Games & Sports: ट्रेनिंग नहीं मिलने से परेशान बिहार के तैराकी खिलाड़ी, नेशनल स्तर पर करना पड़ता है हार का सामना, सरकार से की खेल व्यवस्था की मांग
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Games & Sports: बिहार में अभी भी खेलों को लेकर उचित व्यवस्था नहीं बन पाई है. खिलाड़ी सारा दारोमदार अपने कंधों पर लेकर राज्य के लिए मेडल जीतने उतरते हैं. पूरी प्रतिभा रहने के बावजूद भी व्यवस्था के अभाव में हार का सामना होने पर खिलाड़ियों का मनोबल गिरता है. सरकार को उचित व्यवस्था मुहैया करानी चाहिए जिससे खिलाड़ी बेहतर प्रदर्शन कर सकें.
छपरा: बिहार में प्रतिभावान खिलाड़ियों की कोई कमी नहीं है. यहां के युवा अपने लक्ष्य प्राप्ति करने के लिए जी जान लगा देते हैं. आज हम तैराकी करने वाले खिलाड़ियों की बात कर रहे हैंं. यहां ऐसे खिलाड़ियों की भरमार है जो सही व्यवस्था मिलने पर देश-दुनिया में नाम कर सकते हैं. बिहार में अभी इस खेल की कोई व्यवस्था नहीं की गई है इस कारण खिलाड़ी आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं.
झेलना पड़ रहा प्रशिक्षण का अभाव
अपने जी तोड़ मेहनत से बिहारी खिलाड़ियों के मेहनत के आगे दूसरे राज्य के खिलाड़ी फीके पड़ जाते हैं. खुद की तैयारी के बदौलत यहां के खिलाड़ी कर कई बार नेशनल स्तर पर भी अपना दम दिखा चुके हैं. खिलाड़ियों में ललक तो है लेकिन तकनीक सिखाने वाला गुरु नहीं है. इस वजह से अपने लक्ष्य से चूक रहे हैं. ऐसे खिलाड़ियों को तैयार करने के लिए एक अच्छे गुरु के साथ-साथ सही खेल व्यवस्था की बहुत जरूरत है.
अपने जी तोड़ मेहनत से बिहारी खिलाड़ियों के मेहनत के आगे दूसरे राज्य के खिलाड़ी फीके पड़ जाते हैं. खुद की तैयारी के बदौलत यहां के खिलाड़ी कर कई बार नेशनल स्तर पर भी अपना दम दिखा चुके हैं. खिलाड़ियों में ललक तो है लेकिन तकनीक सिखाने वाला गुरु नहीं है. इस वजह से अपने लक्ष्य से चूक रहे हैं. ऐसे खिलाड़ियों को तैयार करने के लिए एक अच्छे गुरु के साथ-साथ सही खेल व्यवस्था की बहुत जरूरत है.
नहीं है सीखने की व्यवस्था
सुशांत कुमार ने लोकल 18 से बताया कि मैं छपरा में तैराकी करने के लिए आया हूं. यहां की व्यवस्था थोड़ी ठीक है लेकिन पूरे बिहार से तैराकी खिलाड़ी निकालने के लिए व्यवस्था के साथ-साथ प्रशिक्षण देने वाले कोच का होना भी बेहद जरूरी है. उन्होंने बताया कि हम लोगों को कोई प्रशिक्षण नहीं देता है. खुद की तैयारी के बदौलत प्रतियोगिता में जाकर प्रदर्शन करते हैं. बताया कि दूसरे राज्य की तरह बिहार में तैराकी के लिए कहीं पर भी कोई व्यवस्था नहीं है और ना ही प्रशिक्षण देने वाले है.
सुशांत कुमार ने लोकल 18 से बताया कि मैं छपरा में तैराकी करने के लिए आया हूं. यहां की व्यवस्था थोड़ी ठीक है लेकिन पूरे बिहार से तैराकी खिलाड़ी निकालने के लिए व्यवस्था के साथ-साथ प्रशिक्षण देने वाले कोच का होना भी बेहद जरूरी है. उन्होंने बताया कि हम लोगों को कोई प्रशिक्षण नहीं देता है. खुद की तैयारी के बदौलत प्रतियोगिता में जाकर प्रदर्शन करते हैं. बताया कि दूसरे राज्य की तरह बिहार में तैराकी के लिए कहीं पर भी कोई व्यवस्था नहीं है और ना ही प्रशिक्षण देने वाले है.
नेशनल स्तर पर करना पड़ता है हार का सामना
मैं कई बार राज्य स्तर पर गोल्ड मेडल दिला चुका हूं और इसके साथ ही नेशनल स्तर पर भी कई बार प्रदर्शन कर चुका हूं. व्यवस्था और प्रशिक्षक के अभाव में नेशनल स्तर पर हम लोगों को हार का सामना करना पड़ता है. मेरे जैसे कई खिलाड़ी बिहार के लिए मेडल जीतना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि बिहार में भी तैराकी करने वाले खिलाड़ियों के लिए उचित व्यवस्था हो ताकि हम लोग भी बिहार के लिए मेडल जीतने में कामयाबी हो सकें. सही व्यवस्था मिलने पर बिहार को मेडल दिलाने में जरूर कामयाबी हासिल करेंगे.
मैं कई बार राज्य स्तर पर गोल्ड मेडल दिला चुका हूं और इसके साथ ही नेशनल स्तर पर भी कई बार प्रदर्शन कर चुका हूं. व्यवस्था और प्रशिक्षक के अभाव में नेशनल स्तर पर हम लोगों को हार का सामना करना पड़ता है. मेरे जैसे कई खिलाड़ी बिहार के लिए मेडल जीतना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि बिहार में भी तैराकी करने वाले खिलाड़ियों के लिए उचित व्यवस्था हो ताकि हम लोग भी बिहार के लिए मेडल जीतने में कामयाबी हो सकें. सही व्यवस्था मिलने पर बिहार को मेडल दिलाने में जरूर कामयाबी हासिल करेंगे.
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