किसान भूल जाएंगे गेहूं-धान, पुणे से मंगाया इस फल के लहलहाते पौधे, 60 दिनों में हो रही है छप्परफाड़ कमाई
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Lakhimpur Strawberry Cultivation: यूपी के लखीमपुर खीरी में किसान पारंपरिक खेती छोड़कर सब्जियों और फलों की खेती कर रहे हैं. वहीं, स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले किसान ने बताया कि इस फसल में लागत कम और मुनाफा अधिक है. यह फसल 60 दिनों में तैयार हो जाती है.
लखीमपुर खीरी: भारत एक कृषि प्रधान देश है. यहां की 80% प्रतिशत आबादी आज भी कृषि कार्यों में संलग्न है. यही वजह है कि भारत आजादी के बाद दिन प्रतिदिन कृषि में आधुनिकता और वैज्ञानिकता को शामिल करता चला आ रहा है. उत्तर प्रदेश के लखीमपुर जिले में किसान यदुनंदन स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं. अब वह नाम के साथ-साथ लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं. उन्होंने स्ट्रॉबेरी के लिए पौधे बाहर से मंगवाए थे. वह 15 सालों से लगातार स्ट्रॉबेरी की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.
यहां से मंगाए जाते हैं पौधे
किसान यदुनंदन पुजारी ने बताया कि हम पिछले 15 सालों से लगातार खेती कर रहे हैं. वह स्ट्रॉबेरी के पौधों को पुणे से मंगवाते हैं. उन्होंने बताया कि स्ट्रॉबेरी के पौधे 45 से 60 दिन के भीतर तैयार हो जाते हैं और 60 दिन में इसमें फल की तोड़ाई चालू हो जाती है. उनके पास करीब 1500 पौधे स्ट्रॉबेरी के तीन बीघा में लगे हुए हैं. बता दें कि सर्दियों के मौसम में स्ट्रॉबेरी की खेती की जाती है और बाजारों में स्ट्रॉबेरी की डिमांड अधिक रहती है. इससे किसानों को अच्छा मुनाफा हो रहा है. स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए जमीन की मिट्टी बलुई-दोमट होनी चाहिए.
पारंपरिक फसल से भाग रहे हैं किसान
पारंपरिक फसलों की खेती अब धीरे-धीरे नगदी फसलों की ओर बदल रही है, जिसमें फल की बागवानी खासतौर पर स्ट्रॉबेरी की खेती किसानों के लिए आकर्षण का केंद्र बन चुकी है. इस बदलाव से किसानों की कमाई में भी बढ़ोतरी हो रही है. दरअसल, पारंपरिक फसलों की तुलना में नकदी फसलों में मुनाफा अच्छा होता है और कम समय में फायदा मिलता है. इसलिए किसान अब इस ओर ज्यादा रुख कर रहे हैं.
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