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कौन फिक्‍स करता है पेट्रोल और डीजल की बिक्री पर पंप डीलर का कमीशन, क्‍यों आज नहीं बिका कंपनियों का करोड़ों लीटर तेल

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देशभर में आज करीब 70 हजार पेट्रोल पंप मालिकों ने कंपनियों से तेल खरीद बंद कर दी है. डीलर्स का कहना है कि सरकार हमें पांच साल पुरानी दर पर कमीशन दे रही है जबकि इस दौरान हमारी लागत में बड़ा इजाफा हो चुका है. इसकी भरपाई के लिए कंपनियों को तत्‍काल हमारे कमीशन का रेट बढ़ाना होगा.

कौन फिक्‍स करता है पेट्रोल और डीजल की बिक्री पर पंप डीलर का कमीशन?पेट्रोल-डीजल पर अभी प्रति लीटर करीब 2 फीसदी कमीशन मिलता है.
नई दिल्‍ली. ग्राहक को पेट्रोल पंप पर जिस कीमत पर तेल मिलता है उसमें कंपनियों का मुनाफा, सरकारों का टैक्‍स और डीलर का कमीशन भी जुड़ा होता है. पंप डीलरों का आरोप है कि पिछले पांच साल से उनके कमीशन में कोई इजाफा नहीं किया गया, जबकि इस दौरान पेट्रोल-डीजल की कीमत सहित तमाम तरह की लागत बढ़ चुकी है.

ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर पेट्रोल पंप डीलर्स का कमीशन तय कौन करता है और इसका मानक कैसे बनाया जाता है. मौजूदा कमीशन का रेट डीलर्स के लिए क्‍यों अपर्याप्‍त हो गया है जिसे बढ़ाने की मांग को लेकर आज देशभर में 70 हजार से ज्‍यादा पेट्रोल पंप एक तरह से हड़ताल पर हैं, क्‍योंकि इन पंप पर आज पेट्रोलियम कंपनियों से कोई तेल की खरीद नहीं हुई. अगर एक दिन की तेल बिक्री के आंकड़े ही देखें तो देशभर में कंपनियों के आज करोड़ों लीटर तेल की बिक्री नहीं हुई है.
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पेट्रोलियम मंत्रालय से आता है आदेश
दिल्‍ली पेट्रोल-डीजल डीलर एसोसिएशन के पूर्व वाइस प्रेसिडेंट निशीत गोयल का कहना है कि डीलरों के कमीशन पर अंतिम मुहर पेट्रोलियम मंत्रालय ही लगाता है. तेल मार्केटिंग कंपनियां जैसे इंडियन ऑयल, बीपीसीएल, एचपीसीएल आदि डीलर के कमीशन तय करने को लेकर अपनी सिफारिश मंत्रालय के पास भेजती हैं और वहां से मुहर लगने के बाद प्रति लीटर तेल पर डीलर का कमीशन तय हो जाता है.
डीलर क्‍यों मांग रहे ज्‍यादा कमीशन
गोयल ने बताया कि बतौर पेट्रोल पंप मालिक डीलरों को सभी खर्चे खुद ही उठाने पड़ रहे हैं. साल 2017 में हमारे कमीशन में आखिरी बार बढ़ोतरी की गई थी. इसके बाद कई बार मांग उठाए जाने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं हुई है. इन पांच सालों में महंगाई आसमान पर जा चुकी है. कर्मचारियों का वेतन भी 30-40 फीसदी तक बढ़ चुका है. बिजली बिल में भी बड़ी बढ़ोतरी हो चुकी है. इसके अलावा भी तमाम तरह के इनपुट कॉस्‍ट बढ़ चुके हैं, लेकिन हमारा कमीशन पांच साल पुराने रेट पर ही चल रहा है.

कितना है मौजूदा कमीशन और कितने की है मांग
डीलरों को अभी प्रति लीटर करीब 2 फीसदी का कमीशन दिया जा रहा है. इसे रुपये में देखें तो पेट्रोल पर प्रति लीटर 2.90 रुपये और डीजल पर 1.85 रुपये का कमीशन मिल रहा है. संगठनों का कहना है कि मौजूदा लागत पर यह कमीशन तर्कसंगत नहीं है. कंपनियों और डीलर्स के बीच करार के अनुसार, हमारे कमीशन में हर 6 महीने पर बढ़ोतरी होनी चाहिए. हमें मौजूदा समय में 3.5-4 फीसदी का कमीशन प्रति लीटर तेल बिक्री पर मिलना चाहिए.

आज कंपनियों को कितना नुकसान
कमीशन बढ़ाने की मांग को लेकर आज देशभर में करीब‍ 70 हजार पेट्रोल पंप ने कंपनियों से तेल नहीं खरीदा. अगर सिर्फ दिल्‍ली की बात करें तो यहां एक दिन में कंपनियों से 27 लाख लीटर डीजल और 30 लाख लीटर पेट्रोल खरीदा जाता है. देशभर के आंकड़े देखें तो यह संख्‍या 4 करोड़ लीटर पेट्रोल और इतने ही डीजल का बैठता है. हालांकि, कंपनियों को सीधे तौर पर कोई नुकसान नहीं होगा, क्‍योंकि कल से पंप पर फिर तेल खरीद शुरू हो जाएगी. लेकिन, एक दिन का भंडार संभालने के लिए कंपनियों को अतिरिक्‍त मेहनत जरूर करनी पड़ेगी.
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घटतौली और मिलावट को मिलेगा बढ़ावा
नाम न छापने की शर्त पर कुछ डीलर्स ने बताया कि अगर सरकार और तेल कंपनियां हमारी मांगों पर गौर नहीं करती हैं तो हमें अपनी दाल-रोटी चलाने के लिए अन्‍य तरीके अपनाने पड़ेंगे. हालांकि, उन्‍होंने स्‍पष्‍ट तौर पर यह नहीं बताया कि अन्‍य तरीका क्‍या होगा लेकिन उनका इशारा तेल में मिलावट और घटतौली करने की ओर था. इसका सीधा नुकसान ग्राहकों को ही उठाना पड़ेगा. फिलहाल उम्‍मीद है कि तेल कंपनियां डीलर्स की मांग को लेकर कोई रास्‍ता निकालेंगी.
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