उत्तरकाशी ज़िला मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित स्यूंणा गांव तक सड़क तो दूर अभी सुरक्षित पैदल आवाजाही के रास्ते भी नहीं बन पाए हैं. कोई सुरक्षित मार्ग नहीं होने के कारण ग्रामीण हर साल सर्दियों में गंगा भागीरथी पर लकड़ी पत्थर से अस्थायी पुलिया बनाते हैं, जो गर्मियों में नदी में पानी बढ़ने पर बह जाती है. सर्दियों में भागीरथी में पानी कम होने पर एक बार फिर स्यूंणा गांव के ग्रामीणों ने गांव तक पहुंचने के लिए श्रमदान कर नदी पर अस्थायी पुलिया बनाई है.
गांव पहुंचने के लिए ग्रामीणों को तेखला से गंगा भागीरथी के किनारे पत्थर डालकर बनाए गए अस्थायी रास्ते से जंगल होते हुए आवाजाही करनी पड़ती है. यहां पहाड़ी से पत्थर गिरने के कारण हादसे का खतरा बना रहता है.
इसके अलावा नेताला से सिरोर होते हुए गांव तक पहुंचने का रास्ता घने जंगल से होकर गुजरता है और यहां भूस्खलन से जगह-जगह क्षतिग्रस्त होने के कारण सालों से ग्रामीण इस रास्ते का उपयोग नहीं करते.
ग्रामीण शासन-प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से कई बार भागीरथी पर पुल निर्माण की मांग कर चुके हैं लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है.
इसलिए इस बार की तरह ही हर साल ग्रामीण सर्दियों में पानी कम होने पर एक अस्थाई पुल या जुगाड़ पुल बनाते हैं ताकि नदी पार कर अपने गांव सुरक्षित पहुंच सकें.
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