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आठ साल की उम्र में नहीं रहे पिता, पेंशन से किया गुजारा, 23 साल में बने कलेक्टर, अब हैं छत्तीसगढ़ के कैबिनेट मंत्री

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Success Story : छत्तीसगढ़ के चर्चित आईएएस ओपी चौधरी अब कैबिनेट मंत्री हैं. न्यूज18 इंडिया के खास कार्यक्रम डायमंड स्टेट्स समिट के ग्रैंड फिनाले में उन्होंने अपने आईएएस बनने की कहानी बताई.

आईएएस से कैबिनेट मंत्री बनने तक...कौन हैं ओपी चौधरी?
Success Story : न्यूज18 इंडिया के खास कार्यक्रम डायमंड स्टेट्स समिट के ग्रैंड फिनाले में छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री पूर्व आईएएस ओपी चौधरी ने भी शिरकत की. इस दौरान उन्होंने एक छोटे से गांव से निकलकर आईएएस बनने की कहानी बताई. जो यूपीएससी सिविल सेवा की तैयारी करने वाले गरीब परिवार के युवाओं को प्रेरित कर सकती है.

ओम प्रकाश चौधरी छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के बयांग गांव के रहने वाले हैं. उनके पिता एक सरकारी स्कूल में शिक्षक थे. जब उनका निधन हुआ था, तो चौधरी की उम्र महज 8 साल थी. करीब 13 साल तक कलेक्टर रहने के बाद साल 2018 में उन्होंने इस्तीफा देकर भाजपा ज्वाइन कर लिया था.
”अरे कलेक्टर तो तोप चीज होता है…”

ओपी चौधरी ने समिट में बताया, ”मैं एक छोटे से गांव में पैदा हुआ. मेरे पिता जी प्राइमरी स्कूल में टीचर थे. जब मैं आठ साल का था तो उनका निधन हो गया. मां चौथी कक्षा तक ही पढ़ी हुई हैं. पिता जी का पेंशन नहीं बन पा रही थी. हम लोग बीओ ऑफिस के जाते थे इसके लिए. फिर हम लोग एक दिन कलेक्टर ऑफिस गए. वहां कलेक्टर ने जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) को बुलाकर खूब डांटा. उस दिन हमें लगा कि कलेक्टर तो तो तोप चीज होता है. उस समय मैं 11 साल का था. उसी दिन से आईएएस बनने का ड्रीम फॉलो करने लगा.
23 साल की उम्र में बने कलेक्टर

ओपी चौधरी ने 12वीं तक की स्कूल गांव और उसके आसपास के कई स्कूलों से की. इसके बाद उन्होंने पंडित रविशंकर शुक्ला यूनिवर्सिटी से मैथ्स, फिजिक्स और इलेक्ट्रॉनिक्स में बीएससी किया. बचपन में देखे गए सपने को उन्होंने याद रखा और आखिरकार साल 2005 में उन्होंने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास कर ली. ओपी चौधरी जब कलेक्टर बने, उस वक्त उनकी उम्र 23 साल थी.
सोते थे एके 47 लेकर साथ

ओपी चौधरी ने बताया कि साल 2011 में उन्हें नक्सल प्रभावित जिले दंतेवाड़ा का कलेक्टर बनाया गया था. इस दौरान वह अपने साथ एके 47 लेकर सोते थे. साथ ही उनके कमरे के बाहर स्पेशल फोर्स के दो जवान भी सोते थे. दंतेवाड़ा का कलेक्टर रहते हुए ओपी चौधरी ने कई सराहनीय काम किए. आदिवासी बच्चों को विज्ञान के प्रति प्रोत्साहित करने और इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज में विशेष कोचिंग सुविधा के साथ आवासीय स्कूल भी शुरू कराए. लाइवलीहुड कॉलेज की शुरुआत में ओपी चौधरी का बड़ा योगदान माना जाता है. जिसे बाद में पूरे प्रदेश में लागू किया गया. इन्हीं उपलब्धियों के कारण साल 2011-12 में उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एक्सीलेंस अवार्ड से सम्मानित किया था.

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Praveen Singh
प्रवीण सिंह साल 2015 से जर्नलिज्म कर रहे हैं. न्यूज18 हिंदी के करियर/एजुकेशन/जॉब्स सेक्शन में साल 2021 से काम कर रहे हैं. इन्हें फोटोग्राफी करने, किताबें पढ़ने, बाईक से लंबी यात्राएं करने का जुनून है. किताबों मे...और पढ़ें
प्रवीण सिंह साल 2015 से जर्नलिज्म कर रहे हैं. न्यूज18 हिंदी के करियर/एजुकेशन/जॉब्स सेक्शन में साल 2021 से काम कर रहे हैं. इन्हें फोटोग्राफी करने, किताबें पढ़ने, बाईक से लंबी यात्राएं करने का जुनून है. किताबों मे... और पढ़ें
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