Harvard University: कौन हैं वो दो राजकुमारियां, ट्रंप के बैन से जिनकी पढ़ाई पर लगा ग्रहण, अब क्या होगा आगे?
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Harvard Trump Controversy: डोनाल्ड ट्रंप के फैसले से हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के 7,000 विदेशी छात्रों का भविष्य अनिश्चित हो गया है. इसमें कनाडा के पीएम की बेटी क्लियो कार्नी और बेल्जियम की प्रिंसेस एलिजाबेथ भी शामिल हैं.

Harvard Trump Controversy: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक फैसले ने तमाम उन युवाओं के सपनों पर पानी फेर दिया जो हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में जाकर पढ़ने का ख्वाब देखते थे. इस फैसले का असर एक पीएम की बेटी और एक देश की भावी रानी पर भी पडा है.ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की विदेशी छात्रों को दाखिला देने की मंजूरी (SEVP)रद्द कर दी. इसका मतलब है कि हार्वर्ड में पढ़ रहे करीब 7,000 विदेशी छात्रों को या तो दूसरी यूनिवर्सिटी में ट्रांसफर करना होगा या उनका वीजा रद्द हो सकता है. ट्रंप का कहना है कि हार्वर्ड ने गृह सुरक्षा विभाग (DHS)की मांग के मुताबिक विदेशी छात्रों की जानकारी नहीं दी, जिसके चलते ये कदम उठाया गया. हार्वर्ड ने इसे असंवैधानिक बताते हुए 23 मई 2025 को बोस्टन की फेडरल कोर्ट में मुकदमा दायर किया. 24 मई को कोर्ट ने इस बैन पर अस्थायी रोक लगा दी, लेकिन मामला अभी अनसुलझा है.जिसके बाद हार्वर्ड और यहां पढने वाले स्टूडेंट दोनों चर्चा में हैं इसमें भी सबसे अधिक चर्चा उन दो देशों की राजकुमारियों की है जो यहां पर पढाई कर रही थी एक तो आने वाले समय में एक देश की रानी बनने वाली हैं.आइए आपको बताते हैं इन दोनों राजकुमारियों के बारे में…
Who is Cleo Carney: सबसे पहले बात क्लियो कार्नी की. क्लियो कार्नी कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी और अर्थशास्त्री डायना फॉक्स कार्नी की सबसे बड़ी बेटी हैं. वह हार्वर्ड में अंडरग्रेजुएट स्टूडेंट हैं और सोशल स्टडीज पढ़ रही हैं.साथ में एनर्जी और एनवायरनमेंट में माइनर कर रही हैं. उन्होंने मार्च 2025 में अपने पिता को लिबरल पार्टी लीडरशिप इवेंट में इंट्रोड्यूस करके सुर्खियां बटोरी थीं.क्लियो ने हार्वर्ड में अपना पहला साल पूरा कर लिया है.वह क्लाइमेट और सस्टेनेबिलिटी के क्षेत्र में काम करती हैं और ब्ल्यूडॉट इंस्टीट्यूट की बोर्ड मेंबर हैं. यह एक क्लाइमेट-फोकस्ड नॉन-प्रॉफिट संस्था है,लेकिन ट्रंप के बैन की वजह से उनकी पढ़ाई का भविष्य अनिश्चित है. अगर बैन लागू रहा,तो उन्हें दूसरी यूनिवर्सिटी में ट्रांसफर करना पड़ सकता है.हालांकि गौर करने वाली बात यह है कि कनाडा सरकार ने अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है. मार्क कार्नी ने ट्रंप के साथ चल रही व्यापार और सुरक्षा वार्ताओं में इस मुद्दे को नहीं उठाया.
