Saharsa: गेहूं के बीज के साथ विदेश से मुफ्त आई थी यह घास, पालतू पशुओं के लिए बना जानलेवा
Agency:News18Hindi
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सहरसा जिले के ग्रामीण क्षेत्र में पशुपालक भैंस, देसी नस्ल की गाय, बकरी सहित अन्य पशु को सड़क और नहर के किनारे चराते हैं. लेकिन, नहर के बांध और सड़क किनारे सहित अन्य खाली जगहों में गाजर घास के उगने से पशु चारे का संकट उत्पन्न हो रहा है. इस समस्या का समाधान अभी तक नहीं हो पाया है
मो. सरफराज आलम
सहरसा. दुर्गा सप्तशती में आपने रक्तबीज नाम के राक्षस का जिक्र सुना होगा. इस राक्षस के शरीर का एक बूंद खून भी अगर जमीन पर गिरता था, तो उससे सैकड़ों-हजारों उसी रक्तबीज की तरह बलवान राक्षस पैदा हो जाते थे. गाजर घास भी ऐसा ही एक घास है जिसके एक फूल से सैंकड़ों बीज निकलते हैं. उन बीजों से यह घास खाली इलाके को ढंक लेती है. अमेरिका से गेहूं की बीज के साथ आयातित होकर आये इस गाजर घास के दानों ने पालतू पशुओं का जीना मुश्किल कर दिया है. गाजर के पत्तों की तरह दिखने वाले इस घास ने बिहार के सहरसा में पशुचारा का संकट खड़ा कर दिया है.
पौधा संरक्षण विभाग के सहायक निदेशक राहुल कुमार बताते हैं कि गाजर घास एक तरह का खर-पतवार है. गाजर घास मूल रूप से अमेरिकन घास है, जो आयातित गेहूं बीज के साथ भारत में आ गया था. गेहूं बीज के साथ मिलकर यह खेतों के साथ-साथ खाली जमीन में भी फैलता चला गया. वो बताते हैं कि गाजर घास के हर फूल में हजारों की संख्या में बीज होते हैं. गाजर घास में टॉक्सिक सब्सटेंस भी होता है. यानी अगर पशु चारा के रूप में इस्तेमाल करेंगे तो वो जहरीला होता है. इससे पशु बीमार पड़ सकते हैं.
उन्होंने कहा कि किसान भी इसको नंगे हाथों से ना छुएं. जाएगोग्रामा बायक्रोलट्ठा नाम के कीटनाशक का छिड़काव करने स गाजर घास मर जाती है.
पशु चारा का मंडरा रहा संकट
ग्रामीण क्षेत्र में आज भी पशुपालक भैंस, देसी नस्ल की गाय, बकरी सहित अन्य पशु को सड़क और नहर के किनारे चराते हैं. लेकिन, नहर के बांध और सड़क किनारे सहित अन्य खाली जगहों में गाजर घास के उगने से पशु चारे का संकट उत्पन्न हो रहा है. इस समस्या का समाधान अभी तक नहीं हो पाया है. इसका खामियाजा जीव-जंतुओं व मनुष्यों को भी भुगतना पड़ रहा है.
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