देहरादून. बेरोज़गारी के मामले में देश भर में चर्चा में रह चुके उत्तराखंड में एक महीने के भीतर बेरोज़गारी दर में करीब ढाई प्रतिशत की कमी कई मायनों में अहम दिख रही है. कोरोना काल के दो साल बेरोज़गारी राज्य की बड़ी समस्या बनकर उभरी तो अब अप्रैल 2022 की तुलना में करीब ढाई फीसदी घटकर बेरोज़गारी दर मई में 2.9% रह गई. राष्ट्रीय स्तर पर बेरोज़गारी दर 7.8% से घटकर 7.1% पर पहुंची, लेकिन राष्ट्रीय औसत की तुलना में उत्तराखंड में बड़ा अंतर साफ कर रहा है कि पर्यटन और तीर्थयात्रा से कितनी राहत मिली है.
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) ने एक रिपोर्ट जारी करते हुए बताया है कि उत्तराखंड में नवंबर 2020 में बेरोज़गारी दर 1.5% थी और उसके बाद से अप्रैल 2022 तक कभी भी 3.0% से नीचे नहीं पहुंची थी. असल में, कोविड महामारी के महाप्रकोप के बाद इस साल देश दुनिया में कारोबार को लेकर स्थितियां सामान्य हुईं. उत्तराखंड के सोशल एक्टिविस्ट अनूप नौटियाल भी मानते हैं कि 400 बिलियन डॉलर पार निर्यात पहुंचने से अर्थव्यवस्था को राहत मिली. लेकिन पहाड़ में बड़ी राहत कैसे मिली?
देश भर में जिस तरह से आर्थिक गतिविधियां खुलीं, उत्तराखंड पर भी उसका असर पड़ा, लेकिन राज्य में बेरोज़गारी में कमी के पीछे पर्यटन और तीर्थाटन एक बड़ा फैक्टर रहा. 3 मई से चार धाम यात्रा शुरू हुई तो 22 मई से हेमकुंड साहिब यात्रा. इसके अलावा, आदि कैलाश समेत कुछ और धार्मिक यात्राएं भी. इससे पहले, नैनीताल, मसूरी, चमोली आदि जगहों पर पर्यटन गतिविधियों ने फरवरी से ही ज़ोर पकड़ लिया था. लेकिन चिंता की बात अब भी है.
सीधी बात है कि तीर्थाटन या पर्यटन से रोज़गार पैदा हुआ है, तो यह मौसमी है. उत्तराखंड में फिर ठंड के चार से छह महीनों के लिए यह सब बंद हो जाएगा, तब क्या होगा? नौटियाल ने न्यूज़18 से कहा कि पर्यटन सीज़न के बाद बेरोज़गारी दर फिर उछाल मार सकती है इसलिए सरकार को स्थायी रोज़गार पर फोकस करना होगा. फिलहाल देश में उत्तराखंड की स्थिति टॉप 5 प्रदेशों में है. देखिए कैसे उत्तराखंड इन पांचों प्रदेशों में अनूठा भी है.
टॉप 5 प्रदेशों में उत्तराखंड इकलौता है, जहां बेरोज़गारी दर अप्रैल के मुकाबले मई में घटी है. उड़ीसा में अप्रैल में 1.5% थी जो बढ़कर 2.6% हुई. मप्र 1.6, गुजरात में 1.6% थी जो बढ़कर मई में 2.1% हो गई. चंडीगढ़ में 0.6% में हल्का सा उछाल लेकर मई में दर 0.7% हो गई. सिर्फ मध्य प्रदेश में लगातार तीसरे महीने बेरोज़गारी दर 1.6% ही रही. लेकिन ये बेरोज़गारी दर निकली कैसे और इसका मतलब क्या है?
बेरोज़गारी दर के लिए सीएमआईई संस्था 15 साल से ज़्यादा के नौजवानों और युवाओं के बीच सर्वे करके अनुमानित औसत आंकड़े जुटाती है. इसके आधार पर रिपोर्ट में बेरोज़गारी दर बताई जाती है. मिसाल के तौर पर उत्तराखंड में यह दर 2.9 प्रतिशत होने का मतलब ये है कि राज्य में हर 1000 लोगों में से 29 के पास कोई रोज़गार नहीं है. बहरहाल आने वाले दिनों के लिए उत्तराखंड के पास एक उम्मीद का उजाला तो है. (Image:Twitter)
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