Char Dham Yatra श्रद्धालुओं के लिए सुगम और सुरक्षित हो, इसके लिए राज्य सरकार ने दो मंत्रियों को केदारनाथ व बद्रीनाथ की ज़िम्मेदारी दे दी है. गंगोत्री व यमुनोत्री के लिए किसी मंत्री को प्रभार नहीं दिया गया है. ऐसे में केदारनाथ और गंगोत्री से सुरक्षा में लापरवाही की तस्वीरें आपको आगाह कर सकती हैं.
रुद्रप्रयाग/उत्तरकाशी. उत्तराखंड में इन दिनों चार धाम यात्रियों का मेला लगा हुआ है. कोरोना संक्रमण के चलते दो साल बाद बगैर प्रतिबंधों के शुरू हुई तीर्थ यात्रा में श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या के मद्देनज़र एक तरफ वैज्ञानिक भी बड़ी आपदा की आशंका जता चुके हैं, तो अब सुरक्षा व्यवस्थाओं में बड़ी लापरवाहियां सामने आ रही हैं. केदारनाथ में इमरजेंसी की स्थिति में इस्तेमाल किए जाने वाले हेलीपैड पर दुकानें लग चुकी हैं, तो वहीं गंगोत्री में वेग से बह रही नदी के घाटों पर सुरक्षा को लेकर कोई इंतज़ाम नहीं दिख रहा है.
2013 में केदारनाथ आपदा के बाद एहतियाती कदम उठाते हुए प्रशासन ने गौरीकुंड से केदारनाथ के बीच कई इमरजेंसी हेलीपैड बनाए थे ताकि किसी इमरजेंसी के समय यहां से हेली सेवाएं चल सकें और लैंडिंग हो सके. लेकिन अब इन हेलीपैडों पर दुकानें सजी दिख रही हैं. न्यूज़18 संवाददाता ने गौरीकुंड से 2 किलोमीटर दूर बने ऐसे ही एक इमरजेंसी हेलीपैड से तस्वीरें जुटाईं. यहां अस्थायी तौर पर कई दुकानें लगी हुई हैं, जिनके लिए परमिशन भी नहीं है.
इस मामले में डीएम मयूर दीक्षित ने कहा, प्रशासन ने ऐसी दुकानों के बारे में जानकारी जुटाई है और किसी भी इमरजेंसी के समय इन लोगों को शॉर्ट नोटिस पर दुकान हटाने के लिए आगाह कर दिया गया है. वहीं, दुकानदार बता रहे हैं कि बेरोज़गार होने के कारण उन्होंने एक महीने के लिए यहां अस्थायी दुकानें लगाई हैं. आपदा की स्थिति में वो दुकान हटाने पर राज़ी हैं.
असल में, केदारनाथ धाम में चलने वाली हेली सर्विस के लिए ये हेलीपैड बनाए गए. अचानक दिक्कत आने, अचानक मौसम खराब होने या किसी अन्य आपदा जैसी स्थिति के समय हेलीकॉप्टरों की लैंडिंग पैदल मार्ग में करवाई जा सके और दुर्घटनाओं को टाला जा सके इसलिए बने हेलीपैड फ़िलहाल दुकानों और पर्यटकों से गुलज़ार हैं.
सुरक्षा में लापरवाही की तस्वीरें गंगोत्री धाम से भी आ रही हैं. संवाददाता बलबीर परमार ने बताया कि यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा घाटों पर पहुंच रहे हैं. साथ ही, इस समय गंगा नदी का प्रवाह काफ़ी तेज़ भी है. लेकिन यहां घाटों पर बैरिकेडिंग, ज़ंजीरें या रस्सियां डालने, रेस्क्यू टीम के मौजूद रहने और लाइफ जैकेट या लाइफ सेविंग सिस्टम जैसे कोई इंतज़ाम नहीं हैं. लोग बगैर किसी रोक टोक के घाटों पर टूट रहे हैं बल्कि डुबकियां तक लगा रहे हैं.