फिक्स्ड और फ्लोटिंग रेट में क्या है अंतर और क्या है बेहतर?
फिक्स्ड रेट में ब्याज दर कर्ज चुकता होने तक एक समान रहती है.
फ्लोटिंग रेट बाहरी कारकों पर निर्भर करता है और संशोधित होता रहता है.
फिक्स्ड रेट पहली बार में बेहतर लग सकती है लेकिन इसके नुकसान अधिक हैं.
इसमें प्री पेमेंट पर पेनल्टी लगती है.
इसमें ब्याज फ्लोटिंग रेट से काफी अधिक होता है.
बैंक द्वारा भविष्य में ब्याज दर घटाने का लाभ नहीं मिलेगा.
हालांकि, फिक्स्ड रेट के कुछ फायदे हैं जैसे ब्याज दरों में वृद्धि से आप प्रभावित नहीं होंगे.
साथ ही आपको सटीक तरीके से पता होगा कि कितना कर्ज चुकाना है.
विशेषज्ञ सेमी-फिक्स्ड रेट का लाभ उठाने की सलाह देते हैं.
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