Dhanu Rashifal: प्रेम का चक्कर इस राशि वालों पर पड़ेगा भारी, इन कार्यों में मिल सकती है सफलता, जान लें योग
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आज धनु राशि वालों के जीवन में कुछ बदलाव आने वाला है. आज के दिन धनु राशि वाले प्रेम प्रसंग में न फंसे, नहीं तो भारी नुकसान उन्हें हो सकता है.कर्कश चंद्रमा होने के कारण रात्रि यंत्र घंटा 4 बजकर 29 मिनट तक कर्क में ही रहेंगे और सभी ग्रह तदनुकूल ही रहेंगे.
दरभंगा:- नाम के पहले अक्षर के आधार पर व्यक्ति की राशि तय होती है, जिससे आपके भविष्य की गणनत ज्योतियों के द्वारा की जाती है. इसी क्रम में आज हम आपको धनु राशि वालों की राशिफल इस खबर में बताने जा रहे हैं. इसमें आज के दिन धनु राशि वाले प्रेम प्रसंग में न फंसे, नहीं तो भारी नुकसान उन्हें हो सकता है. कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर ज्योतिष विभाग के विभागअध्यक्ष डॉक्टर कुणाल कुमार झा लोकल 18 को बताते हैं कि आज दिनांक 19 दिसंबर 2024 को धनु राशि वालों के लिए पूर्वत फलाफल कारक योग है.
इन सम्बंधों में बाधा कारक योग
कर्कश चंद्रमा होने के कारण रात्रि यंत्र घंटा 4 बजकर 29 मिनट तक कर्क में ही रहेंगे और सभी ग्रह तदनुकूल ही रहेंगे. इसलिए खास करके शारीरिक पीड़ा कारक योग है. व्यापार क्षेत्र में भी बाधा कारक योग है, राजनीति क्षेत्र में भी बाधा कारक योग है. साझेदारी वाले काम में आंशिक सफलता मिलेगी, लेकिन विलंब होगा. प्रेम संबंध प्रसंग में बाधा कारक योग है. मातृ सुख और सभी प्रकार के सुख में भी बाधा कारक योग है. लेकिन धन का आगमन करके योग प्रबल है. आज का जो दिन है, खासकर शारीरिक कष्ट कारक है. इसमें लग्नस्थ सूर्य होने के कारण स्थान हानिकारक योग है और असमस्त चंद्र होने के कारण शारीरिक कष्ट कारक है और मंगल अष्टमत होने के कारण रक्त दोष कारण है.
कर्कश चंद्रमा होने के कारण रात्रि यंत्र घंटा 4 बजकर 29 मिनट तक कर्क में ही रहेंगे और सभी ग्रह तदनुकूल ही रहेंगे. इसलिए खास करके शारीरिक पीड़ा कारक योग है. व्यापार क्षेत्र में भी बाधा कारक योग है, राजनीति क्षेत्र में भी बाधा कारक योग है. साझेदारी वाले काम में आंशिक सफलता मिलेगी, लेकिन विलंब होगा. प्रेम संबंध प्रसंग में बाधा कारक योग है. मातृ सुख और सभी प्रकार के सुख में भी बाधा कारक योग है. लेकिन धन का आगमन करके योग प्रबल है. आज का जो दिन है, खासकर शारीरिक कष्ट कारक है. इसमें लग्नस्थ सूर्य होने के कारण स्थान हानिकारक योग है और असमस्त चंद्र होने के कारण शारीरिक कष्ट कारक है और मंगल अष्टमत होने के कारण रक्त दोष कारण है.
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इन क्षेत्रों में मिल सकती है सफलता
बुद्ध व्यस्त होने के कारण हरास कारक योग है और बृहस्पति खष्ट होने के कारण शोक कारक योग है और शुक्र द्वितीयस्त होने के कारण धनागम कारक योग है. शनि तृतीयस्थ होने के कारण लाभ कारक योग है और राहु चतुर्थ भाव में होने के कारण शत्रु वृद्धि कारक योग है. वहीं केतू कर्मस्त होने के कारण शोक कारक योग है. जातक को रक्त दोष, उदर पीड़ा, संतान सुख, पारिवारिक सुख में बाधा, व्यापार, कृषि और राजनीतिक क्षेत्र में बाधा, किसी भी प्रकार के साझेदारी काम का प्रारंभ करने से आंशिक विलंब से सफलता होगी.
बुद्ध व्यस्त होने के कारण हरास कारक योग है और बृहस्पति खष्ट होने के कारण शोक कारक योग है और शुक्र द्वितीयस्त होने के कारण धनागम कारक योग है. शनि तृतीयस्थ होने के कारण लाभ कारक योग है और राहु चतुर्थ भाव में होने के कारण शत्रु वृद्धि कारक योग है. वहीं केतू कर्मस्त होने के कारण शोक कारक योग है. जातक को रक्त दोष, उदर पीड़ा, संतान सुख, पारिवारिक सुख में बाधा, व्यापार, कृषि और राजनीतिक क्षेत्र में बाधा, किसी भी प्रकार के साझेदारी काम का प्रारंभ करने से आंशिक विलंब से सफलता होगी.
नवीन कार्य आरम्भ करने पर भविष्य में सफलता की प्राप्ति होगी. खासकर के तृतीयस्थ अर्थात भाताभाव कारक जो बुद्ध है, वह व्यस्त होने के कारण प्रेम से संबंधित प्रासंगिक हानिकारक योग है. अर्थात धनु राशि वाले प्रेम प्रसंग में न फंसे, अगर फसेंगे तो उन्हें धन हानि का सामना करना पड़ेगा और पैतृक धनों का हरास कारक योग है.
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Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.
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