सरकारी संसाधनों को कैसे बर्बाद किया जाता है नैनीताल की नगर पालिका इसकी जीती जागती मिसाल है. शहर की सफ़ाई के लिए वाहन और कूड़ेदान तो खरीदे गए मगर रखरखाव के अभाव में उसको सरकारी तंत्र का जंग खा गया.
शहर में लगाने के लिए नैनीताल नगर पालिका ने कई साल पहले कूड़ेदान खरीदे थे. योजना थी कि शहर भर में ये कूड़ेदान लगाए जाएंगे ताकि पर्यटन नगरी नैनीताल आने वाले लोगों को गंदगी न दिखे लेकिन ये कूड़ेदान शहर में लग ही नहीं पाए.
सालों से ये कूड़ेदान इसी फ़ील्ड में जंग खा रहे हैं और उनके आगे इतना मलबा पड़ गया है कि उनमें कूड़ा डाला जा पाना संभव ही नहीं लगता.
सिर्फ कूड़ेदान ही नहीं बल्कि पालिका का नाकारापन इस कदर है कि शहर से कूड़ा उठाने वाले ट्रक भी खड़े-खड़े बेकार हो गए हैं.
यह तस्वीर पालिका की पोल खोलने के लिए पर्याप्त है. सालों पहले खरीदे कूड़ेदानों को ट्रक से उतारा तक नहीं गया और ये वहीं पड़े-पड़े ख़राब हो गए.
कई कूड़ेदान और वाहनों को कबाड़ी तक ले काटकर ले गए हैं. अब पालिकाध्यक्ष नए टेंडर कर शहर से कूड़ा उठाने की बात कर रहे हैं.
वैसे यह कोई पहला मौका नहीं है जब पालिका पर लापरवाही का आरोप लगा हो. डस्टबीन, लाइट समेत तमाम घोटालों के लिए नैनीताल नगर पालिका चर्चाओं में रही है और कई मामलों में तो सीबीआई जांच का भी सामना कर रही है.
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