इस्लामिक स्टेट (IS) के बढ़ते खतरे के बीच अफगानिस्तान (Afghanistan) में सिख और हिंदू समुदाय के लोग देश छोड़ रहे हैं. अब वहां इन लोगों की संख्या मात्र 700 के करीब रह गई है.
इस्लामिक स्टेट (IS) से संबंधित स्थानीय समूहों की ओर से बढ़ते खतरे के बीच अफगानिस्तान (Afghansitan) में बचे हुए सिख और हिंदू समुदाय के चंद लोग भी अब इस देश को छोड़ रहे हैं. असुरक्षा के चलते वे अपनी जन्मभूमि को छोड़ने को विवश हैं. कभी 2,50,000 सदस्यों वाले इन समुदायों के लोगों की संख्या अब घटकर मात्र 700 के आसपास बची है. मुस्लिम बाहुल्य इस देश में सिखों और हिदुओं के साथ होने वाले गहरे पक्षपात के कारण इनके सदस्यों की संख्या लगातार कम होती जा रही है. इन समुदाय के लोगों का कहना है कि यदि उन्हें सरकार से पर्याप्त सरंक्षण नहीं मिलता है तो आईएस समूह के हमलों के कारण उन्हें पूरी तरह पलायन करना पड़ सकता है. (फोटो सौ. न्यूज18 इंग्लिश)
डर के कारण अपना पूरा नाम नहीं बताने वाले हमदर्द ने कहा, हम अब यहां और रुकने में समर्थ नहीं हैं. हमदर्द ने कहा कि मार्च में उनके समुदाय के मंदिर पर हुए हमले में उनके सात रिश्तेदार मारे गए थे. इस हमले में 25 सिखों की मौत हो गई थी. उन्होंने कहा कि अपनी मातृभूमि को छोड़कर जाना उतना ही मुश्किल है, जैसे अपनी मां को छोड़कर जाना. इसके बावजूद हमदर्द उस हिंदू-सिख समूह का हिस्सा रहे जोकि पिछले महीने भारत गया था. (फोटो सौ. न्यूज18 इंग्लिश)
वैसे तो सिख और हिंदू दो अलग-अलग धर्म हैं लेकिन फिर भी अफगानिस्तान में इनकी संख्या बेहद कम होते जाने डर के कारण ये सभी एक छोटे से मंदिर में एकत्र होकर ही अपने-अपने धर्म के अनुसार उपासना करते हैं. हमदर्द ने आरोप लगाया कि इस रूढ़ीवादी मुस्लिम देश में उनके समुदाय को व्यापक भेदभाव का सामना करना पड़ा है और लगभग हर सरकार अपने तरीके से उन्हें धमकाती रही हैं. (फोटो सौ. न्यूज18 इंग्लिश)
इन समुदाय के तमाम लोगों के घरों को जब्त किए जाने के चलते ऐसे लोग पूरी तरह से देश छोड़कर जाने को मजबूर हैं. अफगान में 1992-96 के दौरान प्रतिद्वंदी समूहों के बीच चली लड़ाई के दौरान भी काबुल में हिंदूओं के मंदिर तबाह कर दिए गए. उस दौरान भी बहुत सारे हिंदू और सिख अफगानियों को देश छोड़कर जाना पडा था. (फोटो सौ. न्यूज18 इंग्लिश)