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शराबबंदी की 'रियल हीरो' : फूलन देवी के नाम से मशहूर रिंकू के खिलाफ दर्ज हैं 14 मामले

Agency:Pradesh18
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मेरा नाम रिंकू देवी है. बिहार में शराबबंदी से मैं और मेरी साथी बहनें आज सबसे ज्यादा खुश हैं. 2001 से लगातार प्रयास के बाद आज राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू हुई है.

शराबबंदी की 'रियल हीरो' : फूलन देवी के नाम से मशहूर रिंकू के खिलाफ दर्ज हैं 14 मामले
बिहार में पूर्ण शराबबंदी के छह महीने पूरे हो गए हैं. शराबबंदी कानून के साकारात्मक और नाकारात्मक पहलू सामने आ रहे हैं. सूबे के मुखिया शराबबंदी का क्रेडिट लेकर पूरे देश में प्रचार प्रसार कर रहे हैं लेकिन मुजफ्फरपुर की रिंकू देवी पिछले 15-16 सालों से शराबबंदी के खिलाफ अभियान चला रही हैं. आइए जानते हैं शराबबंदी की कहानी रिंकू देवी की जुबानी...

मेरा नाम रिंकू देवी है. बिहार में शराबबंदी से मैं और मेरी साथी बहनें आज सबसे ज्यादा खुश हैं. 2001 से लगातार प्रयास के बाद आज राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू हुई है. मैं मुजफ्फरपुर और दूसरे जिले में शराब माफियाओं के लिए आतंक की पर्याय बन चुकी हूं. मेरे खिलाफ 14 एफआरआई दर्ज है. इलाके में लोग मुझे फूलन देवी के नाम से जानते हैं. शराब पीते और जुआ खेलते लोग मुझे दूर से देखकर ही नौ-दो ग्यारह हो जाते हैं.

16 साल में हुई मेरी शादी

मैं मुजफ्फरपुर के सकरा के भडड्नी गांव की रहने वाली हूं. मेरी शादी 16 साल की उम्र में कर दी गई. तब मैं सातवीं क्लास में पढ़ती थी. 10 भाई-बहनों में सबसे बड़ी हूं. घर पर शराब को कोई हाथ नहीं लगाता था लेकिन ससुराल में आने के बाद मेरे घर में ताड़ी की बिक्री की जाती थी. सास और ससुर के साथ दूसरे लोग भी घर आकर दारू और ताड़ी पीते थे. मुझे ये सब अच्छा नहीं और मैंने विरोध करना शुरू कर दिया.

सास-ससुर ने कर दिया अलग

शादी के बाद गोद में छोटा बच्चा था तभी दारू और ताड़ी का विरोध करने पर सास-ससूर ने मुझे और पति को अलग कर दिया. मायके के सहयोग से मैं  किसी तरह आगे बढ़ी. मुश्किल दौर में भी मैंने दसवीं पास की और अखिल भारतीय महिला जनवादी समीति नाम के संगठन से से जुड़ गई. फिर संगठन की प्रखंड सचिव बनीं और 2010 से अब तक मैं समीति की जिलामंत्री हूं.

महिलाओं के एक कार्यक्रम में शामिल रिंकू देवी


डेढ़ लाख महिलाएं आज हैं सदस्य

मैं 2004 में  वार्ड सदस्य बनीं और इलाके में शराब माफियाओं के खिलाफ अभियान तेज कर दिया. लोगों ने काफी विरोध किया. शराब माफिया जान के दुश्मन बन गए. कई बार हमले हुए लेकिन मैंने अपना अभियान नहीं छोड़ा. शुरू में शराबबंदी के खिलाफ अभियान में मेरे साथ महिलाएं आने से कतराती थीं लेकिन मेरे प्रयास से आज इस संगठन में एक लाख साढ़ हजार के करीब सदस्य हैं और ये सभी मेरे लोग हैं. अखिल भारतीय महिला जनवादी समीति से हमें बहुत ज्यादा लेना देना नहीं है. लेकिन संगठन की सदस्य के नाते मुझे कई प्रकार से सहयोग मिलता है.

शराबियों को बांध कर पिटती हूं

मैं इलाके में फूलन देवी के नाम से मशहूर हूं. शराब और जुआ देखने वाले लोग मुझे दूर से ही देखकर नौ-दो ग्यारह हो जाते हैैं. शराबी पतियों को पहले मैं बहनों के साथ मिलकर समझाती हूं और फिर नहीं मानने पर उस व्यक्ति को उसकी पत्नी और बच्चों से पिटवाती हूं और फिर नहीं मानने पर बहनों के साथ मिलकर पिटती हूं और फिर पुलिस के हवाले कर देती हूं. मेरे इस काम में थानों का भी सहयोग रहा हैं.

मैंने इलाके के जिला पार्षद बिंदेशवरी राय और कुढ़नी के विधायक को भी बहनों के साथ मिलकर पिटाई कर चुकी हूं. शराबियों पर सामाजिक दवाब बनाने के साथ साथ शराबी लोगों के खिलाफ पुलिस में भी मामला दर्ज करवाती हूं. आज मेरे इस काम से करीब सौ महिलाएं मेरे परिवार की सदस्य बन गई हैं जो मायका समझकर घर आती जाती हैं. जरूरतमंद महिलाओं को चंदा कर सहयोग किया जाता है.

