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फूस की झोपड़ी में रह रहा था यह शख्स...अचानक गिरा एक मैसेज, खोलकर देखा तो बन गया था करोड़पति

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दिनकर राम, एक गरीब मजदूर, ड्रीम 11 में 49 रुपये लगाकर डेढ़ करोड़ रुपये जीत गया. अब वह कर्ज चुकाएगा, घर बनाएगा और बिजनेस करेगा. उसकी जीत पूरे प्रखंड में चर्चा का विषय है.

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सहरसा : यह कहानी एक मजदूर की है जो कि एक फूस की झोपड़ी में रहता है. उसके साथ उसकी बीबी और बच्चे भी रहते हैं. इस शख्स को यह भी नहीं पता होता है कि अगले दिन सुबह जब वह सोकर उठेगा तो उसे काम मिलेगा भी या नहीं. कैसे घर चलेगा…शाम को क्या खाएंगे इसका कुछ भी अता-पता नहीं होता. लेकिन एक दिन कुछ ऐसा चमत्कार होता है रात को उसके मोबाइल फोन पर एक मैसेज आता है और वह करोड़पति बन जाता है. आइए जानते हैं सिलसिलेवार पूरी कहानी…

दिल्ली-पंजाब में करता था दिहाड़ी मजदूरी
घोड़दौर गांव के कैलू राम और लक्ष्मी देवी का पुत्र दिनकर राम अत्यंत गरीबी में जीवन जीने के कारण आठवीं कक्षा तक ही पढ़ सका था. पिता गांव-गांव घूमकर बर्फ बेचते थे. सो आगे नहीं पढ़ा सके. घर की माली हालत देख दिनकर भी आठवीं के बाद मजदूरी करने लगा.पहले तो गांव में ही मजदूरी शुरू किया, लेकिन यहां कभी काम मिलता तो कभी नहीं. मिलता भी तो अच्छी दिहाड़ी नहीं मिलती. उसके बाद वह पैसा कमाने और पंजाब के अलग-अलग शहरों में दिहाड़ी मजदूरी करने चला गया. दस वर्ष पूर्व उसकी शादी खगड़िया जिले के विशनपुर गांव की काजल कुमारी से हुई. शादी के बाद उसके तीन बच्चे भी हुए. परिवार बढ़ने के साथ उसकी जिम्मेवारी भीं बढ़ती गई.

बीते तीन वर्षों से टीम बना लगा रहा है पैसा
दिल्ली-पंजाब में मजदूरी करते हुए उसने पहले की-पैड वाला मोबाइल ख़रीदा. फिर एंड्राइड फोन का जमाना आने के बाद पैसे जमाकर 8 हजार रुपये में वीवो कंपनी का एंड्राइड मोबाइल ख़रीदा. मोबाइल में आने वाले विज्ञापन और मित्रों से उसे ड्रीम 11 में टीम बनाकर पैसे जीतने की जानकारी मिली. बीते तीन वर्षों से वह 49 रुपये लगाकर टीम बना रहा है. कई बार कुछ सौ तो कभी कुछ हजार रूपये जीता भी है और कई बार उसने लगायी पूंजी डुबोई भी है. इस बार ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच हुए मैच में दांव लगाया तो उसकी किस्मत ही बदल गई. वह डेढ़ करोड़ रूपये जीत गया.
कर्ज भरेगा, घर बनाएगा और बिजनेस करेगा-
दिनकर बताता है की उसने अब तक की अपनी 37 साल की जिंदगी मुफलिसी में ही काटी है. अपने पिता की भी दयनीय स्थिति को काफी करीब से देखा और जाना है. उसका अभावग्रस्त परिवार टाट-फूस के घर में रहता है. मजदूरी करते हुए उसे परिवार के पेट को भरने के बाद पैसा बचता ही नहीं था, जिससे वह घर की दशा सुधारता.
दिनकर कहता है कि ईश्वर कि नजर उस पर और उसकी दशा पर अब पड़ी है तो, सबसे पहले वह कर्ज के बोझ से निकलेगा, फिर घर बनाएगा. उसके बाद पैसे बचेंगे तो कोई बिजनेस करेगा. दिनकर बताता है कि वह अपने बच्चों को पढ़ायेगा और उसे अच्छी शिक्षा दिलाएगा, ताकि उन बच्चों को उसकी तरह मुफलिसी के दिन न देखना पड़े.मालूम हो कि दिनकर की जीत के बाद पूरे प्रखंड में चर्चा का विषय बना हुआ है.

About the Author

Avnish mishra
पत्रकारिता में पांच साल का अनुभव, इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक, राजनीति और स्वास्थ्य की खबरों में विशेष रुचि।
पत्रकारिता में पांच साल का अनुभव, इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक, राजनीति और स्वास्थ्य की खबरों में विशेष रुचि।
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