कर्ज, केमिकल और कड़ी मेहनत...खेत में काम करते किसान कैसे बन रहे बीमारियों के शिकार
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Agency:Local18
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Farmer Diseases: महाराष्ट्र के किसान जलवायु परिवर्तन, कर्ज, रासायनिक खेती और लगातार शारीरिक श्रम से गंभीर बीमारियों का सामना कर रहे हैं. मानसिक तनाव, फेफड़ों की समस्या, त्वचा रोग और हीटस्ट्रोक जैसे खतरे उनकी सेहत पर भारी पड़ रहे हैं.

महाराष्ट्र के किसान देश की खाद्य सुरक्षा की रीढ़ हैं. उनकी मेहनत से हर घर की थाली में अनाज पहुँचता है, लेकिन दुख की बात है कि खेती में दिन-रात पसीना बहाने वाले किसान खुद कई बीमारियों से जूझ रहे हैं. लगातार बदलते मौसम, महंगी खेती, कर्ज का बोझ और रसायनों के बढ़ते इस्तेमाल ने किसानों की सेहत पर गहरा असर डाला है.
मानसिक तनाव बना सबसे बड़ा खतरा
किसानों के लिए सबसे खतरनाक चुनौती मानसिक तनाव बनता जा रहा है. मौसम की मार, फसल का नुकसान, कर्ज की चिंता और पारिवारिक जिम्मेदारियों के बोझ ने कई किसानों को अवसाद में धकेल दिया है. खेती से होने वाली आमदनी में गिरावट और भविष्य की अनिश्चितता के कारण उनका मानसिक संतुलन बिगड़ता जा रहा है. कई बार यही मानसिक तनाव आत्महत्या जैसी दुखद घटनाओं का कारण बन जाता है. विशेषज्ञों का मानना है कि ग्रामीण इलाकों में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी जागरूकता और काउंसलिंग की बेहद जरूरत है.
किसानों के लिए सबसे खतरनाक चुनौती मानसिक तनाव बनता जा रहा है. मौसम की मार, फसल का नुकसान, कर्ज की चिंता और पारिवारिक जिम्मेदारियों के बोझ ने कई किसानों को अवसाद में धकेल दिया है. खेती से होने वाली आमदनी में गिरावट और भविष्य की अनिश्चितता के कारण उनका मानसिक संतुलन बिगड़ता जा रहा है. कई बार यही मानसिक तनाव आत्महत्या जैसी दुखद घटनाओं का कारण बन जाता है. विशेषज्ञों का मानना है कि ग्रामीण इलाकों में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी जागरूकता और काउंसलिंग की बेहद जरूरत है.
रासायनिक खेती से फेफड़ों पर वार
खेती में इस्तेमाल होने वाले कीटनाशक और रासायनिक उर्वरकों से किसानों के फेफड़े प्रभावित हो रहे हैं. किसान जब इन जहरीले रसायनों के संपर्क में आते हैं तो उन्हें अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. मास्क या सुरक्षा उपकरणों की कमी से यह खतरा और भी बढ़ जाता है.
खेती में इस्तेमाल होने वाले कीटनाशक और रासायनिक उर्वरकों से किसानों के फेफड़े प्रभावित हो रहे हैं. किसान जब इन जहरीले रसायनों के संपर्क में आते हैं तो उन्हें अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. मास्क या सुरक्षा उपकरणों की कमी से यह खतरा और भी बढ़ जाता है.
शारीरिक मेहनत का असर हड्डियों और मांसपेशियों पर
किसानों को पूरे दिन खेतों में झुककर काम करना पड़ता है, भारी बोझ उठाना पड़ता है और अक्सर उन्हें तेज धूप या बारिश में काम करना पड़ता है. इससे उनके शरीर पर काफी दबाव पड़ता है. जोड़ों का दर्द, पीठ में तकलीफ और मांसपेशियों की अकड़न आम होती जा रही है. बावजूद इसके, इलाज और पर्याप्त आराम की व्यवस्था किसानों को नहीं मिल पाती.
किसानों को पूरे दिन खेतों में झुककर काम करना पड़ता है, भारी बोझ उठाना पड़ता है और अक्सर उन्हें तेज धूप या बारिश में काम करना पड़ता है. इससे उनके शरीर पर काफी दबाव पड़ता है. जोड़ों का दर्द, पीठ में तकलीफ और मांसपेशियों की अकड़न आम होती जा रही है. बावजूद इसके, इलाज और पर्याप्त आराम की व्यवस्था किसानों को नहीं मिल पाती.
त्वचा की बीमारियों का बढ़ता खतरा
किसानों को लगातार मिट्टी, रसायनों और बदलते मौसम के संपर्क में रहना पड़ता है. इसके कारण उन्हें त्वचा संबंधी बीमारियाँ जैसे एलर्जी, खुजली, चकत्ते और जलन हो जाती हैं. इलाज के अभाव में ये समस्याएं गंभीर रूप ले सकती हैं, जिससे उनकी दैनिक जिंदगी प्रभावित होती है.
किसानों को लगातार मिट्टी, रसायनों और बदलते मौसम के संपर्क में रहना पड़ता है. इसके कारण उन्हें त्वचा संबंधी बीमारियाँ जैसे एलर्जी, खुजली, चकत्ते और जलन हो जाती हैं. इलाज के अभाव में ये समस्याएं गंभीर रूप ले सकती हैं, जिससे उनकी दैनिक जिंदगी प्रभावित होती है.
हीटस्ट्रोक बन रहा जानलेवा
गर्मियों में खेतों में काम करना किसानों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है. पसीने से तर शरीर, पानी की कमी और धूप की तपिश उन्हें हीटस्ट्रोक की चपेट में ला रही है. कई बार किसान बेहोश हो जाते हैं, और कुछ मामलों में उनकी जान भी चली जाती है. जलवायु परिवर्तन के चलते यह समस्या और बढ़ती जा रही है.
गर्मियों में खेतों में काम करना किसानों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है. पसीने से तर शरीर, पानी की कमी और धूप की तपिश उन्हें हीटस्ट्रोक की चपेट में ला रही है. कई बार किसान बेहोश हो जाते हैं, और कुछ मामलों में उनकी जान भी चली जाती है. जलवायु परिवर्तन के चलते यह समस्या और बढ़ती जा रही है.
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