आज हिन्दुस्तान के कई घरों में चूल्हा नहीं जला. सही मायनों में जनता के प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी आज पंचतत्व में विलीन हो गए. घर से लेकर BJP दफ़्तर और BJP दफ़्तर से लेकर स्मृति स्थल तक हजारों लोगों के हुजूम ने उन्हें आख़िरी विदाई दी. अटलजी की जय-जयकार जैसे गगनभेदी नारों के बीच भारतरत्न अंतिम सफ़र पर रवाना हुए. दकियानूसी परम्पराओं को तोड़कर प्रगतिशील उदारवाद के पथ पर चलने वाले अटलजी ने आख़िरी सफ़र पर एक और परम्परा को तोड़ दिया. बेटी नम्रता ने उन्हें मुखाग्नि दी. युग पुरुष का फलसफा होता है, जिन्दगी अच्छे से जीनी है तो मौत को याद रखो. कवि, साहित्यकार, पत्रकार, राजनेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने जिन्दगी को इंद्रधनुषी रंग दिया. सियासत की गम्भीरता, कवि की कोमलता, पत्रकार का दोटूकपन और जिन्दगी का चितेरा अटलजी को यूँ ही नहीं कहा जाता था.
सुमित अवस्थी
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