Ruby Gemstone: सरकारी नौकरी, राजनीति और समाज में मान-सम्मान दिलाता है ये रत्न, जानें इसे पहनने के फायदे
Written by:
Last Updated:
Ruby Gemstone: माणिक पत्थर को अंगुली में धारण करने से कई फायदे होते हैं. हालांकि माणिक रत्न हर किसी को नहीं धारण करना चाहिए. किसी अच्छे ज्योतिष की सलाह लेकर ही इसे अंगुली में धारण करना चाहिए. माणिक रत्न का लाल रंग मेष राशि के लोगों के उग्र स्वभाव से बिल्कुल मेल खाता है.
माणिक्य रत्न पहनने से मान-सम्मान और प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है.Ruby Gemstone: माणिक को रत्नों का राजा कहा जाता है. इसके सौंदर्य मूल्य के साथ-साथ भौतिक और आध्यात्मिक गुण इसे अत्यधिक बेशकीमती रत्न बनाते हैं. इतिहास कहता है कि यह अपने पहनने वाले के लिए धन और शक्ति लाता है. ज्योतिषियों के मुताबिक, माणिक पत्थर को अंगुली में धारण करने से कई फायदे होते हैं. माणिक रत्न आत्मविश्वास और आत्मसम्मान को बढ़ाता है. यह पहनने वाले को नेतृत्व शक्ति प्रदान करता है. हालांकि माणिक रत्न हर किसी को नहीं धारण करना चाहिए. किसी अच्छे ज्योतिष की सलाह लेकर ही इसे अंगुली में धारण करना चाहिए. आइए जानते हैं कि माणिक रत्न पहनने के क्या फायदे होते हैं.
माणिक पहनने के फायदे : माणिक या माणिक्य से राजकीय और प्रशासनिक कार्यों में सफलता मिलती है. यदि इसका लाभ हो रहा है तो आपके चेहरे पर चमक आ जाएगी अन्यथा सिरदर्द होगा और पारिवारिक समस्या भी बढ़ जाएगी. अपयश झेलना पड़ सकता है.
- स्वास्थ्य लाभ: माणिक्य रत्न हमारे ब्लड फ्लो को कण्ट्रोल करने में काफी मदद करता है और हृदय के रोगों को कम करने में भी सहायता करता है. इसे पहनने से आंत्र का अच्छा विकास होता है, पाचन संबंधी समस्याओं से राहत मिलती है और आंत्र का इन्फेक्शन भी ठीक किया जा सकता है.
- मानसिक बल: माणिक किसी भी धारक को मेन्टल बैलेंस, मन को शांति और स्थिरता प्रदान करता है. यह तनाव को कम करने में अत्यंत मददकारी है और साइकोलॉजिकल समस्याओं जैसे डिप्रेशन और व्यक्तित्व के मसलों को भी सुलझाने में हेल्प कर सकता है. मानिक धारण करने से व्यक्ति का कॉन्फिडेंस बढ़ता है और उसकी निर्णय लेने की एबिलिटी बढ़ती है.
- सफलता और सामाजिक सम्मान: माणिक रत्न व्यक्ति को सफलता और सम्मान के द्वार तक पहुंचाता है. इसी कारण इसे “राज रत्न” भी कहा जाता है क्योंकि यह व्यक्ति को राजत्व की प्राप्ति भी कराने में समर्थ है. माणिक्य व्यक्ति को बड़े स्तर पर सोचने की क्षमता है और बिज़नेस के नए-नए अवसरों को पहचानने में मदद करता है.
- धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ: माणिक रत्न को पहनने वाला व्यक्ति स्पिरिचुअल रूप से भी काफी उज्जवल रहते हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह रत्न मन को शांति, आध्यात्मिक उन्नति और आशा की प्राप्ति कराता है.
