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गड्ढों पर सियासत: 95 करोड़, 6000 किमी सड़कें और बरसात के बीच पैचवर्क..! कांग्रेस ने कहा 'ये भ्रष्टाचार है'

वर्तमान में प्रदेश भर में कोई भी सड़क ऐसी नहीं है, जो भारी बरसात के दौर में सुरक्षित हो. ऐसे में सरकार चुनाव में जाने से पहले फेस मेकिंग में जुट गई है. वहीं, विपक्ष सवालों और आरोपों की बौछार करते हुए कह रहा है कि यह सरकारी भ्रष्टाचार के गड्ढे हैं.

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देहरादून. करीब छह हजार किलोमीटर लंबी सड़कें और डेढ़ महीने का समय! उत्तराखंड सरकार ने इतने समय के भीतर सड़कों को गड्ढामुक्त करने के निर्देश जारी किए हैं. लेकिन इस कवायद पर चौतरफा सवाल खड़े हो रहे हैं. पहले तो, इन गड्ढों का बड़ा कारण जब बरसात ही है, तो बरसात के बीच डेढ़ महीने में ये काम कैसे हो पाएगा? विपक्ष ये भी सवाल खड़ा कर रहा है कि यह सड़कों को गड्ढामुक्त करने का अभियान है इसके पीछे कोई और लक्ष्य है! कांग्रेस का कहना है कि भ्रष्टाचार को नये ढंग से अंजाम देने का तरीका सरकार ने ईजाद किया है. बहरहाल, आंकड़ों और विपक्ष की ज़ुबानी देखिए, कि सरकार की इस योजना को कैसे समझा जा रहा है.

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मंत्री जी का दावा : लोक निर्माण विभाग का अभियान 15 सितंबर से शुरू कर चुका है, जिसका टारगेट है 31 अक्टूबर तक सड़कों को गड्ढामुक्त करना. इस अवधि में विभाग को 5,827 किलोमीटर लंबाई वाली सड़कों के लिए पैचवर्क करना है. लेकिन, लगातार हो रही बरसात चुनौती इस काम के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है. फिर भी, विभाग ने काम शुरू कर दिया है. लोक निर्माण विभाग मंत्री सतपाल महाराज का दावा है कि करीब डेढ़ हजार किलोमीटर सड़कें तो गड्ढामुक्त हो भी चुकी हैं. लेकिन, बरसात के बीच चल रहे इस अभियान पर कई सवाल और आरोप सामने आ रहे हैं.

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कांग्रेस के आरोप : चर्चा है कि बरसात के बीच कोलतार टिक नहीं पा रहा है. हफ्ते भर में ही सड़कों पर दोबारा गड्ढे उभर रहे हैं. लेकिन सरकार का दावा है कि काम चल रहा है. विपक्ष का कहना है कि साढे़ चार साल से जो सड़कें टूटी पड़ी हैं, उन पर गड्ढे भर देने भर से काम नहीं चलने वाला. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा कि बीजेपी ने बिना टेंडर निकाले अपने कार्यकर्ताओं को काम देकर भ्रष्टाचार का एक नया तरीका खोज लिया है. गोदियाल ने बीजेपी सरकार को आड़े हाथों लेकर और भी आरोप लगाए.

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गोदियाल ने कहा कि कांग्रेस अपने लेवल पर हर विधानसभा में इस काम का भौतिक सत्यापन कराएगी. गोदियाल का आरोप है कि सड़क ठीक करने के बहाने बीजेपी अपने कार्यकर्ताओं को ठेके दे रही है और सरकारी धन को ठिकाने लगाया जा रहा है. मुद्दे की बात तो यह भी है कि उत्तराखंड में सड़कें हमेशा से ही मुददा रही हैं. जानिए कैसे.

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खासकर जब चुनाव नजदीक हों, तब 'सड़क नहीं तो वोट नहीं' के नारे आम हो जाते हैं. वर्तमान में प्रदेश भर में कोई सड़क ऐसी नहीं है, जो बरसात के चलते सुरक्षित हो. जुलाई से सितंबर के बीच बारिश और भूस्खलन से प्रदेश भर की छोटी बड़ी सड़कों के उखड़ने की खबरें आती रही हैं. ऐसे में सरकार चुनाव में जाने से पहले फेसमेकिंग में जुट गई है. करीब 95 करोड़ की लागत से सड़कों के गड्ढे भरे जा रहे हैं, लेकिन ये काम कितना टिकाऊ होगा? सवाल तो पूछा ही जा रहा है.

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    देहरादून. करीब छह हजार किलोमीटर लंबी सड़कें और डेढ़ महीने का समय! उत्तराखंड सरकार ने इतने समय के भीतर सड़कों को गड्ढामुक्त करने के निर्देश जारी किए हैं. लेकिन इस कवायद पर चौतरफा सवाल खड़े हो रहे हैं. पहले तो, इन गड्ढों का बड़ा कारण जब बरसात ही है, तो बरसात के बीच डेढ़ महीने में ये काम कैसे हो पाएगा? विपक्ष ये भी सवाल खड़ा कर रहा है कि यह सड़कों को गड्ढामुक्त करने का अभियान है इसके पीछे कोई और लक्ष्य है! कांग्रेस का कहना है कि भ्रष्टाचार को नये ढंग से अंजाम देने का तरीका सरकार ने ईजाद किया है. बहरहाल, आंकड़ों और विपक्ष की ज़ुबानी देखिए, कि सरकार की इस योजना को कैसे समझा जा रहा है.

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