एक घंटे का काम 48 घंटे में, फिर भी क्लेम रिजेक्ट, जान-बूझकर चक्कर कटवा रहीं इंश्योरेंस कंपनियां- सर्वे
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एक सर्वे में पता चला है कि 10 में से 6 हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी होल्डर्स को उनके क्लेम सेटलमेंट में देरी के चलते डिस्चार्ज के लिए 6 से 48 घंटे का इंतजार करना पड़ा, जबकि नियमों के तहत क्लेम एक घंटे के अंदर सेटल होना चाहिए.

नई दिल्ली. हेल्थ इंश्योरेंस में सबसे बड़ा चैलेंज क्लेम सेटलमेंट होता है. अक्सर हर ग्राहक की यही शिकायत होती है कि कंपनी क्लेम के लिए खूब चक्कर कटवाती है. पॉलिसी होल्डर्स के ये दावे बिल्कुल सही हैं, क्योंकि एक सर्वे में खुलासा हुआ है कि हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां क्लेम सेटलमेंट में लेटलतीफी और जानबूझकर देरी करती हैं. ये खुलासा Local Circles नाम की एजेंसी ने अपने सर्वे में किया है.
सर्वे के मुताबिक 80 फीसदी लोगों ने दावा किया की हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां क्लेम सेटलमेंट में जानबूझकर देरी इसलिए करती हैं ताकि उन्हें कम पैसे चुकाने पड़ें.
सर्वे के मुताबिक 80 फीसदी लोगों ने दावा किया की हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां क्लेम सेटलमेंट में जानबूझकर देरी इसलिए करती हैं ताकि उन्हें कम पैसे चुकाने पड़ें.
सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि 10 में से 6 हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी होल्डर्स को उनके क्लेम सेटलमेंट में देरी के चलते डिस्चार्ज के लिए 6 से 48 घंटे का इंतजार करना पड़ा.
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सर्वे में पॉलिसी होल्डर्स ने और क्या कहा
पिछले 3 साल में क्लेम सेटेलमेंट कराने वाले लोगों से उनके एक्सपीरियंस के बारे में पूछा गया तो पता चला कि 10 में से 5 यानी की 50 फीसदी लोगों का कहना है कि स्वास्थ्य बीमा कंपनी ने बिना किसी सही कारण बताए उनके क्लेम को रिजेक्ट कर दिया या फिर कम भुगतान किया. हेल्थ इंश्योरेंस होल्डर्स के अस्पताल से डिस्चार्ज होने में अक्सर देरी की शिकायतें आती हैं. वजह डिस्चार्ज होने के वक्त बीमा कंपनी को अस्पताल के क्लेम को सेटल करना होता है.
सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि 21 फीसदी लोगों ने बताया कि उन्हें डिस्चार्ज होने में एक से दो दिन लग गए. इसका सीधा सा मतलब यह है कि बीमा कंपनी की क्लेम सेटलमेंट में लगने वाले वक्त के चलते उन्हें लगभग 48 घंटे तक अस्पताल में स्वस्थ होने के बावजूद बिना किसी वजह के बिताना पड़ा.
केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय के अधीन रेगुलेटरी बॉडी IRDAI ने जून 2024 में हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों को निर्देश दिया था कि कैशलेस क्लेम के मामले में उन्हें तुरंत या 1 घंटे के अंदर फैसला करना होगा अगर ऐसा नहीं होता तो अतिरिक्त पैसा भी इन्हीं कंपनियों को भरना होगा इसके बावजूद लोगों को क्लेम रजिस्टर करने या फिर सेटलमेंट में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
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Chandrashekhar Gupta
चंद्रशेखर गुप्ता को टीवी और डिजिटल पत्रकारिता में 9 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने जी न्यूज में काम किया है. वर्तमान में वह hindi.news18.com के होम पेज पर काम कर रहे हैं. उन्हे...और पढ़ें
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