Advertisement

Tariff War : भारत पर भी लग सकता है टैरिफ, सरकार ने दिए संकेत

Written by:
Last Updated:

भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर वार्ता जारी है. सरकार ने उद्योग जगत को रेसिप्रोकल टैरिफ के लिए तैयार रहने को कहा है. वाणिज्य मंत्रालय ने गैर-शुल्क बाधाओं की सूची मांगी है.

भारत पर भी लग सकता है रेसिप्रोकल टैरिफ, सरकार ने दिए संकेतसरकार ने टैरिफ को लेकर इंडस्‍ट्री को तैयार रहने को कहा है.
नई दिल्ली. भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित व्यापार समझौते को लेकर वार्ता का दौर जारी है. दोनों ही पक्षों का कहना है कि बातचीत अच्‍छी चल रही है. लेकिन, सरकार ने उद्योग जगत से अमेरिका के रेसिप्रोकल टैरिफ के लिए तैयार रहने को कहा है. शुक्रवार को वाणिज्‍य मंत्रालय और उद्योग प्रतिनिधियों के बीच हुई बैठक में सरकार ने स्पष्ट किया कि समझौते के तहत पारस्परिक शुल्क (reciprocal tariffs) की संभावना बनी हुई है. बैठक में वाणिज्य विभाग ने भारतीय निर्यातकों से उन गैर-शुल्क बाधाओं (non-tariff barriers) सूची भी मांगी है जिनका सामना उनको करना पड़ रहा है.

वाणिज्‍य मंत्रालय सरकार ने उद्योग जगत को जानकारी दी है कि मौजूदा बातचीत मुख्य रूप से उत्पादों और शुल्क दरों (टैरिफ लाइन्स) पर केंद्रित है. इसके साथ ही उद्योग को रूल्स ऑफ ओरिजिन को लेकर सतर्क किया गया है, जो यह तय करेंगे कि कोई उत्पाद शुल्क छूट का पात्र होगा या नहीं. हालांकि, बैठक में सरकार ने यह नहीं बताया कि भारत इस व्यापार समझौते से क्या अपेक्षाएं रखता है और न ही उद्योग प्रतिनिधियों से यह पूछा गया कि क्षेत्रवार बातचीत कैसे आगे बढ़ाई जाए. इसके बावजूद, यह बैठक इसलिए अहम मानी जा रही है क्योंकि यह पहली बार है जब सरकार ने उद्योग जगत से औपचारिक चर्चा की है.
ये भी पढ़ें- अमेरिका से ट्रेड एग्रीमेंट पर चल रही वार्ता, फिर क्‍यों सरकार ने इंडस्‍ट्री को टैरिफ के लिए तैयार रहने को कहा

अलग हो सकते हैं भारतीय कं‍पनियों के लिए नियम
टाइम्‍स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, बैठक में रूल्स ऑफ ओरिजिन मुख्य चर्चा का विषय रहा. सूत्रों के अनुसार, इन नियमों पर अंतिम चर्चा समझौते में शामिल उत्पादों की सूची तय होने के बाद की जाएगी. भारत के मुख्य वार्ताकार राजेश अग्रवाल के नेतृत्व में अधिकारियों की टीम ने बताया कि अमेरिका के नियम भारतीय कंपनियों के लिए नए और भिन्न हो सकते हैं. अमेरिका आमतौर पर कनाडा, मेक्सिको और जापान के साथ हुए व्यापार समझौतों के तहत अलग-अलग नियम अपनाता है.
उदाहरण के लिए, अमेरिका-मेक्सिको-कनाडा समझौते (USMCA) में कृषि उत्पादों के लिए समान नियम हैं, जबकि जापान के साथ मसालों के लिए टैरिफ सब-हेडिंग में बदलाव किया गया है. वहीं अमेरिका, चाय और मसालों दोनों के लिए अलग शर्त लगाता है. ऑटोमोबाइल, वस्त्र और परिधान जैसे क्षेत्रों में भी USMCA के तहत अलग-अलग उत्पाद नियम हैं, जो जापान के साथ समझौते में नहीं हैं.

उद्योग जगत से रणनीति तैयार करने को कहा
सरकार ने उद्योग जगत से कहा है कि वे अमेरिका के नियमों के अनुसार अपनी रणनीति तैयार करें, जहां उत्पाद के रूप, स्वरूप, प्रकृति और चरित्र में बदलाव को अहम माना जाता है. भारत के मौजूदा व्यापार समझौतों में मुख्य रूप से मूल्यवर्धन और उत्पाद वर्गीकरण में बदलाव पर जोर दिया जाता है.
न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
homebusiness
भारत पर भी लग सकता है रेसिप्रोकल टैरिफ, सरकार ने दिए संकेत
और पढ़ें