Who is Princess Elisabeth: प्रिंसेस एलिजाबेथ: बेल्जियम की भावी रानी
23 साल की प्रिंसेस एलिजाबेथ बेल्जियम के राजा फिलिप और रानी मथिल्डे की सबसे बड़ी बेटी हैं और बेल्जियम की गद्दी की पहली उत्तराधिकारी हैं.वह हार्वर्ड कैनेडी स्कूल में पब्लिक पॉलिसी में दो साल का मास्टर्स प्रोग्राम कर रही हैं. इससे पहले उन्होंने ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी से हिस्ट्री और पॉलिटिक्स में बैचलर डिग्री ली थी. उन्हें फुलब्राइट प्रोग्राम का ‘ऑनरेरी अवॉर्ड’भी मिला है.एलिजाबेथ ने हार्वर्ड में अपना पहला साल पूरा किया और अभी गर्मियों की छुट्टियों के लिए बेल्जियम में हैं. इस बैन की वजह से उनके दूसरे साल के लिए अमेरिका लौटने पर सवालिया निशान है. बेल्जियम रॉयल पैलेस के प्रवक्ता लोर वांडोर्न की ओर से जारी बयान में कहा गया कि हम स्थिति का जायजा ले रहे हैं.एलिजाबेथ की पढ़ाई उनके भविष्य की तैयारी का हिस्सा है. हार्वर्ड का पब्लिक पॉलिसी प्रोग्राम उन्हें पब्लिक सर्विस में करियर के लिए तैयार करता है. अगर वह अपनी डिग्री पूरी नहीं कर पाईं,तो ये उनके शाही करियर को भी प्रभावित कर सकता है.
Harvard Trump Vivad: हार्वर्ड ने क्या कहा?
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी प्रशासन का कहना है कि ये बैन संविधान के पहले संशोधन का उल्लंघन करता है और इसके 7,000 विदेशी छात्रों पर असर होगा. यूनिवर्सिटी का मानना है कि विदेशी छात्रों के बिना हार्वर्ड, हार्वर्ड नहीं रहता.दूसरी तरफ ट्रंप प्रशासन का दावा है कि हार्वर्ड ने वामपंथी नीतियां अपनाईं और गृह सुरक्षा विभाग की मांग के मुताबिक विदेशी छात्रों की जानकारी नहीं दी. DHS ने हार्वर्ड पर कैंपस में हिंसा और यहूदी-विरोधी माहौल को बढ़ावा देने का भी आरोप लगाया हालांकि 24 मई 2025 को बोस्टन की फेडरल कोर्ट ने बैन पर अस्थायी रोक लगा दी,जिससे क्लियो और एलिजाबेथ जैसे छात्रों को फिलहाल राहत मिली है, लेकिन कोर्ट का अंतिम फैसला अभी बाकी है.
अगर बैन रहा तो क्या होगा?
अगर हार्वर्ड पर लगा बैन लागू होता है,तो क्लियो कार्नी को अपनी सस्टेनेबिलिटी और क्लाइमेट-फोकस्ड पढ़ाई के लिए दूसरी यूनिवर्सिटी तलाशनी होगी,जो उनके करियर प्लान को प्रभावित कर सकता है.इसी तरह प्रिंसेस एलिजाबेथ का मास्टर्स प्रोग्राम का दूसरा साल अधर में लटक सकता है. ये डिग्री उनके करियर के लिए अहम है.इन दोनों के अलावा हार्वर्ड के 7,000 विदेशी छात्रों के लिए वीजा और पढ़ाई का भविष्य अनिश्चित है.
क्या करें छात्र?
हार्वर्ड और अमेरिकी सरकार के बीच कोर्ट केस का नतीजा जल्द आएगा. तब तक हार्वर्ड की वेबसाइट (harvard.edu) और अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग (dhs.gov) की जानकारी पर नजर रखें.अगर बैन लागू रहा,तो छात्रों को दूसरी यूनिवर्सिटीज में ट्रांसफर का विकल्प तलाशना होगा.कोर्ट का फैसला आने तक धैर्य रखें, क्योंकि स्थिति बदल सकती है. फर्जी एजेंट्स या वेबसाइट्स से सावधान रहें जो वीजा या ट्रांसफर के नाम पर पैसे मांग सकते हैं. इनसे सावधान रहें.
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Dhiraj Raiअसिस्टेंट एडिटर
न्यूज़18 हिंदी (Network 18) डिजिटल में असिस्टेंट एडिटर के तौर पर कार्यरत. करीब 13 वर्ष से अधिक समय से मीडिया में सक्रिय. हिन्दुस्तान, दैनिक भास्कर के प्रिंट व डिजिटल संस्करण के अलावा कई अन्य संस्थानों में कार्य...और पढ़ें
न्यूज़18 हिंदी (Network 18) डिजिटल में असिस्टेंट एडिटर के तौर पर कार्यरत. करीब 13 वर्ष से अधिक समय से मीडिया में सक्रिय. हिन्दुस्तान, दैनिक भास्कर के प्रिंट व डिजिटल संस्करण के अलावा कई अन्य संस्थानों में कार्य... और पढ़ें
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