पलायन से सर्वाधिक प्रभावित पौड़ी ज़िले में एक बुजुर्ग किसान लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं. पौड़ी के पहाड़ में बंजर पड़ी ज़मीन को विद्यादत्त शर्मा ने हरे-भरे बागान में बदल दिया. पानी की सख़्त कमी वाले इलाक़े में 43 साल पहले ही इन्होंने एक जलाशय बनाया और उसके पानी से सिंचाई कर एक शानदार बाग़ीचा बनाया. आज 83 साल की उम्र में भी वह सक्रिय हैं और न सिर्फ़ खेती, बल्कि पशुपालन और मुर्गी पालन तक खुद कर रहे हैं.
विद्यादत्त शर्मा के बेटे त्रिभुवन उनियाल बताते हैं कि इस जलाशय के बनने के बाद करीब 20 बीघा ज़मीन में साल भर सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध रहने लगा. इसकी वजह से कभी बंजर रहने वाली ये ज़मीन हरे-भरे बागान में बदल गई. पौड़ी मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर सांगुड़ा गांव से वे लोग न सिर्फ़ पौड़ी बल्कि वहां से कई किलोमीटर दूर पाटीसैंण तक सब्ज़ियां सप्लाई करने लगे.
विद्यादत्त शर्मा 83 साल की उम्र में अब भी सक्रिय हैं और न सिर्फ़ खेती, बल्कि पशुपालन और मुर्गी पालन तक खुद कर रहे हैं. इसी साल फरवरी में वह 23.75 किलो का मूला (मूली की पहाड़ी किस्म) पैदा करने के लिए सुर्खियों में आए थे. विद्यासागर शर्मा रोज़गार के अभाव में पलायन कर रहे लोगों के लिए उदाहरण है, जो 40 साल से ज़्यादा समय से दिखा रहे हैं कि पानी के सही इस्तेमाल से बंजर ज़मीन को भी खूबसूरत बागान में बदला जा सकता है.
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