पौड़ी. पौड़ी (Pauri) और रुद्रप्रयाग (Rudraprayag) जनपद की सीमाओं पर स्थित पौराणिक सिद्धपीठ धारी देवी (Siddhapith Dhari Devi) के स्थायी मंदिर परिसर निर्माण के बाद पुजारी समुदाय और जलविद्युत परियोजना संस्था जीवीके (Hydro Power Company GVK) आमने सामने आ गए हैं. मंदिर के पुजारियों का कहना है कि जब तक मंदिर के लिए प्रवेश पुल को चौड़ा नहीं किया जाता और अन्य सुविधाएं नहीं दी जातीं तब तक वे स्थायी मंदिर में मां धारी की प्रतिमा को शिफ्ट नहीं होने देंगे.
बता दें कि साल 2013 में धारी देवी मंदिर श्रीनगर जल विद्युत परियोजना के डूब क्षेत्र में आने की वजह से धारी देवी की प्रतिमा को अस्थाई शेड में शिफ़्ट किया गया था.
जीवीके के अचानक जल विद्युत परियोजना के सभी गेट बंद कर देने की वजह से मंदिर में पानी भरने लगा था और आनन-फानन में धारी देवी की प्रतिमा को शिफ़्ट किया गया था.
धारी देवी को उत्तराखंड के चारों धामों का रक्षक माना जाता है और लोगों का यह तक मानना है कि उचित प्रक्रिया का पालन न किए जाने की वजह से ही केदारनाथ समेत अन्य धामों में आपदा आई थी.
धारीदेवी के पुजारियों का कहना है कि जीवीके ने मंदिर निर्माण को लेकर कई वादे किए थे जो पूरे नहीं किए गए हैं. जीवीके पर पहले भी स्थानीय लोगों से किए वादे पूरे न करने का आरोप है इसलिए पुजारियों ने प्रवेश पुल को चौड़ा करने और मंदिर में प्रवेश के लिए सीधा रास्ता बनने तक धारी देवी की प्रतिमा को मंदिर में शिफ़्ट न करने का ऐलान किया है.