टीवी देखते-देखते पिता ने कह दी ऐसी बात, बेटे ने गांव छोड़ ले लिया फैसला, 12th Fail के मनोज कुमार जैसी कहानी
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भूपेन्द्र कुमार शर्मा ने 12वीं में 95% अंक प्राप्त कर पिता का सपना पूरा किया. उनका लक्ष्य आरपीएस अधिकारी बनना है और इसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की.
पाली:- आईपीएस अधिकारी मनोज कुमार शर्मा यह नाम भला कौन नहीं जानता, जिन्होंने हर एक तकलीफ को सहा, मगर हिम्मत नहीं हारी और यूपीएसई क्लियर कर अपने पिता का सपना पूरा किया. मगर इसी फिल्म से मिलते जुलते राजस्थान के चामू के रहने वाले भूपेन्द्र कुमार की कहानी लोकल 18 आपको बताने वाला है, जो मनोज कुमार के जीवन से मिलती जुलती है.
पिता ने कह दी ये बात
भूपेन्द्र कुमार शर्मा के पिता किसान हैं. ऐसे में जब टीवी पर चल रहे एक इंटरव्यू में पिता ने इच्छा जताई कि वह उसको एक दिन इसी तरह पुलिस अधिकारी बनता देखना चाहते हैं, तो क्या था. भूपेन्द्र कुमार उसी में जुट गए और उसी सपने को पूरा करने का काम कर रहे हैं.
भूपेन्द्र कुमार शर्मा के पिता किसान हैं. ऐसे में जब टीवी पर चल रहे एक इंटरव्यू में पिता ने इच्छा जताई कि वह उसको एक दिन इसी तरह पुलिस अधिकारी बनता देखना चाहते हैं, तो क्या था. भूपेन्द्र कुमार उसी में जुट गए और उसी सपने को पूरा करने का काम कर रहे हैं.
अब जब 12वीं क्लास का रिजल्ट आया, तो भूपेन्द्र कुमार शर्मा की मेहनत और पिता के सपने को पूरा करने की ललक दिखी. उन्होंने 95 से भी अधिक प्रतिशत अंक प्राप्त कर अपने पिता का नाम रोशन किया है. अब एक ही सपना है कि वह आरपीएस अधिकारी बन अपने पिता का सिर गर्व से ऊंचा करें.
पिता ने कहा कुछ भी हो, हम हमेशा तेरे साथ
Local 18 से खास बातचीत करते हुए भूपेन्द्र शर्मा ने कहा कि जब पिता को बताया कि इतने प्रतिशत अंक बने हैं, तो सबसे ज्यादा खुश मेरे पिता ही थे. मेरे पिता ने मुझे कभी यह नहीं कहा कि कितने भी प्रतिशत आए, हम तुम्हारे साथ हैं. इसलिए कभी टेंशन मत लेना और अच्छे से पढ़ाई करना. प्रतिदिन 4 घंटे पढ़ाई किया करता था. परिवार मेरा पूरा गांव में रहता है और मैं शहर में मासी के साथ पिछले 3 सालों से रह रहा हूं. मासी का पूरा सहयोग मिला है, उन्होंने कभी कोई कमी नहीं रखी.
Local 18 से खास बातचीत करते हुए भूपेन्द्र शर्मा ने कहा कि जब पिता को बताया कि इतने प्रतिशत अंक बने हैं, तो सबसे ज्यादा खुश मेरे पिता ही थे. मेरे पिता ने मुझे कभी यह नहीं कहा कि कितने भी प्रतिशत आए, हम तुम्हारे साथ हैं. इसलिए कभी टेंशन मत लेना और अच्छे से पढ़ाई करना. प्रतिदिन 4 घंटे पढ़ाई किया करता था. परिवार मेरा पूरा गांव में रहता है और मैं शहर में मासी के साथ पिछले 3 सालों से रह रहा हूं. मासी का पूरा सहयोग मिला है, उन्होंने कभी कोई कमी नहीं रखी.
पिता का सपना पूरा कर रहे भूपेन्द्र शर्मा
भूपेन्द्र शर्मा कहते हैं कि मेरा सपना आरपीएस बनने का है. पिता एक दिन साथ बैठकर जब टीवी देख रहे थे, तब यूपीएसई का इंटरव्यू चल रहा था. पिता ने इंटरव्यू देखकर कहा कि अगर ऐसा ही इंटरव्यू तेरा हो, तो गांव में कितनी खुशी होगी. पापा ने जब यह कहा तो मैंने ठान लिया कि एक दिन जरूर पापा का सिर गर्व से ऊंचा करूंगा. तब से जुट गया और पहली सीढ़ी पार कर ली. इसी तरह से आगे बढता रहूंगा और अपने पिता के लिए वह सपना जरूर पूरा करूंगा, जब मेरे पिता मुझे इंटरव्यू देते हुए टीवी पर देखेंगे.
भूपेन्द्र शर्मा कहते हैं कि मेरा सपना आरपीएस बनने का है. पिता एक दिन साथ बैठकर जब टीवी देख रहे थे, तब यूपीएसई का इंटरव्यू चल रहा था. पिता ने इंटरव्यू देखकर कहा कि अगर ऐसा ही इंटरव्यू तेरा हो, तो गांव में कितनी खुशी होगी. पापा ने जब यह कहा तो मैंने ठान लिया कि एक दिन जरूर पापा का सिर गर्व से ऊंचा करूंगा. तब से जुट गया और पहली सीढ़ी पार कर ली. इसी तरह से आगे बढता रहूंगा और अपने पिता के लिए वह सपना जरूर पूरा करूंगा, जब मेरे पिता मुझे इंटरव्यू देते हुए टीवी पर देखेंगे.
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12वीं फेल फिल्म की तरह ही है भूपेन्द्र का भी संघर्ष
भूपेन्द्र कुमार शर्मा की कहानी बिल्कुल 12वीं फैल फिल्म मनोज कुमार शर्मा के जीवन से मिलती जुलती है, क्योंकि वो भी कामयाब होने के लिए अपना घर और परिवार छोड़कर ऐसा जीवन बिता रहे हैं, जहां वह पढ़ाई-लिखाई कर अपना जीवन सवार सके और कुछ बन सके. ऐसे में भूपेन्द्र यादव भी उसी राह पर हैं. वह भी गांव से दूर शहर में रहकर अपने पिता का वही सपना पूरा करना चाहते हैं. हालांकि परेशानियां खूब है, मगर उनको दरकिनार कर अपने लक्ष्य पर फोकस करते हुए भूपेन्द्र कुमार शर्मा लगातार जुटे हुए हैं. यही वजह है कि जब 12वीं का परिणाम आया, तो पिता और परिवार खुश है.
भूपेन्द्र कुमार शर्मा की कहानी बिल्कुल 12वीं फैल फिल्म मनोज कुमार शर्मा के जीवन से मिलती जुलती है, क्योंकि वो भी कामयाब होने के लिए अपना घर और परिवार छोड़कर ऐसा जीवन बिता रहे हैं, जहां वह पढ़ाई-लिखाई कर अपना जीवन सवार सके और कुछ बन सके. ऐसे में भूपेन्द्र यादव भी उसी राह पर हैं. वह भी गांव से दूर शहर में रहकर अपने पिता का वही सपना पूरा करना चाहते हैं. हालांकि परेशानियां खूब है, मगर उनको दरकिनार कर अपने लक्ष्य पर फोकस करते हुए भूपेन्द्र कुमार शर्मा लगातार जुटे हुए हैं. यही वजह है कि जब 12वीं का परिणाम आया, तो पिता और परिवार खुश है.
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