11वें ज्योर्तिलिंग बाबा केदार के कपाट आज श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं. बाबा केदार के दर्शनों के लिए आने वाले भक्तों की केदारनाथ तक की 16 किलोमीटर पैदल यात्रा गौरीकुण्ड से शुरु होती है. बाबा केदार के दर्शन से पहले भक्त मां गौरी के गौरीकुण्ड स्थित पौराणिक मंदिर में दर्शन करते हैं. केदारनाथ की यात्रा में इस मंदिर का बहुत महत्व है और यह पौराणिक इतिहास को समेटे हुए है.
केदारनाथ आने वाले श्रद्धालु गौरीकुण्ड में दर्शन के बाद ही केदारनाथ की पैदल यात्रा शुरू करते हैं. यही वह स्थान है, जहां पार्वती ने गौरी रूप में भगवान शिव को पाने के लिए हज़ारों साल तपस्या की थी.
यह गणेश का जन्म स्थान भी है. गौरी जब इस कुंड में नहाने गई थीं तो उन्होंने अपने शरीर के मैल से गणेश को पैदा कर चौकीदारी पर बैठाया था.
इस स्थान का महत्व इससे भी समझा जा सकता है कि यहीं शिव गौरी से मिलने आए थे और गौरी पुत्र गणेश ने उन्हें रोक दिया था. जिस पर शिव ने उनका सिर धड़ से अलग कर दिया था.
गौरी मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित है तप्त कुंड, जहां हमेशा गर्म पानी निकलता रहता है और इसमें स्नान करने के बाद तीर्थयात्री केदारनाथ की यात्रा शुरू करते हैं.
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