Advertisement

Jayant Narlikar : कौन थे डॉ. जयंत नारलीकर, जिसने दी Big-Bang थ्योरी को चुनौती? उनके बारे में जानें 5 बातें

Written by:
Last Updated:

Jayant Narlikar : भारत के महान खगोलशास्त्री और विज्ञान कथा लेखक डॉ. जयंत विष्णु नारलीकर का 20 मई को निधन हो गया. उनका बचपन बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में बीता. इसके बाद उन्होंने कैंब्रिज से पढ़ाई की. उन्होंने आइंस्टाइन के सापेक्षता के सिद्धांत को विस्तार दिया और बिग-बैंग थ्योरी को चुनौती भी दी.

कौन थे डॉ. जयंत नारलीकर, जिसने दी Big-Bang थ्योरी को चुनौती?Jayant Narlikar : जयंत नारलीकर के पिता गणितज्ञ थे.
Jayant Narlikar : महान खगोलशास्त्री, वैज्ञानिक और पद्मविभूषण से सम्मानित डॉ. जयंत विष्णु नारलीकर को पिछले दिनों देश ने खो दिया. 87 वर्ष की आयु में 20 मई को उनका निधन हो गया. डॉ. नारलीकर को कॉस्मोलॉजी में उनके आग्रणी योगदान और विज्ञान को लोकप्रिय बनाने के उनके प्रयासों के लिए जाना जाता है. उन्होंने बिग-बैंग थ्योरी के विकल्प सुझाए और ब्रह्मांड विज्ञान में कई क्रांतिकारी विचार प्रस्तुत किए.

डॉ. जयंत विष्णु नारलीकर का जन्म 19 जुलाई 1938 को कोल्हापुर में हुआ था. उनके पिता विष्णुदेव नारलीकर बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में गणित विभाग के प्रमुख और मां संस्कृत की विद्वान थीं. पढ़ाई का यह वातावरण बचपन से ही जयंत के व्यक्तित्व का हिस्सा बन गया. उनकी शुरुआती पढ़ाई बनारस में ही हुई. इसके बाद वह एस्ट्रोनॉमी और गणित में हायर स्टडी के लिए कैंब्रिज यूनिवर्सिटी चले गए. जहां वे Wrangler बने और Tyson Medal जीता. जो उनकी एकेडमिक एक्सीलेंस का प्रतीक है.

1. डॉ. नारलीकर ने दिया बिग-बैंग का वैकल्पिक सिद्धांत

डॉ. जयंत नारलीकर की कैंब्रिज में प्रसिद्ध खगोलशास्त्री सर फ्रेड हॉयल से हुई. जिनके साथ मिलकर उन्होंने कई रिसर्च किए. उन्होंने हॉयल-नारलीकर थ्योरी ऑफ ग्रैविटेशन बनाई, जो आइंस्टाइन के सामान्य सापेक्षता सिद्धांत (General Theory of Relativity) का विस्तार थी. इसके साथ उन्होंने बिग-बैंग थ्योरी के मुकाबले एक वैकल्पिक सिद्धांत स्टीडी स्टेट थ्योरी भी दी.

2. भारत लौटकर स्थापित किया ये संस्थान

डॉ. नारलीकर साल 1972 में भारत लौट आए. इसके बाद उन्होंने TIFR (टाटा मूलभूत रिसर्च संस्थान) में काम किया. उन्होंने साल 1988 में पुणे में इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स (IUCAA) की स्थापना की. वे साल 2003 तक इसके निदेशक रहे. बाद में वह एमेरिटस प्रोफेसर बने रहे.

3. 26 साल की उम्र में मिला पद्मभूषण सम्मान

डॉ. जयंत नारलीकर के अतुलनीय योगदान के लिए उन्हें महज 26 साल की उम्र (1965) में भारत सरकार ने पद्मभूषण पुरस्कार से नवाजा. इसके बाद 2004 में पद्मविभूषण, 2011 में महाराष्ट्र भूषण से भी सम्मानित किया गया. साल 1996 में उन्हें यूनेस्को के कलिंग पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था. उन्हें शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका था.

4. विज्ञान कथा लेखक

डॉ. नारलीकर एक विज्ञान कथा लेखक भी थे. उन्होंने कई किताबें लिखी. जिनमें-द लाइटर साइड ऑफ ग्रैविटी, साइंटिफिक एज और कहानी ब्रह्मांड की प्रमुख हैं.

5. पत्नी भी थीं गणितज्ञ

डॉ. जयंत विष्णु नारलीकर की पत्नी मंगला नारलीकर भी गणितज्ञ थीं. जिनका साल 2023 में निधन हो गया था. उनकी तीन बेटियां- गीता, गिरीजा और लीलावती हैं, जो साइंटिफिक रिसर्च में सक्रिय हैं. डॉ. नारलीकर और उनका परिवार एक साधारण और सादा जीवन जीने में विश्वास करता है.

ये भी पढ़ें 

About the Author

Praveen Singh
प्रवीण सिंह साल 2015 से जर्नलिज्म कर रहे हैं. न्यूज18 हिंदी के करियर/एजुकेशन/जॉब्स सेक्शन में साल 2021 से काम कर रहे हैं. इन्हें फोटोग्राफी करने, किताबें पढ़ने, बाईक से लंबी यात्राएं करने का जुनून है. किताबों मे...और पढ़ें
प्रवीण सिंह साल 2015 से जर्नलिज्म कर रहे हैं. न्यूज18 हिंदी के करियर/एजुकेशन/जॉब्स सेक्शन में साल 2021 से काम कर रहे हैं. इन्हें फोटोग्राफी करने, किताबें पढ़ने, बाईक से लंबी यात्राएं करने का जुनून है. किताबों मे... और पढ़ें
homecareer
कौन थे डॉ. जयंत नारलीकर, जिसने दी Big-Bang थ्योरी को चुनौती?
और पढ़ें