू-धू कर जलता रहा लेकिन आग पर काबू पाने के लिए वन विभाग ने कदम शनिवार सुबह तक नहीं उठाए हैं. लोगों को सांस लेने में भी तकलीफ होने लगी है.
जनपद के उत्तरकाशी वन प्रभाग, टौंस वन प्रभाग व अपर यमुना वन प्रभाग के जंगल धू-धू कर जल रहे हैं. सबसे ज़्यादा आग उत्तरकाशी और टौंस प्रभाग के जंगलों में लगी है। वहीं, डुंडा रेंज और मुखेम रेंज के जंगल भी सप्ताह भर से जगह-जगह सुलग रहे हैं. वन विभाग ने सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किए हैं बल्कि जनपद का आपदा कंट्रोल रूम स्थानीय लोगों से आग की सूचना देने की अपील कर रहा है.
अब बागेश्वर के हाल देखें तो जंगलों की आग यहां भी बड़ी चुनौती बनी हुई है. हमारी संवाददाता सुष्मिता थापा की रिपोर्ट है कि बागेश्वर के जंगलों में भीषण आग से धुंध सी फैली हुई है और अधिकतर जंगल आग की चपेट में हैं. वन विभाग के अनुसार अभी तक वनों में आग की 27 घटनाएं हुई हैं, जिनमें लगभग 45 हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ है. चीड़ के पेड़ों के साथ ही, ग्रामीणों का चारा पत्ती का भारी नुकसान हुआ है और हर साल बड़े खर्च के बावजूद काबू न पाए जाने पर लोग नाराज़ भी हैं.
बागेश्वर के काफलीगैर के जंगल की आग रिहायशी इलाकों तक पहुंची तो उसी समय झिरौली थाना पुलिसकर्मी वहां से गुज़र रहे थे. उन्होंने आग बुझाना शुरू किया और उनके साथ ग्रामीणों ने मदद की तब काबू पाया गया. प्रभागीय वनाधिकारी हिमांशु बागरी का कहना है कि जंगल की आग पर विभाग नज़र बनाए हुए है और ग्रामीणों से आग बुझाने में सहयोग की अपील की जा रही है.
चमोली संवाददाता नितिन सेमवाल ने रिपोर्ट किया है कि जंगलों में आग लगने की घटनाओं के बढ़ने की आशंका को लेकर वन विभाग अलर्ट मोड पर है. नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के उप वन संरक्षक नंदबल्लभ शर्मा ने बताया कि उच्च अधिकारियों ने विभाग को हर दिन जंगलों में आग की सूचना देनी है, जिसके लिए पार्क में टीमें बनाई गई हैं और फायर लाइन काटी जा रही है. बद्रीनाथ नेशनल हाईवे पर जहां आग लगने की आशंका है, उन जंगलों को सुरक्षित किया जा रहा है.
अल्मोेड़ा से किशन जोशी की रिपोर्ट के मुताबिक शीतलाखेत क्षेत्र की आधा दर्जन गांवों की महिलाओं ने एक अप्रैल को पराली या ओण दिवस मनाया यानी इस दिन से खेतों के कूड़े को न जलाने का संकल्प लिया गया. इससे जंगलों की आग की समस्या भी खत्म होने की बात कही गई. 6 गांवों की महिलाओं ने जागरूकता रैली निकाली तो वन विभाग ने इसकी सराहना की.
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