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जानिए सुल्तानगंज में उत्तरवाहिनी गंगा की उत्पत्ति की कहानी, भोलेनाथ को क्यूं प्रिय है यहां का जल

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Bhagalpur News : अजगैबीनाथ मंदिर के महंथ प्रेमानंदगिरी की माने तो पूरे भारत में सिर्फ दो ही जगह उत्तरवाहिनी गंगा बहती है. एक काशी विश्वनाथ तो दूसरा भागलपुर का सुल्तानगंज में उत्तरवाहिनी गंगा बहती है. इसकी उत्पत्ति का इतिहास जहांगीर मुनि से जुड़ा है.

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सत्यम कुमार/भागलपुर. सनातन धर्म में गंगा को पवित्र माना गया है. ऐसी मान्यता है कि गंगा स्नान करने से सारे पाप धूल जाते हैं. उसमें भी उत्तर दिशा की ओर बहने वाली गंगा का खास महत्व दिया गया है. सुल्तानगंज का गंगा इसलिए भी खास है कि यह उत्तर की दिशा में बहता है. वहीं अजगैबीनाथ मंदिर के महंथ प्रेमानंदगिरी की माने तो पूरे भारत में सिर्फ दो ही जगह उत्तरवाहिनी गंगा बहती है. एक काशी विश्वनाथ तो दूसरा भागलपुर का सुल्तानगंज में उत्तरवाहिनी गंगा बहती है. आइए जानते हैं इनकी उत्पत्ति की कहानी.

भक्तों की हर एक मनोकामना होती है पूर्ण
आपको बता दें कि ऐसी मान्यता है कि जो भी कांवरिया यहां से जल भरकर बाबा वैद्यनाथ धाम को जल अर्पण करने जाते हैं, उनकी हर एक मनोकामना पूर्ण होती है. लेकिन सबके मन में एक सवाल आता है कि आखिर उत्तरवाहिनी गंगा खास क्यों है. ऐसी मान्यता है कि उत्तर दिशा भगवान भोले का वास होता है. इसलिए इसका खास महत्व दिया गया है.

उत्तर वाहिनी गंगा का जहांगीर मुनि से जुड़ा है इतिहास

ऐसा कहा जाता है कि उत्तर दिशा शुद्धता का प्रतीक देता है. उत्तरवाहिनी गंगा की इतिहास की बात करें कई सौ वर्ष पूर्व जहांगीर मुनि नाम के ऋषि तप किया करते थे. 1 दिन जहांगीर मुनि अपनी तपस्या में लीन थे, तभी भागीरथ मुनि के द्वारा इस धरती पर लाए गए गंगा की तेज धारा ने उसकी सभी सामग्री को बहा दिया. जहांगीर मुनि गुस्से में आकर पूरी गंगा को पी गए थे. इसके बाद सभी देवताओं में हाहाकार मच गया, वही इस धरती पर पानी की किल्लत होने लगी. तभी सभी ने पुनः जहांगीर मुनि को गंगा वापस लाने के लिए काफी मिन्नतें की.
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जहांगीर मुनि भी गंगा को लाने के लिए तैयार हो गए, तभी उन्हें एक बात याद आई कि गंगा को अगर मुंह से निकाला जाता है तो वह जूठा जल हो जाएगा. तभी उन्होंने अपने जंघा को चीरकर गंगा को निकाला. उन्होंने गंगा को उत्तर दिशा में बहाया. तभी से इसे उत्तरवाहिनी गंगा के नाम से भी जाना जाता है. सुल्तानगंज में उस घाट को जहाँगीरा घाट के नाम से जाना जाता है. जिस घाट पर जहांगीर मुनि तपस्या किया करते थे वह घाट जहांगीर घाट कहलाता है. सुल्तानगंज में उस मुनि के नाम पर जहाँगीरा गांव भी बसा हुआ है.
सुल्तानगंज से सालों भर जाते हैं कांवरियां

सुल्तानगंज से सालों भर कावड़िया जल भरकर बाबा वैद्यनाथ धाम को जाते हैं. ऐसा कहा जाता है कि भगवान राम भी यहां से जल भरकर भगवान भोले को अर्पण करने पैदल देवघर गए थे. यहां की महिमा अपने आप में अपरंपार है. सावन आते ही भागलपुर से सुल्तानगंज तक कांवरियों से पटा होता है. यहां बिहार ही नहीं बल्कि कई राज्यों से कांवरिया पहुंचते हैं. वहीं दूसरे देश नेपाल से भी कावड़िया जल भरकर बाबा बैद्यनाथ धाम को जाते हैं. पूरा सावन बोल बम के जयकारों से गुंजायमान रहता है.
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जानिए सुल्तानगंज में उत्तरवाहिनी गंगा की उतपत्ति की कहानी
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