मुंबई (Mumbai) में हुए 26/11 हमलों के 12 वर्षों बाद, पाकिस्तान ने प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा के 19 आतंकवादियों (Terrorists) को इस वारदात को अंजाम देने के लिए 'सर्वाधिक वांछित आतंकवादियों' की सूची में रखा तो जरूर लेकिन उन्हें पकड़ने के लिए उसने कोई गंभीर प्रयास नहीं किये और न ही उन 7 आतंकियों को दंडित करने की कोई कोशिश की जो यहां मुकदमे का सामना कर रहे हैं. सुरक्षा एजेंसियों को यहां इन 19 मोस्ट वॉटेंड आतंकवादियों के पते-ठिकाने की कोई जानकारी नहीं. उनमें से कुछ पाकिस्तान में छिपे हैं और अन्य के बारे में माना जाता है कि वे देश छोड़कर भाग गए हैं. ये आतंकवादी या तो हमलावरों द्वारा इस्तेमाल नावों के चालकदल के सदस्य थे या फिर 26/11 हमले के लिए आर्थिक मदद करने वाले. (फोटो सौ. न्यूज18 इंग्लिश)
लश्कर के इन 19 आतंकवादियों को सूची में शामिल करने का कदम संभवत: पेरिस स्थित वैश्विक धन शोधन और आतंकी वित्त पोषण निगरानी संस्था के पाकिस्तान को फरवरी 2021 तक 'ग्रे सूची में रखने के फैसले के बाद किया गया. फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने पाकिस्तान के छह प्रमुख दायित्वों को पूरा करने में विफल रहने पर यह फैसला किया था. पाकिस्तान जिन दायित्वों को पूरा करने में विफल रहा उनमें भारत के दो सर्वाधिक वांछित आतंकवादी- जमात-उद-दावा के प्रमुख हाफिज सईद और जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर के खिलाफ कार्रवाई करना भी शामिल था. (फोटो सौ. न्यूज18 इंग्लिश)
संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) के अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षा एजेंसियों ने पाकिस्तान में 1200 सर्वाधिक वांछित/प्रमुख आतंकवादियों की सूची तैयार की है जिससे उन्हें पकड़ने में विभिन्न प्राधिकारों के बीच बेहतर समन्वय रहे. पाकिस्तान की शीर्ष जांच एजेंसी एफआईए 2009 से मुंबई आतंकी हमले की जांच कर रही है और इस भयावह हमले में शामिल 19 मोस्ट वॉटेंड आतंकवादियों की तलाश कर रही है. नवंबर 2008 में समुद्र के रास्ते कराची से मुंबई आए लश्कर के 10 आतंकवादियों ने एक साथ हमला कर 166 लोगों की हत्या कर दी थी और 300 से ज्यादा लोगों को घायल कर दिया था. सुरक्षा बलों ने नौ आतंकवादियों को मार गिराया था जबकि जिंदा पकड़े गए एक मात्र आतंकवादी अजमल कसाब को भारत में मुकदमे के बाद फांसी दे दी गई थी. (फोटो सौ. न्यूज18 इंग्लिश)
26/11 आतंकी हमले का मामला 2009 से ही रावलपिंडी/इस्लामाबाद की आतंकवाद रोधी अदालतों में लंबित है. मुंबई हमला मामले में मौजूदा स्थिति के बारे में एफआईए के मुख्य अभियोजक चौधरी अजहर ने कहा, ''भारत द्वारा मामले के साक्ष्यों और अपने 24 गवाहों को बयान दर्ज करने के लिए पाकिस्तान भेजने से इनकार किए जाने के बाद इस मामले में कार्यवाही रुक गई. भारत जब तक इस मुद्दे पर सहयोग नहीं करेगा मामला आगे नहीं बढ़ सकता.'' व्यवहारित रूप से बीते दो सालों से इस मामले में कोई सुनवाई नहीं हुई.
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