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Explainer: अरबों का निवेश, पैदा होंगी हजारों नौकरियां, सेमीकंडक्टर निर्माण से भारत को होंगे ये बड़े फायदे

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भारत में सेमीकंडक्टर का निर्माण कितना महत्व रखता है और उद्योग जगत को देश में निर्मित सेमीकंडक्टर से क्या फायदा होगा? इस इंडस्ट्री से देश में आने वाले वर्षों में कितनी नई नौकरियां पैदा होंगी. आइये जानते हैं इससे जुड़े हर सवाल का जवाब

Explainer: सेमीकंडक्टर से आएगा अरबों का निवेश, पैदा होंगी हजारों नौकरियांटेक्नोलॉजी से जुड़े हर प्रॉडक्ट्स में सेमीकंडक्टर चिप का इस्तेमाल होता है.
नई दिल्ली. भारत को सेमीकंडक्टर निर्माण का हब बनाने के लिए सरकार से लेकर उद्योग जगत तक एड़ी चोटी का जोर लगा रहा है. सेमीकॉन इंडिया 2023 समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को एशिया में अगला सेमीकंडक्टर पावर हाउस बनने के लिए अपना दृष्टिकोण सामने रखा. ऐसे में देश के आम आदमी को भी यह जानने की जरूरत है कि आखिर भारत के लिए सेमीकंडक्टर का निर्माण क्या मायने रखता है और इससे हमें क्या फायदा मिलेगा.

सेमीकंडक्टर के महत्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दुनिया के कई देश इसे बनाने की क्षमता हासिल करने के लिए अरबों डॉलर का निवेश कर रहे हैं. भारत में सेमीकंडक्टर का निर्माण कितना महत्व रखता है यह जानने के लिए आपको सबसे पहले यह पता होना चाहिए कि आखिर यह किस काम आता है और उद्योग जगत को देश में निर्मित सेमीकंडक्टर से क्या फायदा होगा? आइये आपको विस्तार से बताते हैं.
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क्या होते हैं सेमीकंडक्टर
सेमीकंडक्टर आमतौर पर सिलिकॉन चिप्स होते हैं. ये छोटे इंटीग्रेटेड सर्किट, इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोटिव से लेकर फार्मास्युटिकल डिवाइस, स्मार्टफोन, एटीएम से लेकर कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में इस्तेमाल होते हैं. सेमीकंडक्टर हाई-कंप्यूटिंग, ऑपरेशनल कंट्रोल, डेटा प्रोसेसिंग, स्टोरेज, इनपुट और आउटपुट मैनेजमेंट, सेंसिंग, वायरलेस कनेक्टिविटी जैसे कार्यों को पूर्ण करते हैं.
जुनिपर रिसर्च की लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार, 2021 के आखिरी तक अकेले IoT उपकरणों की संख्या 46 अरब तक पहुंच जाएगी. इनमें से प्रत्येक उपकरण सेमीकंडक्टर द्वारा संचालित होगा. सेमीकंडक्टर इलेक्ट्रॉनिक्स और विनिर्माण उद्योगों, कृषि, स्वास्थ्य सेवा, इंफ्रास्ट्रक्चर, मनोरंजन, दूरसंचार, परिवहन, ऊर्जा प्रबंधन, सैन्य प्रणालियों और स्पेस साइंस में हाई-कंप्यूटिंग के इस्तेमाल के लिए महत्वपूर्ण हैं.

पीएम मोदी ने की पहल
भारत को सेमीकंडक्टर निर्माण के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए पीएम मोदी ने इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम में सुधार करने और एक मजबूत सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम को बढ़ावा देने की जरूरत पर जोर दिया है. इसके लिए देश में 300 से ज्यादा प्रमुख कॉलेजों की पहचान की गई है, जहां सेमीकंडक्टर पर स्पेशल सिलेबस उपलब्ध कराए जाएंगे. भारत सरकार के इस कदम से सेमीकंडक्टर सेक्टर को बड़ा लाभ होने की उम्मीद है.
हेल्थकेयर सेक्टर में बड़ी मांग
हर देश के लिए हेल्थ केयर सुविधाएं उसकी सर्वोच्च प्राथमिकता होती है और सभी बड़े मेडिकल डिवाइस में सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल होता है. इनमें एमआरआई मशीनें, पेसमेकर, ब्लड प्रेशर मॉनिटर, वायरलेस पेशेंट मॉनिटर और वेंटिलेटर शामिल हैं, जो हर दिन लाखों लोगों की जान बचाते हैं. इतना ही नहीं चिप-इनेबल रोबोटिक सर्जिकल सिस्टम के उपयोग से कई तरह की सर्जरी की जा रही हैं, जिससे मेडिकल जगत में बड़ी क्रांति आई है.

