दुलारी देवी को पद्मश्री सम्मान: कभी दूसरों के घर करती थीं झाड़ू-पोछा, कला और तदबीर से बदली तकदीर
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Agency:News18 Bihar
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Dulari Devi honored with Padma Shree: दुलारी देवी की कला के कद्रदानों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जाने-माने वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम समेत कई बड़े नेता और अभिनेता भी शामिल रहे हैं.

मधुबनी. जिले की रांटी गांव निवासी दुलारी देवी को इस साल पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित (Dulari Devi honored with Padma Shri) करने की घोषणा हुई है. 53 वर्षीया दुलारी देवी अलग-अलग विषयों पर अब तक तकरीबन 8 हजार पेंटिंग बना चुकी हैं. गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुने जाने की सूचना मिलने पर दुलारी देवी काफी खुश हैं. उनकी कामयाबी पर उनके रांटी गांव समेत पूरे मधुबनी में जश्न का माहौल है. दुलारी देवी का पद्मश्री पुरस्कार तक का सफर काफी मुश्किलों भरा रहा है. मल्लाह जाति से आने वाली दुलारी देवी का पद्मश्री पुरस्कार तक का सफर ग्रामीण महिलाओं को प्रेरणा देने वाला है. न्यूज18 से बातचीत में दुलारी देवी ने कहा कि - "महज 12 साल में शादी हो गई थी, लेकिन 2 साल बाद ही शादी टूट गई, जिसके बाद मायके वापस आ गईंं''.
घर की आर्थिक हालत ठीक नहीं होने के चलते अपनी मां के साथ पड़ोस में रहने वाली मिथिला पेंटिंग की मशहूर आर्टिस्ट महासुंदरी देवी और कर्पूरी देवी के घर झाड़ू-पोंछा का काम करने लगीं. इसी दौरान महासुंदरी देवी और कर्पूरी देवी को पेंटिंग करते हुए देखकर पेंटिंग करने लगी. शुरू में घर-आंगन की दीवारों पर मिट्टी से पेंटिंग करती थी,फिर लकड़ी की कूची बनाकर कागज और कपड़ों पर भी अपनी कला को उतारने लगीं. धीरे-धीरे उनकी बनाई पेंटिंग को सराहना मिलने लगी, फिर कर्पूरी देवी की हौसलाअफजाई ने उन्हें काफी हिम्मत दी.
दुलारी देवी की कला के कद्रदानों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जाने-माने वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम समेत कई बड़े नेता और अभिनेता भी शामिल रहे हैं. दुलारी देवी का कहना है कि- उन्हें इस मुकाम तक पहुंचने के लिए तमाम मुश्किलातों से गुजरना पड़ा. पर अब वो चाहती हैं कि उनके गांव की लड़कियों को इस तरह की परेशानियों का सामना न करना पड़े, लिहाजा वो अपने गांव की महिलाओं व लड़कियों को पेंटिंग की शिक्षा देना चाहती हैं.
पढ़ाई-लिखाई के नाम पर बस अपना नाम भर लिख पाने वाली दुलारी देवी की बनाई पेंटिंग दुनियाभर के कई नामचीन लेखकों के किताबों के साथ ही इग्नू द्वारा तैयार मैथिली भाषा के पाठ्यक्रम के मुख्यपृष्ठ पर भी छप चुकी हैं. इसके साथ ही दुलारी देवी की बनाई पेंटिंग, गीता वुल्फ की 'फॉलोइंग माइ पेंट ब्रश' के अलावा मार्टिन ली कॉज की फ्रेंच में लिखी किताबों की शोभा बढ़ा रही है.
घर की आर्थिक हालत ठीक नहीं होने के चलते अपनी मां के साथ पड़ोस में रहने वाली मिथिला पेंटिंग की मशहूर आर्टिस्ट महासुंदरी देवी और कर्पूरी देवी के घर झाड़ू-पोंछा का काम करने लगीं. इसी दौरान महासुंदरी देवी और कर्पूरी देवी को पेंटिंग करते हुए देखकर पेंटिंग करने लगी. शुरू में घर-आंगन की दीवारों पर मिट्टी से पेंटिंग करती थी,फिर लकड़ी की कूची बनाकर कागज और कपड़ों पर भी अपनी कला को उतारने लगीं. धीरे-धीरे उनकी बनाई पेंटिंग को सराहना मिलने लगी, फिर कर्पूरी देवी की हौसलाअफजाई ने उन्हें काफी हिम्मत दी.
दुलारी देवी की कला के कद्रदानों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जाने-माने वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम समेत कई बड़े नेता और अभिनेता भी शामिल रहे हैं. दुलारी देवी का कहना है कि- उन्हें इस मुकाम तक पहुंचने के लिए तमाम मुश्किलातों से गुजरना पड़ा. पर अब वो चाहती हैं कि उनके गांव की लड़कियों को इस तरह की परेशानियों का सामना न करना पड़े, लिहाजा वो अपने गांव की महिलाओं व लड़कियों को पेंटिंग की शिक्षा देना चाहती हैं.
पढ़ाई-लिखाई के नाम पर बस अपना नाम भर लिख पाने वाली दुलारी देवी की बनाई पेंटिंग दुनियाभर के कई नामचीन लेखकों के किताबों के साथ ही इग्नू द्वारा तैयार मैथिली भाषा के पाठ्यक्रम के मुख्यपृष्ठ पर भी छप चुकी हैं. इसके साथ ही दुलारी देवी की बनाई पेंटिंग, गीता वुल्फ की 'फॉलोइंग माइ पेंट ब्रश' के अलावा मार्टिन ली कॉज की फ्रेंच में लिखी किताबों की शोभा बढ़ा रही है.
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