वीडियो और कुछ तस्वीरों में आप देख चुके हैं कि केदारनाथ में किस तरह जनसैलाब उमड़ रहा है. कई बार तो व्यवस्थाएं इसी भीड़ के कारण चरमरा गईं. बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री की तुलना में इस बार केदारनाथ में श्रद्धालुओं की संख्या बहुत ज़्यादा दिख रही है. इसके तमाम कारणों को एक्सक्लूसिव तस्वीरों के साथ जानिए.
रुद्रप्रयाग. चारधाम यात्रा खुलने के बाद श्रदालुओं का सैलाब उमड़ रहा है. चारों धामों में इस बार केदारनाथ धाम की यात्रा श्रदालुओं की पहली पसंद बन रही है. पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ इस बार 20 दिनों की यात्रा में साढ़े तीन लाख तीर्थयात्री केदार बाबा के दर्शन कर चुके हैं. कोरोना काल के दो सालों के दौरान पूरे यात्रा सीज़न में इतनी संख्या में श्रदालु केदारनाथ धाम नहीं पहुचे जितने इस साल पहले 20 दिनों में ही. इसके पीछे एक नहीं कई कारण हैं.
पीएम मोदी का नाम जुड़ना : प्रधानमंत्री मोदी का केदारनाथ से सालों पुराने रिश्ते को खूब प्रचार मिला. युवा नरेंद्र का गरुड़चट्टी में साधना करना हो या बतौर मुख्यमंत्री केदारनाथ आपदा के समय यहां आना हो या पीएम रहते हुए अब तक पांच बार केदारनाथ पहुंचना. यही नहीं केदारनाथ में ध्यान गुफा में भी मोदी ने रात को रुककर दुनिया का ध्यान केदारनाथ की ओर खींचा. पीएम के विशेष लगाव से उनके प्रशंसक केदारनाथ धाम के प्रति खासे आकर्षित हुए.
पुनर्निर्माण से बढ़ी सुंदरता : केदारनाथ आपदा के बाद धाम के पुनर्निर्माण का सिलसिला शुरू हुआ तो केंद्र सरकार ने खजाना खोला. नई केदारपुरी को भव्य स्वरूप मिला, वहीं नदियों के किनारे बने पैदल पथ व सुंदर घाट, शंकराचार्य समाधि स्थल, मोदी गुफा, केदारनाथ मंदिर में लेज़र लाइटें नये आकर्षण पैदा कर रही हैं. आपदा से पहले की अपेक्षा श्रद्धालुओं के ठहरने की क्षमता बढ़ी है इसलिए भी लोगों की संख्या यहां साल दर साल बढ़ रही है.
आपदा व प्राचीन मंदिर : 2013 में आई आपदा से भीषण तबाही के बाद दुनिया का ध्यान केदारनाथ की ओर गया. यहां से जुड़ी कथाओं व मान्यताओं को प्रचार मिला. वहीं भीषण आपदा के बावजूद मंदिर को नुकसान न होना भी लोगों के बीच जिज्ञासा का कारण रहा. अति दुर्गम क्षेत्र में 8वीं सदी में बना विशाल मंदिर भी श्रद्धालुओं के बीच आकर्षण का केंद्र रहता है. धाम का महाभारत कालीन इतिहास भी लोगों को आकर्षित करता है.
प्राकृतिक सौंदर्य : केदारनाथ धाम के लिए गौरीकुंड से करीब 16 किलोमीटर खड़ी चढ़ाई का पैदल मार्ग है, ये मार्ग प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है. पैदल रास्तों से सुंदर वनों के साथ ही मनमोहक झरने लोगों को खींचते हैं. प्राकृतिक प्रेमियों व भीड़भाड़ से तंग लोगों के लिए तो ये स्वर्ग होता है. ये अनुभव लेने के लिए भी केदारनाथ में यात्रियों की संख्या हर साल बढ़ रही है.
कोरोना काल के बाद : 2020 व 2021 में कोरोना महामारी ने तांडव मचाया तो तीर्थाटन व पर्यटन की रीढ़ भी टूटी. चार धाम यात्रा भी इससे अछूती नहीं रही. कोरोना काल से पहले 2019 में केदारनाथ यात्रा में 10 लाख श्रदालु पहुंचे थे, लेकिन कई पाबंदियों के कारण कोरोना काल के दो वर्षों 2020 व 2021 में क्रमशः 1,30,551 व 2,42,712 तीर्थयात्री ही बाबा के धाम पहुंच सके.
कई श्रदालु तो ऐसे हैं, जो हर साल केदारनाथ धाम की यात्रा करते हैं. लेकिन बीते 2 सालों में कोरोना के कारण ऐसे कई श्रद्धालु भी यात्रा पर नहीं आ सके. ऐसे में इस बार बड़ी सख्या में श्रदालु केदारनाथ धाम पहुच रहे हैं. माना जा रहा है कि इस बार श्रद्धालुओं की संख्या के पिछले सारे रिकॉर्ड जल्द ही ध्वस्त हो सकते हैं.
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