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दुनिया कर रही 'Make in India' को सपोर्ट! अमेरिका 35 चीनी कंपनियां को करेगा ब्लैकलिस्ट

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Trade Blacklist: एक बार फिर अमेरिका ने चीनी कंपनियों को ब्लैकलिस्ट कर उनसे व्यापार को मुश्किल कर दिया है. चीन की 35 कंपनियों को ब्लैकलिस्ट किया गया है अब अमेरिकी ट्रेडर्स को उनसे व्यापार करने के लिए विशेष लाइसेंस लेना होगा.

'Make in India' को सपोर्ट! अमेरिका 35 चीनी कंपनियां को करेगा ब्लैकलिस्टअमेरिका ने चीन की 35 कंपनियों को ब्लैकलिस्ट करने का फैसला किया है. (फोटो न्यूज 18)
नई दिल्ली. मेक इन इंडिया का सपोर्ट अब दुनिया भर में किया जा रहा है. इसका एक ताजा उदाहरण अमेरिका के उठाए कदम से देखने को मिला है. अमेरिका अपनी ट्रेड ब्लैकलिस्ट की सूची में 35 चीनी कंपनियों को जोड़ने जा रहा है. इस बात की जानकारी ब्लूमबर्ग न्यूज की रिपोर्ट में मंगलवार को दी गई. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के एडमिनिस्ट्रेशन ने चीनी चिप मेकर कंपनी येंगटेज मेमोरी टेक्नोलॉजी सहित 35 कंपनियों को इस सूची में डालने का निर्णय लिया है. रिपोर्ट के अनुसार आने वाले सप्ताह की शुरुआत में ही यूएस डिपार्टमेंट ऑफ कॉमर्स इन कंपनियों को एक विशेष ब्लैकलिस्ट में जोड़ दिया जाएगा.

अमेरिका के इस कदम को एक और नजरिए से भी देखा जा रहा है. दुनिया भर में मेक इन इंडिया को लेकर चल रही चर्चा के बीच ये कयास लगाए जा रहे हैं कि ऐसे कदम इस मुहिम को बढ़ावा देंगे और इंडिया से आपूर्ति में बढ़ावा होगा.

इस लिस्ट में नाम आने के बाद वे लोग जो इन कंपनियों को सामान पहुंचा रहे हैं या इंपोर्ट करवा रहे हैं उनके लिए बड़ी समस्या खड़ी हो जाएगी. ये नॉन टेक्निकल आइटम्स को मंगवाने में भी रुकावट बनेगा. हालांकि ऐसा नहीं है कि वे इंपोर्ट या एक्सपोर्ट नहीं करवा सकेंगे बल्कि इसके लिए उन्हें एक स्पेशल लाइसेंस लेने की जरूरत होगी.
कंपनी ने नहीं की टिप्पणी
अमेरिका के इस फैसलने पर YMTC ने किसी भी तरह की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है. वहीं रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी वाणिज्यिक विभाग ने भी फिलहाल इस पर टिप्पणी खुलकर नहीं की है. विभाग के एक अधिकारी ने पिछले महीने रॉयटर्स को कहा था कि YMTC सहित दर्जनों अन्य चीनी संस्थाओं को 6 दिसंबर को ट्रेड ब्लैकलिस्ट में शामिल होने का “जोखिम” था.
बढ़ा था बीजिंग के साथ तनाव
अमेरिकी अधिकारियों का अक्टूबर में इन कंपनियों का निरीक्षण न कर पाने के बाद बीजिंग से अमेरिका का व्यापारिक तनाव बढ़ता दिखा था. उसी समय से अंदाजा लगाया जा रहा था कि अमेरिका इसको लेकर बड़ा कदम उठा सकता है.

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