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7 साल की उम्र में बीमारी और टूट गई पैरों की हड्डियां, फिर भी नहीं मानी हार, आज बच्चों को संवार रहीं भविष्य

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सीतामढ़ी की राग वर्मा ने दिव्यांगता को मात देकर 'राग इंस्टा क्लासेज' की स्थापना की. उन्होंने घर पर पढ़ाई कर 2019 में मैट्रिक पास किया और अब 150 बच्चों को शिक्षा दे रही हैं.

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सीतामढ़ी. कहते हैं हौसला बुलंद हो तो आगे बढ़ने का रास्ता खुद-ब-खुद मिल जाता है. उड़ान पंखों से नहीं हौसलों से होती है. खुद पर विश्वास करने वालों की चाहत पूरी होती है. ऐसी ही सोच व आत्मविश्वास के साथ सीतामढ़ी की राग वर्मा दिव्यांगता को मात दे रही हैं. राग वर्मा सीतामढ़ी शहर के वार्ड 11 की रहने वाली हैं. राग ने यह साबित कर दिया है कि दिव्यांग्ता कोई अभिशाप नहीं है जरूरत है हौसले को बुलंद करने की. नन्हीं-सी उम्र में ही ओस्टियो जेनेसिस इंपरफेक्ट बीमारी के कारण राग की दोनों पैर की हड्डियां टेढ़ी और बहुत कमजोर हो गई थी. इसके कारण सात साल में कुल 10 बार इसके पैरों की हड्डियां टूटी. राग वर्मा अपने पैरों पर खड़ी तक नहीं हो पा रही थी.

परिवार के लोग भी ठीक होने की उम्मीद छोड़ चुके थे, लेकिन साल 2013 में जब चेन्नई के एक हॉस्पिटल में ऑपरेशन हुआ तो राग वर्मा ने बच्चों को पढ़ाने के लिए ‘राग इंस्टा क्लासेज’ की स्थापना की है, जहां वह ऑनलाइन व ऑफलाइन बच्चों को पढ़ाती हैं. पहले अकेले ही पढ़ाती थी लेकिन अब उसकी बहन और माता-पिता भी सहयोग करने लगे हैं अब एक साथ मिलकर कक्षा नर्सरी से लेकर 10+2 तक की पढ़ाई करा रही हैं. चाहे वह cbsc का छात्र हो या वह बिहार बोर्ड का. खास बात तो यह है कि राग खुद कभी स्कूल नहीं गई. उन्होंने घर बैठकर ही पढ़ाई की, 8वीं तक तो एग्जाम भी घर पर ही दिया, इसके बावजूद जब 2019 में मैट्रिक पास करने के बाद कोचिंग शुरू की तो आज 150 बच्चों को शिक्षा दे रही हैं.

इन लोगों ने किया सम्मानित
Local 18 से हुई बातचीत में बताया कि बचपन से खुद अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो सकती. इसलिए कभी क्लास नहीं की. उसने प्राथमिक शिक्षा नगरपालिका मध्य विद्यालय से प्राप्त की. यहां के शिक्षकों ने बहुत मदद की. मेरे आवास आकर परीक्षा ली जाती थी. मैं पढ़ाई के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों में भी अपनी रुचि रखती थी. साल 2016 में आयोजित राज्य स्तरीय चित्रांकन प्रतियोगिता में प्रथम व संगीत में तृतीय स्थान प्राप्त किया. साल 2019 में मैट्रिक की परीक्षा 81 प्रतिशत अंक के साथ उत्तीर्ण हुई. बेहतर प्रदर्शन को लेकर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, तत्कालीन शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी, विधान पार्षद देवेश चंद्र ठाकुर, तत्कालीन जिलाधिकारी अध्यक्ष डॉ रणजीत कुमार सिंह आदि द्वारा सम्मानित की गई है. पैरों पर खड़ी हो पा रही है.
दिव्यांगों की सेवा करने की ठानी
22 वर्षीय राग की शरीर की हड्डियां टूट चुकी हैं. दोनों जांघों में स्टील की रॉड लगाई गई है, बावजूद नन्ही उम्र से ही राग ने हिम्मत नहीं हारी और यहां तक सफर तय किया है. अब वह स्कूल खोलना चाहती हैं, इसके अलावा कोचिंग में प्रतिभावान और लाचार बच्चों को फ्री में पढ़ा रही हैं. वह पढ़ाई के साथ संगीत व पेंटिंग की शौक को परवान चढ़ा रही हैं. पेंटिंग में तो उसने प्रखंड व जिला स्तर से लेकर राज्य स्तर तक अपनी प्रतिभा का परिचय देते हुए अव्वल स्थान प्राप्त किया है. अब अपने छात्र छात्राओं को भी इसकी शिक्षा दे रही हैं. इसके कोचिंग की छात्र हाल ही में हुई पेंटिंग प्रतियोगिता में फर्स्ट, सेकंड और थर्ड तीनों प्राइज जीत है. सपने को सच करने में मां स्मिता वर्मा व पिता सुधीर कुमार वर्मा और बहन रोकतीना वर्मा और इशानी वर्मा काफी मदद करते हैं. राग ने बताया कि उसका भाई नहीं है, तीन बहनें ही हैं.

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Mohd Majid
with more than 4 years of experience in journalism. It has been 1 year to associated with Network 18 Since 2023. Currently Working as a Senior content Editor at Network 18. Here, I am covering hyperlocal news f...और पढ़ें
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