- रोग-निरोधक गुण: माणिक में पाये जाने वाले मेटल इसे एक बहुत मजबूत रत्न बनाते हैं. साथ ही साथ इसमें पाए जाने वाले मिनरल मानव शरीर को रोगों से लड़ने की क्षमता देता है. इसके प्रयोग से रक्त संचार बढ़ाया जा सकता है, जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.
- प्रेम सम्बन्धी उन्नति: माणिक रत्न व्यक्ति को प्रेम और आदर्श की राह पर चलने के लिए मोटीवेट करता है. यह प्रेम और संबंधों को मजबूती देता है और अपने पार्टनर की सुख दुख को स्वीकार करने में अत्यंत लाभकारी है. माणिक व्यक्ति को अपनी भावनाएं खुल कर एक्सप्रेस करने में मदद करता है, जिससे उन्हें पार्टनर के साथ संबंधों का आनंद लेने में सहायता मिलती है.
इस लग्न के लोग माणिक रत्न नहीं करें धारण : ज्योतिषियों के अनुसार, मिथुन, कन्या, तुला, मकर और कुंभ लग्न के जातकों को माणिक रत्न धारण नहीं करना चाहिए. इसके अलावा जो लोग लोहे, तेल या कोयले से जुड़ा काम करते हैं, उन्हें भी ये रत्न धारण करने से बचना चाहिए. इन लोगों को माणिक रत्न धारण करने से अशुभ परिणाम मिल सकते हैं.
क्यों पहनते हैं माणिक्य : यदि आपकी कुंडली में सूर्य ग्रह नीच का है या किसी शत्रु ग्रह के साथ बैठा है तो उसे मजबूत बनाने के लिए ज्योतिष की सलाह पर माणिक्य रत्न पहनकर अपनी किस्मत को चमका सकते हैं क्योंकि सूर्य के शुभ फल देने से जातक शासन प्रशासन सहित उच्च क्षेत्र में अच्छा पद और मान सम्मान प्राप्त करता है.
माणिक्य के उपरत्न : रेड गार्नेट यानी तामड़ा अथवा ताम्रमणि, रेड टर्मेलाइन यानी लाल तुरमली, स्पिनील या स्पाइनल यानी कंटकिज़, रेड स्वरोस्की, लालड़ी अथवा सूर्यमणि, सींगली एवं सूर्याश्म सभी को माणिक्य का उपरत्न माना जाता है. खालिस तांबे की अंगूठी से भी सूर्य पीड़ा को शांत किया जा सकता है.
किस धातु और अंगुली में पहनें माणिक्य : माणिक को तांबे या सोने की अंगूठी में जड़वाकर अनामिका में धारण करते हैं. माणिक के सभी उपरत्नों को चांदी में पहना जा सकता है.
माणिक्य के प्रभाव : माणिक्य का प्रभाव अंगूठी में जड़ाने के समय से 4 वर्षों तक रहता है, इसके बाद दूसरा माणिक्य जड़वाना चाहिए. यही नियम उपरोक्त उप रत्नों पर भी लागू होते हैं.
About the Author
Dr Gaurav Kumar Dixit
डॉ. गौरव कुमार दीक्षित, ज्योतिष, न्यूमेरोलॉजी, टैरो रीडिंग, एस्ट्रो वास्तु, टैटू एक्टिवेशन,जेमोलॉजी में 10 वर्षों का अनुभव है. कालसर्प दोष (ज्योतिष विज्ञान) में पीएचडी गोल्ड मेडलिस्ट हैं. इस समय में News18Hindi...और पढ़ें
डॉ. गौरव कुमार दीक्षित, ज्योतिष, न्यूमेरोलॉजी, टैरो रीडिंग, एस्ट्रो वास्तु, टैटू एक्टिवेशन,जेमोलॉजी में 10 वर्षों का अनुभव है. कालसर्प दोष (ज्योतिष विज्ञान) में पीएचडी गोल्ड मेडलिस्ट हैं. इस समय में News18Hindi... और पढ़ें
न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
और पढ़ें