Uttarakhand Polls Results Data : उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) से अलग होकर उत्तराखंड बनने में महिलाओं आंदोलनकारियों (Women Activists) की भूमिका बड़ी मानी जाती है. ट्रेंड रहा है कि यहां महिलाएं वोटिंग (Women Voting Trend) में हमेशा से ज़्यादा दिलचस्पी लेती रही हैं. महिला वोटरों को सभी पार्टियां (Political Parties) हर चुनाव के समय फोकस में रखती रही हैं. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (Women's Day 2022) के के ठीक बाद ही आए इस चुनाव के रिजल्ट (Election Results 2022) के संदर्भ में महिला वोटरों के प्रभाव की बात की जाए या विधानसभा में महिलाओं (Women in Assembly) की भागीदारी की, महिलाओं के लिए अच्छी खबर है. भारती सकलानी के इनपुट्स के साथ तस्वीरों में देखिए पूरी रिपोर्ट.
उत्तराखंड के पांचवे विधानसभा चुनाव के नतीजे बता रहे हैं कि पहाड़ में महिलाओं ने कमाल कर दिया है. पहले चुनाव के मुकाबले महिला विधायकों की संख्या में विधानसभा में दोगुना बढ़ गई है. 70 विधानसभाओं वाले उत्तराखंड में इस बार कुल 8 विधायक महिलाएं हैं, जिनमें से 6 भाजपा के टिकट पर जीती हैं. इन महिलाओं ने किसी सीट पर रिकॉर्ड बनाए हैं, तो कहीं प्रतिष्ठा कमाई है. जीतने के मामले में ही नहीं, उत्तरा...
उत्तराखंड के चुनावी इतिहास में यह रिकॉर्ड है कि देहरादून को पहली बार कोई महिला विधायक मिली है. भाजपा के कद्दावर नेता रहे हरबंस कपूर की पत्नी सविता कपूर ने यहां से चुनाव जीतकर कीर्तिमान रचा है. भाजपा की 6 महिला विधायकों में से कपूर ने मतों के भारी अंतर से जीत दर्ज की.
कांग्रेस की तरफ से जिन महिलाओं ने विधानसभा तक का सफर तय किया है, उनमें पहला नाम ममता राकेश का है, जो दूसरी बार भगवानपुर सीट से जीती हैं. वहीं, हरिद्वार ज़िले में ही हरिद्वार ग्रामीण सीट से अनुपमा रावत ने भाजपा सरकार में मंत्री रहे यतीश्वरानंद का पटखनी दी. अनुपमा के लिए यह जीत इसलिए खास रही क्योंकि उनके पिता और पूर्व सीएम हरीश रावत पिछली बार इसी सीट से हार गए थे. यही संयोग एक और सीट पर थ...
कोटद्वार सीट से बीसी खंडूरी 2012 में हारे थे और इस बार यहां से उनकी बेटी ऋतु भूषण खंडूरी ने जीत दर्ज की. इससे पहले 2017 के चुनाव में उन्होंने यमकेश्वर सीट से चुनाव जीता था. यमकेश्वर सीट पर इस बार भाजपा के टिकट पर रेणु बिष्ट ने पार्टी की नाक बचाई. जो तीन महिलाएं और जीती हैं, उनमें धामी सरकार की एक मंत्री का नाम भी है.
भाजपा सरकार में महिला एवं बाल कल्याण मंत्री रही रेखा आर्या ने सोमेश्वर सीट से जीत का सिलसिला बरकरार रखा. वहीं केदारनाथ सीट से शैलारानी रावत ने बीजेपी के टिकट पर जीत दर्ज की. नैनीताल सीट खास रही क्योंकि यहां से सरिता आर्या ने यशपाल आर्या के बेटे और सिटिंग विधायक संजीव को चुनाव हराया.
चुनाव से ऐन पहले कांग्रेस छोड़कर सरिता बीजेपी से टिकट पाने में कामयाब रही थीं और उनकी जीत ने साबित किया कि पहाड़ में महिलाओं का भी जनाधार मज़बूत है. पहाड़ की महिलाएं चुनाव लड़ने और जीतने के साथ ही चुनाव जिताने में अहम भूमिका निभाती दिखीं. कम्युनिटी फॉर डेवलपमेंट फाउंडेशन के अनूप नौटियाल ने उत्तराखंड में भाजपा की दोबारा जीत के बड़े फैक्टरों में महिलाओं के ज़्यादा मतदान को प्रमुख माना.
नौटियाल ने आंकड़े बताए कि 70 में से 38 सीटों पर पुरुषों के मुकाबले महिलाओं ने ज़्यादा वोटिंग की. 34 पहाड़ी सीटों में से 33 पर महिलाओं की संख्या पुरुष वोटरों से ज़्यादा रही और कुल मिलाकर 62% पुरुषों ने वोटिंग की, तो 67.2% महिलाओं ने. ऐसे ही आंकड़ों की बदौलत भाजपा को फिर विधानसभा में बहुमत मिला.
विधानसभा में महिलाओं के पहुंचने का इतिहास देखा जाए तो 2002 और 2007 में 4 महिला विधायक थीं जबकि 2012 और 2017 में 5. 2022 में यह आंकड़ा 8 का हो गया है. हालांकि यह और भी बड़ा हो सकता था, अगर कुछ सीटों पर क़यासों के अनुसार नतीजे आते. जैसे भाजपा उम्मीदवार कुंवरानी देवयानी भी भाजपा के लिए खानपुर सीट हार गईं. ये नाम और भी हैं.
लैंसडौन सीट से कांग्रेस ने अनुकृति गुसाईं को उम्मीदवार बनाया था. माना जा रहा था कि कद्दावर नेता और भाजपा सरकार में मंत्री रहे हरक सिंह रावत के जनाधार के कारण वह जीत सकेंगी, लेकिन अनुकृति को हार का स्वाद चखना पड़ा. इसी तरह पिथौरागढ़ सीट से पिछली बार चुनाव जीत चुकीं चंद्रा पंत भाजपा के ही टिकट पर इस बार चुनाव हार गईं. ख़ैर, ऐसी सीटों पर भी महिलाएं जीततीं तो इस बार विधानसभा में एक दर्जन मह...
आईपीएल में जिसे मुश्किल से मिला खरीदार, वो बना T20I का सरदार, टिम साउदी को पछाड़ झटक लिए सबसे ज्यादा विकेट
1 फ्लॉप फिल्म से चमकी एक्ट्रेस की किस्मत, बन गईं करोड़ों की मालकिन, पल भर में बदल गया सब कुछ
रोहित शर्मा की 2 फिरकी गेंदबाजों ने बढ़ाई टेंशन, सामने आते ही बिगड़ जाती है लय, एक का लखनऊ से नाता, तो दूसरा...