अंग्रेजी के प्रति हमारा आग्रह उतना ही पुराना है जितना हिन्दुस्तान में अंग्रेजों का इतिहास. अंग्रेजी भाषा हमेशा से हिंदुस्तान में बहस का मुद्दा रही है. एक तर्क ये दिया जाता है अंग्रेजी विदेशी और हिंदी हमारी मात्र भाषा है. दूसरा नजरिया बताता है की हिन्दुस्तान में कोस-कोस पर पानी बदले, ढाई कोस पर बानी।
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