साथी बहनों के साथ एनएच पर प्रदर्शन करती रिंकू देवी


 

2005 में फांसी लगाने की कोशिश

मेरे इस अभियान से परेशान शराब माफिया मेरे जान के दुश्मन बन गए. मेरे ऊपर बदचलन होने का आरोप लगाया गया. इस आरोप से मैं टूट गई. लोग ताने देने लगे और फिर परेशान होकर मैं फांसी लगाने की कोशिश की लेकिन किसी तरह बच गई. मेरे पति हमेशा मेरे साथ खड़े रहे. पति ने कहा कि सच का सामना करो और लोगों को हकीकत बताओ. पति की बात से हमें काफी हिम्मत मिली और फिर मैं अपने काम में जुट गई.

बच्चों को लेकर लांछन लगाने वाले के घर पहुंच गईं

बदचलन के आरोप से मैं दुखी थी और लोगों के सामने सच को उजागर करना चाहती थी. शराबबंदी के खिलाफ काम करते समय एक बार मैं सीतामढ़ी पहुंची. वहां मुझे बहनों से पता चला कि लांछन लगाने वाला लड़का यही का रहने वाला हैं. इसके बाद मैं अपने बच्चों को साथ लेकर उस लड़के के घर पहुंच गई. मैंने उससे कहा मेरे बच्चों के तुम पिता हो और अब मैं तुम्हारे घर में रहूंगी.

मेरे इस व्यवहार से लड़के के घर वाले परेशान हो गए और माफी मांगने लगे लेकिन मैं अपनी बातों पर अड़ी रही. फिर बहनों के साथ उसकी जमकर पिटाई की और थाने में एफआईआर दर्ज कराई. उस लड़के ने मुझसे माफी मांगी और दीदी कहने लगा. उस लड़के ने बताया कि मुझे इस काम के लिए 10 हजार रुपए दिए गए थे. लड़के की कैरियर को देखकर मैंने उसे माफ कर दिया.

रिंकू देवी (ETV)


तीन साथी बहनों की हुई हत्या

शराबबंदी के खिलाफ मेरे इस अभियान में शामिल तीन बहनों की हत्या कर दी गई. साथी बहन अकली देवी की 2010 में शराब माफियाओं ने पहले सामूहिक दुष्कर्म किया और फिर उसकी हत्या कर दी. इसी तरह एक और साथी मिन्तर देवी को शराब माफियाओं ने मार दिया. सुनीता देवी के पति ने उसकी हत्या इसलिए कर दी कि वो मेरे साथ शराबबंदी के काम में सक्रिय थी.

मेरे खिलाफ दर्ज हैं 14 केस

मेरे खिलाफ अबतक 14 केस दर्ज हो चुके हैं. कई बार जानलेवा हमला हुआ. घर पर कई बार हमले किए गए. फोन पर धमकियां तो मेरे लिए आम बात हो गई है. धमकी देने वालों को मैं हमेशा यही कहती हूं कि मुझे मार दोगो तो दूसरी रिकू देवी पैदा हो जाएंगी.

स्वामी अग्निवेश के साथ रिंकू देवी (file)


पति हैं राजमिस्त्री

मैं आज जो भी कर रही हूं वो पति के सहयोग के बैगर संभव नहीं था. पति राजमिस्त्री का काम करते हैं. मेरे हर कदम पर मेरे साथ रहते हैं. तीन बच्चे हैं और घर की आर्थिक स्थिति सही नहीं है. इसके बावजूद मैं काम करती हूं. मैं अभी भी आगे पढ़ना चाहती हूं. मैं 2008 से आशा कार्यकर्ता हूं.

मेरे नाम से जाने जाते हैं पति- ससुर

मैं समाज के पिछड़े तबके से हूं. मेरे परिवार में महिलाओं को घर से निकलना भी बड़ी बात है. लेकिन आज मेरे परिवार को लोग आज मेरे नाम जानते हैं. आप किसी से आकर मेरे पति और ससुर का नाम पूछेंगे तो कोई नहीं बताएगा लेकिन मेरा नाम लेते हैं कोई भी आपको मेरे घर पर पहुंचा देगा.

शराबबंदी से खूश हूं

आज मैं शराबबंदी से बहुत खुश हूं. मैं 2001 से प्रयास कर रही हूं. पहले परिवार और फिर समाज में शराबबंदी के खिलाफ अभियान चलाया. शराबबंदी तीन आना (75 फीसदी) सफल हैं लेकिन अभी भी एक आना (25 फीसदी) पर काम करने की जरुरत हैं. मुझे दुख इस बात की है कि आज शराबबंदी के नाम पर ऐसे लोगों को सम्मानित किया जा रहा है जिनका कोई योगदान नहीं रहा है. इस बात को लेकर बहनों में भी नाराजगी हैं लेकिन मैं बहनों को समझाती हूं कि हमलोगों के प्रयास से शराबबंदी हुई है और यही सबसे बड़ा सम्मान है.

शराबबंदी के खिलाफ अभियान में रिंकू देवी (लाल साड़ी में)


कड़े कानून का पक्षधर हूं

मैं शराबबंदी के कड़े कानूनों की हिमायती हूं. लेकिन शराबबंदी के आरोप में संपत्ति जब्त करना और बेकसूरों को सजा देने के खिलाफ हूं. शराबबंदी कानून के तहत कई निर्दोषों के खिलाफ कार्रवाई करने के मामले सामने आ रहे हैं. आज जरुरत इस बात की है कि लोगों के बीच जागरूकता फैलाया जाए.

मेरा प्रयास आगे भी जारी रहेगा. मैं शराबबंदी के साथ साथ कन्या भ्रूण हत्या, अंतरजातीय विवाह और दहेज प्रथा के खिलाफ काम कर रही हूं.

 
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