Top 10 Tourist Places in Pithoragarh: गर्मियों का सीजन इस बार समय से पहले शुरू हो गया है. वहीं, मैदानी इलाकों से लोग गर्मियों से निजात पाने के लिए पहाडों की तरफ काफी संख्या में रुख करते हैं. अगर आप उत्तराखंड का प्लान कर रहते हैं, तो यह 10 खूबसूरत जगह आपका दिल जीत लेंगी. ( रिपोर्ट: हिमांशु जोशी)
गर्मियों का सीजन अब शुरू हो गया है. ऐसे में मैदानी इलाकों से लोग गर्मियों से निजात पाने के लिए पहाडों की तरफ काफी संख्या रुख करते हैं. वहीं, गर्मियों में उत्तराखंड में भी पर्यटकों की आमद काफी बढ़ जाती है.अगर उत्तराखंड की बात करें तो यहां ऐसे कई पर्यटक स्थल हैं, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के साथ शांत और ठंडे इलाके होने की वजह से पर्यटकों को खूब पसंद आते हैं. आज हम आपको पिथौरागढ़ जिले के उन...
पिथौरागढ़ का विश्व प्रसिद्ध पर्यटक स्थल मुनस्यारी है, जहां सैलानी देश विदेश से नैसर्गिक सौंदर्य को देखने पहुंचते हैं. अब गर्मियों का मौसम शुरू हो गया है, तो पर्यटक यहां अपनी गर्मियों की छुट्टियां आराम से बिता सकते हैं. मुनस्यारी हिमालय की गोद में बसा है और यहां से पंचाचूली पर्वत का विहंगम नजारा हमेशा देखा जा सकता है. मुनस्यारी में ही ट्रैकिंग के लिए मशहूर खलिया टॉप है, जहां से विभिन्न ह...
गंगोलीहाट उत्तराखंड राज्य के कुमाऊं मण्डल के पिथौरागढ़ जिले में स्थित एक नगर और तहसील मुख्यालय है, जो हाट कालिका मंदिर नामक सिद्धपीठ के लिए प्रसिद्ध है. इस सिद्ध पीठ की स्थापना आदिगुरू शंकराचार्य द्वारा की गयी थी. हाट कालिका देवी रणभूमि में गए जवानों की रक्षक मानी जाती है. यह मंदिर जिला मुख्यालय से 77 किलोमीटर की दूरी पर है और सड़क मार्ग से यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है. साथ ही यहां ...
बेरीनाग पिथौरागढ़ मुख्यालय से 85 किलोमीटर दूर है, यह जगह कभी चाय के बागानों के लिये प्रसिद्ध था. नगर के समीप ही बेणीनाग का ऐतिहासिक मन्दिर है, जो कुमाऊं के प्रसिद्ध नाग मन्दिरों में एक है. इस मन्दिर की लोकप्रियता के कारण इसके समीपस्थ क्षेत्र को भी कालांतर में बेणीनाग कहा जाने लगा. समय बीतने के साथ-साथ यह नाम पहले बेणीनाग से बेड़ीनाग हुआ. फिर ब्रिटिश काल मे बेड़ीनाग से बदलकर बेरीनाग हो ग...
चौकोड़ी उत्तराखंड राज्य के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से है, यहां की शांत पहाड़ियां और हिमालय के खूबसूरत नजारे पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते है. चौकोड़ी की पिथौरागढ़ से दूरी 82 किलोमीटर है, यहां सर्दियों में बर्फबारी का मजा लेने भी पर्यटक पहुंचते है, यहां से नंदा देवी, नंदाकोट और पंचाचूली हिमालय पर्वत का विहंगम दृश्य देखने को मिलता है.
दारमा वैली धारचुला में पंचाचूली पर्वत की तलहटी में बसी भारत की सबसे सुंदर जगहों में से एक है, यहां से पंचाचूली के बेस कैम्प तक आसानी से पहुंचा जा सकता है. यहां पहुंचने वाले पर्यटक अपने आप को पंचाचूली पर्वत के करीब पाकर काफी उत्साहित हो जाते हैं, यहां गांव वालों के टूरिस्टों की सुविधा के लिए होम स्टे बना रखे हैं. जबकि यहां का खान-पान पर्यटकों को काफी पसंद आता है. हालांकि यह माइग्रेशन वा...
व्यास वैली को कुदरत का वरदान मिला हुआ है यहां के पर्वत, झील, नदियां, जंगल इसे स्वर्ग के समान बनाते हैं. यह चीन सीमा से लगी हुई है और इसी जगह आदि कैलाश, ओम पर्वत, गणेश पर्वत, पार्वती ताल मौजूद हैं. यहीं से होकर कैलाश मानसरोवर भी जाया जाता है. इस जगह पर्यटकों की सुविधा के लिए लोगों ने होम स्टे बना रखे हैं. यहां के लोग सीमा के प्रहरी भी कहलाते हैं. इस जगह पहुंचने का उपयुक्त समय अप्रैल से ...
हिमालय की गोद में बसे पिथौरागढ़ नगर में सात हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित चंडाक खूबसूरत धार्मिक पर्यटन स्थलों में शुमार है. इस जगह से हिमालय की चोटियों के भव्य दर्शन होते हैं. धार्मिक मान्यता है कि यहां देवी ने असुरों का संहार किया था. जबकि द्वापर युग में पांडवों ने अज्ञातवास के दिन गुजारे थे. जिस स्थान पर देवी ने चंड राक्षस का नाश किया, उसे चंडाक और जिस स्थान पर मुंड का वध किया उसे मड़ न...
नारायण आश्रम की स्थापना वर्ष 1936 में नारायण स्वामी ने पिथौरागढ़ से लगभग 136 किलोमीटर उत्तर और तवाघाट से 14 किलोमीटर दूर की थी. आज नारायण आश्रम आध्यात्म का केंद्र बन गया है, जो 2734 मीटर की ऊंचाई पर प्राकृतिक परिवेश के बीच स्थापित है. इसमें स्थानीय बच्चों के लिए एक स्कूल है और स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान करया जाता है. यहां एक पुस्तकालय, ध्यान कक्ष और समाधि स्थान भी है. यह स्थान ...
नामिक गांव मुनस्यारी तहसील का आखिरी गांव है, जहां नामिक ग्लेशियर मौजूद है. हिमालय की तलहटी में बसा यह गांव अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है. नामिक ग्लेशियर जाने वाले ट्रेकर नामिक गांव की खूबसूरती देखकर अभिभूत हो उठते हैं. नामिक गांव से होकर ग्लेशियर तक पहुंचा जाता है, जहां खारे पानी के झरने मौजूद है. मुनस्यारी से नामिक गांव की दूरी लगभग 100 किलोमीटर है, जहां पहुंचने के लिए ट्रेक करना ...
बड़ाबे गांव जिला मुख्यालय से 22 किलोमीटर की दूरी पर पड़ता है, जहां से उत्तराखंड के हिमालय के साथ नेपाल के हिमालय की श्रृंखला साफ साफ देखी जा सकती है. बड़ाबे गांव अपनी प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है. इसी जगह पिथौरागढ़ का प्रसिद्ध मंदिर थलकेदार स्थित है, जो पहाड़ी के शिखर पर है और भगवान शिव को समर्पित है. इस जगह सर्दियों में बर्फबारी हर साल देखी जा सकती है.