Mysterious Place: बीजापुर की रहस्यमयी गुफा, विराजते हैं श्रीकृष्ण, घुटनों के बल पहुंचते हैं भक्त
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Agency:News18 Chhattisgarh
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Bijapur Cave Sakal Narayan: छत्तीसगढ़ के बीजापुर इलाके में एक ऐसी गुफा है जिसके बारे में शायद ही आप जानते होंगे. यहां भगवान श्रीकृष्ण विराजते हैं. इतना ही नहीं यहां हर साल मेला भी लगता है. (रिपोर्ट- रंजन दास)
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छत्तीसगढ़ के बीजापुर में एक ऐसी रहस्यमयी गुफा है जिसका संबंध महाभारत काल से बताया जाता है. यह समूचे बस्तर में इकलौती गुफा है जिसके भीतर भगवान श्रीकृष्ण विराजमान हैं. गुफा का दरवाजा साल में सिर्फ एक बार हिन्दू नववर्ष पर ही खुलते है.
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यह सकल नारायण की गुफा है जो भोपालपटनम ब्लॉक मुख्यालय से 6 किलोमीटर दूर पोषडपल्ली की पहाड़ी पर स्थित है. पहाड़ी पर भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति बसी हुई है.
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गुफा में कई सालों से भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति रखी हुई है. हर साल गुड़ी पड़वा और हिन्दू नववर्ष के दिन बड़ी तादात में श्रद्धालू यह पहुंचकर दर्शन कर मन्नत मांगते हैं. इस साल भी भक्तों के लिए गुफा के द्वार खुल चुके हैं. श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला जारी है.
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यहां रखे कुछ अंश बताते हैं कि रामायण और महाभारत काल के कुछ रहस्य छिपे हुए हैं. गुफा के अंदर बहुत सारी सुरंग हैं. इन सुरंगों में भगवान विराजे हुए हैं. पहाड़ी के अंदर 10 मीटर की सुरंग है, जहां गोपिकाओं की मूर्तियां विराजी हुई हैं. भक्त यहां भी घुटनों के बल जाकर दर्शन कर लौटते हैं.
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गुफा तक पहुंचने कोई पक्का रास्ता नही है. पगडंडियों के रास्ते से होकर भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन करने भक्त पहुंचते हैं. इसके आलावा कोई और रास्ता नहीं हैं.
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गुफा का आखिरी दरवाजा एकदम अनोखा है. गुफा के आस-पास सैकड़ों मधुमक्खियों के छत्ते लगे हुए हैं. पहाड़ी के आसपास गांव के पुजारी और ग्रामीण इस दर्शन की पूरी व्यवस्था करते है. जहां भगवान बसे हैं उसकी ऊंचाई लगभग 1 हजार मीटर है.
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गुफा के अंदर घुप अंधेरा छाया हुआ रहता हैं. भक्त साथ टार्च के सहारे प्रवेश करते हैं. प्रवेश द्वार पर चौखट लगा है. बाहर निकलने का रास्ता काफी सकरा है. घुटनों के बल चलकर भक्त मंदर से निकलते है. ना सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र, तेलंगाना से भी भक्त यहां दर्शन अभिलाषा लेकर जुटते है.
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गुड़ी पड़वा यानी हिन्दू नववर्ष पर पहाड़ी के नीचे भव्य मेला भी लगता है. बताया जाता है कि सन 1900 में गुफा की खोज हुई थी. हर साल यहां चैत्र कृष्ण पक्ष अमावस्या के 3 दिन पहले से मेला लगता है, जो चैत्र शुक्ल प्रतिपदा यानी नवरात्र शुरू होने वाले दिन इस मेले का समापन होता है. इस मेले को हिंदू साल का अंतिम और आगमन मेला कहा जाता हैं. बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. नए साल के आगमन पर भगवान श्री कृष्ण से सुख, शांति, समृद्धि और सौभाग्य की कामना करते हैं.
First Published :
March 30, 2025, 12:15 IST