फरवरी 2019 में कोरोना महामारी आने से एक साल पहले, SIA (सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री एसोसिएशन) ने बताया था कि अकेले 2018 में रिकॉर्ड तोड़ ‘एक खबर से अधिक चिप्स’ बेचे गए थे. वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक हालिया रिपोर्ट बताती है कि सेमीकंडक्टर दुनिया के चौथे सबसे अधिक कारोबार वाले उत्पाद, जिनका जमकर आयात और निर्यात किया जाता है.
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AI समेत कई लेटेस्ट टेक्नोलॉजी में बढ़ता इस्तेमाल
दुनियाभर में उभरती टेक्नोलॉजी, खास तौर पर IoT, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और ब्लॉकचेन सभी उद्योगों में सेमीकंडक्टर की मांग प्रमुखता से है. इन विभिन्न क्षेत्रों में स्पेशल सेंसर, इंटीग्रेटेड सर्किट, शॉर्प मेमोरी और एडवांस प्रोसेसर की जरूरत बढ़ रही है. इसके अलावा 5G मोबाइल नेटवर्क में भी सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल होता है.
दुनिया भर के कई देशों में स्मार्ट सिटीज तैयार की जा रही हैं. इसके तहत स्थानीय सरकारें अपने नागरिकों के लिए शहरी सेवाओं और इंफ्रास्ट्रक्चर में व्यापक सुधार लाने के लिए प्रतिबद्ध है. इस तरह का इंटर-कनेक्टेड इंफ्रास्ट्रक्चर सेमीकंडक्टर द्वारा संचालित होगा.

क्यों चुनौतीपूर्ण सेमीकंडक्टर निर्माण?
सेमीकंडक्टर चिप उत्पादन अपने आप में एक कठिन प्रक्रिया है जिसमें कई देशों पर निर्भरता शामिल है. चिप डिज़ाइन से लेकर कच्चा माल जुटाना, निर्माण, असेंबली, टेस्टिंग, पैकेजिंग, स्टोरेज और विभिन्न उद्योगों में उपयोग के लिए अनुकूलित अर्धचालकों की अंतिम डिलीवरी तक की प्रोसेस में 1000 से ज्यादा स्टेज हैं.
ताइवान, चीन और दक्षिण कोरिया जैसे देश चिप निर्माण में अग्रणी हैं. ऐसे कार्यों के लिए बड़े पूंजी निवेश, मजबूत बुनियादी ढांचे और कुशल जनशक्ति की आवश्यकता होती है. ताइवान सेमीकंडक्टर्स की असेंबली, पैकेजिंग और परीक्षण कार्यों में भी अग्रणी है, इसके बाद चीन और मलेशिया का नंबर आता है.

सेमीकंडक्टर निर्माण से पैदा होंगी नई नौकरियां
भारत में सेमीकंडक्टर की मांग लगभग 24 बिलियन डॉलर है और 2025 तक 100 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की संभावना है. इसलिए भारत सरकार देश में सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम के निर्माण और ग्लोबल लेवल पर इसकी सप्लाई करने की भूमिका पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. फिलहाल, देश में सेमीकंडक्टर की मांग काफी हद तक इम्पोर्ट से पूरी होती है. हाल ही में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने बताया कि चिप बनाने वाली यूनिट्स स्थापित करने के लिए देश को 2027 तक 10,000-13,000 कुशल कामगारों की जरूरत होगी.
सेमीकंडक्टर तेजी से बदल रही तकनीक और प्रौद्योगिकी सेक्टर की रीढ़ है, लेकिन सेमीकंडक्टर उद्योग के सामने कई चुनौतियाँ भी हैं. वर्तमान में दुनिया भर की सरकारें इस क्राइसिस से निपटने की तैयारी कर रही हैं. ऐसा माना जा रहा है कि निकट भविष्य में सेमीकंडक्टर को अधिकांश देशों में “महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे” का दर्जा प्राप्त होगा.

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Chandrashekhar Gupta
चंद्रशेखर गुप्ता को टीवी और डिजिटल पत्रकारिता में 9 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने जी न्यूज में काम किया है. वर्तमान में वह hindi.news18.com के होम पेज पर काम कर रहे हैं. उन्हे...और पढ़ें
चंद्रशेखर गुप्ता को टीवी और डिजिटल पत्रकारिता में 9 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने जी न्यूज में काम किया है. वर्तमान में वह hindi.news18.com के होम पेज पर काम कर रहे हैं. उन्हे... और पढ़ें
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