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Agriculture Tips: पथरीली जमीन पर भी उग सकता है ये फसल, किसानों को बना देगा मालामाल! पानी की खपत भी होगी कम

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बदलते समय मौसम और बाजार की मांग ने अब किसानों को नई राह अपनाने को लेकर प्रेरित किया है. अब किसान पारंपरिक अमरूद की जगह नींबू की खेती की ओर रूख कर रहे हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह है अमरूद का जल्दी खराब हो जाना और बाजार में उसका गिरता हुआ मूल्य.

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भरतपुर:- कभी जिस धरती पर खेती करना बेहद मुश्किल था, वहीं आज किसानों की मेहनत और सूझबूझ के बलबूते हजारों एकड़ भूमि पर फलदार बागवानी हो रही है. इस क्षेत्र की पहचान सालों तक अमरूद की बागवानी रही है. गांव मोरदा और आसपास के क्षेत्रों में किसानों ने कठोर परिश्रम कर बंजर और पथरीली जमीन को उपजाऊ बनाया और वहां अमरूद के बाग लगाए. हालांकि बदलते समय मौसम और बाजार की मांग ने अब किसानों को नई राह अपनाने को लेकर प्रेरित किया है.

अब किसान पारंपरिक अमरूद की जगह नींबू की खेती की ओर रूख कर रहे हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह है अमरूद का जल्दी खराब हो जाना और बाजार में उसका गिरता हुआ मूल्य. अमरूद जहां 24 घंटे के भीतर खराब हो सकता है, वहीं नींबू एक सप्ताह तक ताजा बना रहता है. इसके अलावा नींबू की मांग सालभर बनी रहती है. उसका बाजार मूल्य भी तुलनात्मक रूप से अधिक स्थिर और लाभकारी रहता है.
पानी की कम खपत और देखरेख की जरूरत
नींबू की खेती में न केवल कम जोखिम है, बल्कि पानी की कम खपत और कम देख-रेख में भी यह बेहतर उत्पादन देती है. यही कारण है कि वैर उपखंड की करीब 8000 एकड़ भूमि जहां कभी केवल अमरूद की बागवानी होती थी, अब नींबू की महक से भरने लगी है. गांव मोरदा के कई किसानों ने अमरूद के स्थान पर नींबू के पौधे लगाकर इस बदलाव की अगुवाई की है.
पथरीली जमीन बन सकती है उपजाऊ
उन्होंने आधुनिक तकनीक, ड्रिप सिंचाई और जैविक खाद का उपयोग कर नींबू की खेती को न सिर्फ सफल बनाया, बल्कि क्षेत्र के अन्य किसानों के लिए एक प्रेरणा भी पेश की है. यह बदलाव केवल कृषि उत्पादन का नहीं, बल्कि सोच और समझ का प्रतीक है. वैर क्षेत्र के किसान यह साबित कर चुके हैं कि यदि इच्छा शक्ति और नवाचार हो, तो पथरीली जमीन भी सोना उगल सकती है. अब वैर क्षेत्र के किसान नींबू की बागवानी की ओर अपना रूख बदल सकते हैं.
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पथरीली जमीन पर भी उग सकता है ये फसल, बागवानी कर किसान बढ़ा सकते हैं इनकम!
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