जमीन सिरेंडर विवाद में YEIDA की जीत, अब होगा 1500 करोड़ का फायदा, नाराज मकान खरीदारों ने खोला मोर्चा
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Builder Dispute : यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरण और बिल्डर के बीच एक विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बिल्डर को बड़ा झटका दिया है. कोर्ट ने कहा कि प्राधिकरण अपनी जगह सही है और डेवलपर्स को अब 1500 करोड़ रुपये चुकाने होंगे, अगर वह जमीन वापस करता है.

नई दिल्ली. यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (YEIDA) को जमीन विवाद में बड़ी जीत हासिल हुई है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वनालिका डेवलपर्स के साथ विवाद में अथॉरिटी के पक्ष में अपना फैसला सुनाया. इस फैसले से अथॉरिटी को पूरे 1500 करोड़ रुपये का फायदा हो सकता है. डेवलपर्स ने 12 साल पहले खरीदी जमीन वापस करने की बात कही थी, जिसे लेकर विवाद हुआ. तब इस जमीन को 205 करोड़ में खरीदा था, लेकिन मौजूदा रेट 1700 करोड़ से ज्यादा है. ऐसे में माना जा रहा है कि जमीन सरेंडर होने के बाद इसकी नीलामी होती है तो प्राधिकरण को 1500 करोड़ और मिल सकते हैं.
मामला साल 2011-2012 का का है, जब यूपी में बसपा और सपा की सरकार थी. विवाद यमुना एक्सप्रेसवे के सेक्टर 22डी में खरीदे गए 100 एकड़ प्लॉट के सरेंडर से जुड़ा हुआ है. यह प्लॉट शुरुआत में 4 कंपनियों के कंसोर्टियम को दिया गया था. इसमें सनवर्ल्ड इन्फ्रा कंपनी, वनालिका डेवलपर्स, ओडियन बिल्डर्स और वनालिका इन्फ्रा कंपनी शामिल थी. इस प्रोजेक्ट को स्पेशल पर्पज कंपनी सनवर्ल्ड सिटी प्राइवेट लिमिटेड मैनेज कर रही थी. जमीन को अब वनालिका डेवलपर्स सरेंडर करना चाहती है. इस पर अथॉरिटी ने अपना फैसला सुनाया था.
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आपसी विवाद से अटका मामला
कंसोर्टियम के बीच आपसी विवाद की वजह से मामला अटक गया और इस जमीन पर कोई निर्माण नहीं हो सका. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि इस कंसोर्टियम में वनालिका डेवलपर्स की 15 फीसदी हिस्सेदारी है. लिहाजा उसके पास अथॉरिटी के फैसले को चैलेंज करने के लिए कोई कानूनी आधार नहीं है.
कंसोर्टियम के बीच आपसी विवाद की वजह से मामला अटक गया और इस जमीन पर कोई निर्माण नहीं हो सका. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि इस कंसोर्टियम में वनालिका डेवलपर्स की 15 फीसदी हिस्सेदारी है. लिहाजा उसके पास अथॉरिटी के फैसले को चैलेंज करने के लिए कोई कानूनी आधार नहीं है.
कितने में खरीदा था प्लॉट
इस प्लॉट को बसपा और सपा सरकार के समय साल 2011-12 में 205 करोड़ रुपये में खरीदा गया था. प्राधिकरण ने मौजूदा रेट के हिसाब से इसकी कीमत 1700 करोड़ रुपये बताई है. जाहिर है कि अब उसे इस 100 एकड़ के प्लॉट के लिए 1500 करोड़ रुपये और चाहिए. कोर्ट ने भी अपना फैसला प्राधिकरण के हक में दिया है.
इस प्लॉट को बसपा और सपा सरकार के समय साल 2011-12 में 205 करोड़ रुपये में खरीदा गया था. प्राधिकरण ने मौजूदा रेट के हिसाब से इसकी कीमत 1700 करोड़ रुपये बताई है. जाहिर है कि अब उसे इस 100 एकड़ के प्लॉट के लिए 1500 करोड़ रुपये और चाहिए. कोर्ट ने भी अपना फैसला प्राधिकरण के हक में दिया है.
मकान खरीदारों ने खोला मोर्चा
बिल्डर और प्राधिकरण की इस लड़ाई के बीच मकान खरीदारों ने भी मोर्चा खोल दिया है. इस प्रोजेक्ट में पैसा लगाने वालों ने प्लॉट सरेंडर होने पर धरना देने का ऐलान किया है. साथ ही सीबीआई और ईडी से बिल्डर के खिलाफ जांच कराने की भी मांग की है. उनका कहना है कि उन्हें निवेश किए पैसे ब्याज सहित लौटाए जाएं.
बिल्डर और प्राधिकरण की इस लड़ाई के बीच मकान खरीदारों ने भी मोर्चा खोल दिया है. इस प्रोजेक्ट में पैसा लगाने वालों ने प्लॉट सरेंडर होने पर धरना देने का ऐलान किया है. साथ ही सीबीआई और ईडी से बिल्डर के खिलाफ जांच कराने की भी मांग की है. उनका कहना है कि उन्हें निवेश किए पैसे ब्याज सहित लौटाए जाएं.
क्या बोली अदालत
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि वनालिका डेवलपर्स का मामला उसके आंतरिक विवाद की वजह से उलझा है न कि अथॉरिटी के किसी गलत कदम की वजह से. साथ ही इस मामले को एनसीएलटी जैसे उपयुक्त मंच से हल कराने की बात भी कही है, जहां पहले से मामला लंबित है. दूसरी ओर, प्रदेश की मौजूदा योगी सरकार ने मामले को पारदर्शी तरीके से निपटाने की बात कही है. कोर्ट के आदेश के बाद माना जा रहा है कि जल्द ही इस प्लॉट की नीलामी शुरू हो जाएगी और इस पर टाउनशिप डेवलपमेंट की उम्मीदें भी बढ़ गई हैं.
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि वनालिका डेवलपर्स का मामला उसके आंतरिक विवाद की वजह से उलझा है न कि अथॉरिटी के किसी गलत कदम की वजह से. साथ ही इस मामले को एनसीएलटी जैसे उपयुक्त मंच से हल कराने की बात भी कही है, जहां पहले से मामला लंबित है. दूसरी ओर, प्रदेश की मौजूदा योगी सरकार ने मामले को पारदर्शी तरीके से निपटाने की बात कही है. कोर्ट के आदेश के बाद माना जा रहा है कि जल्द ही इस प्लॉट की नीलामी शुरू हो जाएगी और इस पर टाउनशिप डेवलपमेंट की उम्मीदें भी बढ़ गई हैं.
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Pramod Kumar Tiwari
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि... और पढ़ें
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