पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बाल्टिस्तान (Gilgit Baltistan) प्रांत में जबरदस्ती चुनाव करवाने का फैसला प्रधानमंत्री इमरान खान (PM Imran Khan) को उल्टा पड़ता दिखाई दे रहा है. सरकारी मशीनरी के भरपूर दुरुपयोग के बाद भी उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ और उसकी सहयोगी मजलिस-ए-वाहदत-ए-मुस्लीमीन को यहां की 24 सदस्यी विधानसभा में केवल 10 सीटें ही मिल सकी हैं. हालांकि, इमरान की पार्टी 6 निर्दलीय विधायकों को खरीदकर सरकार बनाने की तैयारी कर रही है. ये सभी निर्दलीय पहले पीटीआई के ही सदस्य रहे हैं. (फोटो सौ. न्यूज18 इंग्लिश)
वहीं, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के गिलतित-बाल्टिस्तान के प्रवक्ता शहजाद इल्हामी ने आरोप लगाया है कि इमरान सरकार ने इस क्षेत्र को देश का पांचवा राज्य बनाने का केवल चुनावी वादा किया था. उन्होंने कहा कि इमरान खान की पार्टी के पास देश की संसद में बहुमत नहीं है. ऐसे में वे संवैधानिक सुधारों को मंजूरी नहीं दिलवा सकते हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि इमरान खान का यह वादा केवल चुनावी स्टंट ही था. (फोटो सौ. न्यूज18 इंग्लिश)
2009 में गिलगित-बाल्टिस्तान की विधान सभा स्थापित होने के बाद पहली बार ऐसा हुआ है जब इस्लामाबाद में सत्ता पर काबिज पार्टी क्षेत्र के चुनावों में स्पष्ट बहुमत हासिल करने में विफल रही है. मंगलवार को जारी आधिकारिक परिणामों के अनुसार इमरान खान की पीटीआई को 10, निर्दलीयों को 6 और पीपीपी को एक सीट पर जीत मिली है. इस क्षेत्र में 15 नवंबर को मतदान हुआ था, जिसमें विपक्षी पार्टियों ने धांधली का आरोप लगाया था. (फोटो सौ. न्यूज18 इंग्लिश)
गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र के आनुपातिक प्रतिनिधित्व की प्रणाली के तहत महिलाओं, टेक्नोक्रेट्स और पेशेवरों के लिए आरक्षित नौ सीटों पर छह और पीटीआई उम्मीदवार चुने गए हैं. वहीं, सरकार बनाने की कोशिश में जुटी पीटीआई के गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र के वित्तीय सचिव प्रोफेसर अजमल हुसैन ने चुनाव में धांधली के आरोपों को खारिज कर दिया है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री इमरान खान ने भारत, अमेरिका और अन्य के दबाव के बावजूद एक साहसिक निर्णय लिया. (फोटो सौ. न्यूज18 इंग्लिश)