दुखद घटना में अचानक निधन से सिर्फ एक सप्ताह पहले 1 दिसम्बर को गढ़वाल केन्द्रीय विश्वविद्यालय के ऑडिटोरियम में दीक्षांत समारोह में जब सीडीएस बिपिन रावत पहुंचे थे, तो किसी ने नहीं सोचा था कि जल्द ही ऐसा समाचार आएगा, जो उनकी यादों में दुख घोल देगा. विश्वविद्यालय के स्पोर्ट्स स्टेडियम में आर्मी हेलीकॉप्टर से उतरने के बाद जिन्होंने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया था, वो एनसीसी कैडेट्स, जिन लोगों के साथ जनरल ने भोजन किया, वो तमाम लोग या जिन्हें अपने वक्तव्य से प्रेरित किया, डिग्री लेने वाले वो युवा... सभी जनरल रावत की आत्मीयता, बातों और सहज व्यवहार के कायल हो गए.
जनरल रावत की सहजता से प्रभावित एनसीसी कैडेट हर्ष ने बताया कि अपने संक्षिप्त कार्यक्रम के बावजूद गार्ड ऑफ ऑनर देने वाले हर कैडेट से रावत ने पर्सनली बातचीत की और उन्हें करियर को लेकर प्रोत्साहित किया. एक और कैडेट आराधना ने कहा कि उम्मीद थी कि फिर कभी उनसे मार्गदर्शन मिलता, लेकिन पहली ही मुलाकात आखिरी हो गई. आराधना ने कहा कि रावत इतने आत्मीय थे कि लगा ही नहीं कि उनसे पहली बार वो मिल रही हों.
स्पोर्ट्स स्टेडियम में बने हेलीपैड से उतरने और फिर दीक्षांत समारोह के बाद यूनिवर्सिटी के एक्टिविटी सेंटर में लंच करने के लिए कुछ देर रुके सीडीएस रावत ने टीचर्स, स्टूडेंट्स और अन्य लोगों के साथ प्रोटोकॉल और समय की पाबंदी को किनारे रख खूब फोटो भी खिंचवाए थे. उनके ऐसे बर्ताव ने सभी को प्रेरित भी किया और एक आत्मीय के तार में बांध दिया. इतना ही नहीं, उन्होंने उत्तराखंडी भोजन किस चाव से किया, यह भी जानें.
लंच में परोसे गए पहाड़ी पकवानों को रावत ने खूब सराहते हुए खाया. वहीं स्थानीय खाद्य पदार्थों को लेकर जानकारियों का आदान प्रदान भी उन्होंने लंच टेबल पर किया. शिक्षक डॉ. सर्वेश उनियाल ने बताया कि पहाड़ी उत्पादों को बढ़ावा देने की बात करते हुए रावत ने कोदे की रोटी और झंगोरे की खीर को चाव से खाया. मीठा कम खाने के बाद भी रावत ने कुलपति के आग्रह पर खीर और भी खाई थी.
एनसीसी अधिकारी प्रो. एसएस बिष्ट ने भी यादें साझा करते हुए बताया कि कैसे रावत को यहां रिसीव किया गया था और कैसे पूरे कार्यक्रम के दौरान वह आत्मीय रहे. कभी उन्होंने भाषण में गढ़वाली भाषा का पुट दिया, तो कभी सादगी और सहजता से सबके साथ तस्वीरें भी खिंचवाई. सीडीएस का दौरा था तो महज 3 घंटे का, लेकिन ये तीन घंटे यूनिवर्सिटी के तमाम लोगों की यादों में धरोहर की तरह कैद हो गए.
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